Breaking डॉक्टरों ने दिया नया जीवन, सड़क दुर्घटना में घायल मरीज का फेफड़ा और दिल बाहर आया

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रायपुर – पं.जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकत्सालय के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के अंतर्गत संचालित कार्डियोथोरेसिक एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने सड़क दुर्घटना में घायल एक 23 वर्षीय युवक की जटिल सर्जरी किया   युवक का फेफड़ा और दिल बाहर आ गया था जिसे डॉक्टरों ने जटिल सर्जरी कर दुर्घटना में टूटकर चकनाचूर हो चुकीं पसलियों की जगह टाइटेनियम की नई पसली लगाकर नया जीवन प्रदान किया। यह हादसा इतना दर्दनाक था कि मरीज के फेफड़े एवं हृदय तक बाहर निकल आये। एसीआई के हार्ट, चेस्ट, वैस्कुलर सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू, डीकेएस के प्लास्टिक सर्जन डॉ. कृष्णानंद ध्रुव एवं टीम के नेतृत्व में इस नवयुवक का इलाज हुआ। डॉक्टरों ने इस आधुनिकतम सर्जरी में दुर्घटना के कारण क्षतिग्रस्त पसली की जगह में टाइटेनियम प्लेट की सहायता से नई पसली का निर्माण किया। सर्जरी इतनी सफल रही कि मरीज को अपेक्षाकृत बेहद कम समय में ही वेंटिलेटर से बाहर निकाल लिया गया। 

23 मई की रात एक आइल डिपो में काम करने वाला चरौदा निवासी 23 वर्षीय नवयुवक अपने मित्र के साथ मोटर सायकल पर आरंग की ओर जा रहा था। तभी तेज़ रफ़्तार से आती हुई ट्रक ने जोर से ठोकर मारी,जिससे मोटर सायकल चालक ट्रक के नीचे राड में फंसकर घसीटता चला गया,जिससे कारण उसके बायें फेफड़े की पसलियां पूरी तरह चकनाचूर हो गईं। पसली का टुकड़ा बाहर रोड में बिखर गया। चोट इतनी गहरी थी कि मरीज का फेफड़ा एवं दिल छाती से बाहर आ गया। घायल युवक को संजीवनी 108 एम्बुलेंस की सहायता से मेकाहारा के ट्रामा सेंटर में लाया गया। यहां आपातकाल में उपस्थित डॉक्टरों द्वारा उपचार किया गया। हादसे में खून बहुत बह चुका था इसलिये उसको खून चढ़ाया गया।

मरीज का सीटी-स्कैन कराकर अंदरूनी चोटों को देखा गया। स्थिति स्थिर होने पर उसको ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया एवं बहुत ही हाईरिस्क एवं डेथ ऑन टेबल कंसेट लिया गया। मरीज के ऑपरेशन में जो गायब हो गयी थी उसके स्थान पर टाइटेनियम की नई पसली बनाई। पसली बनाने के लिये लगभग 15-17 सेंटीमीटर लम्बाई की चार टाइटेनियम प्लेट का उपयोग किया गया। ऑपरेशन से पूर्व घाव को धोकर अच्छी तरह से साफ किया गया क्योंकि फेफड़े के अंदर बहुत ज्यादा मिट्टी एवं कंकड़ घुस गया था। टाइटेनियम प्लेट का उपयोग करने से मरीज वेंटीलेटर से जल्दी बाहर आ गया एवं छाती बेडौल होने से बच गयी। कृत्रिम पसली नहीं लगायी जाती तो मरीज को वेंटीलेटर से बाहर निकालना बहुत ही मुश्किल हो जाता। ऑपरेशन में चार घंटे से ज्यादा का समय लगा एवं तीन यूनिट रक्त मरीज को लगा। आज मरीज पूर्णतः स्वस्थ्य होकर डिस्चार्ज होने वाला है। इस सर्जरी में रेडियोडायग्नोसिस विभाग की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही। एसीआई में सभी प्रकार की आधुनिकतम पद्धति से फेफड़ों एवं खून की नसों का उपचार होने लगा है। निकट भविष्य में ओपन हार्ट सर्जरी एवं बायपास सर्जरी प्रारंभ होने की संभावना है।