चित्रकोट में वसूली के लिए बंधक बना लिया गया स्टेट हाईवे को

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  •  प्रतिदिन हो रही है ढाई लाख रू. तक की बेजा वसूली
  •  सरपंच से लेकर जनपद सीईओ तक जाता है हिस्सा
    -अर्जुन झा-
    लोहंडीगुड़ा बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा विकासखंड में स्थित विश्वप्रसिद्ध चित्रकोट वाटरफॉल में सैलानियों से सरेआम लूट की जा रही है। पार्किंग के नाम पर बेजा वसूली के लिए स्टेट हाईवे को ब्लॉक कर दिया गया है। वसूली जा रही रकम का रत्तीभर हिस्सा भी इस पर्यटन स्थल के विकास और सुविधाएं उपलब्ध कराने पर खर्च नहीं किया जा रहा है। गांव के युवक, सरपंच और जनपद पंचायत के सीईओ तक वसूली की रकम का तयशुदा हिस्सा पहुंच रहा है।
    बस्तर देसी – विदेशी पर्यटकों के लिए जन्नत से कम नहीं है। बस्तर में अनगिनत सैरगाह हैं। इनमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय और पर्यटकों का सबसे पसंदीदा है लोहंडीगुड़ा जनपद में स्थित चित्रकोट का वाटरफॉल। इंद्रावती नदी की जल धाराएं काफी ऊंचाई पर स्थित चट्टानों से कई भागों में बंटकर नीचे धरती पर गिरती हैं और विहंगम दृश्य पैदा करती हैं। इस जलप्रपात का दीदार करने हजारों पर्यटक रोजाना चित्रकोट पहुंचते हैं। विभिन्न वाहनों से पहुंचने वाले पर्यटकों से उनकी कार, बस व दीगर वाहनों की पार्किंग के नाम पर 50 रू. से लेकर 100 रू. तक का शुल्क वसूला जाता है। चित्रकोट में पार्किंग शुल्क वसूली का जिम्मा वहां के युवकों के समूह सम्हाल रहा है। ग्रुप में 25 युवक शामिल हैं, जो शुल्क वसूली और वाहनों की पार्किंग का काम देखते हैं। इन युवकों ने एक संगठन बना रखा है। इस संगठन के अध्यक्ष कश्यप के मुताबिक प्रतिदिन पार्किंग शुल्क के रूप में औसतन ढाई लाख रुपए तक की आवक होती है। रविवार व अन्य छुट्टी वाले दिनों में तथा सीजन में यह रकम चार से पांच लाख रुपए तक पहुंच जाती है।

    बंधा हुआ है सबका कमीशन
    पार्किंग शुल्क वसूली में लगे युवकों के मुखिया ने स्वीकार किया है कि आम दिनों में वाहन पार्किंग शुल्क के रुपए में ढाई लाख से लेकर 2 लाख 70 हजार रुपए तक मिल जाते हैं। वहीं सीजन में चार, साढ़े चार लाख रुपए तक की वसूली होती है। बीते रविवार को चार लाख रुपए मिले थे। मुखिया कश्यप ने कबूल किया है कि पार्किंग शुल्क से प्राप्त होने वाली राशि का पचास प्रतिशत हिस्सा उनका संगठन रखता है, ग्राम पंचायत को दस प्रतिशत राशि और जनपद सीईओ को पांच प्रतिशत तथा सुरक्षा में लगी महिलाओं को को भी तयशुदा रकम दी जाती है। उसने बताया कि कुछ दिनों पहले ही जनपद सीईओ को 1. 20 लाख का चेक दिया गया था। संगठन को मिलने वाली पचास प्रतिशत रकम को संगठन से जुड़े सभी 25 युवक आपस में बांट लेते हैं। मतलब साफ है कि इतनी मोटी रकम का एक फीसदी हिस्सा भी चित्रकोट पर्यटन स्थल के विकास और पर्यटकों को सुविधा उपलब्ध कराने पर खर्च नहीं किया जा रहा है। पार्किंग स्थल का न सीमेंटीकरण कराया गया है, न ही वहां टाइल्स लगाई गई है और न शेड बनवाया गया है।बारिश के मौसम में कीचड़ से भरी जमीन पर वाहनों को खड़ा करना पड़ता है।

    सड़क की सुध नहीं विभाग को
    चित्रकोट वाटरफॉल तक पर्यटकों की पहुंच को सुगम बनाने के लिए लोक निर्माण विभाग ने वाटर फॉल के करीब तक स्टेट हाईवे का निर्माण कराया है। पार्किंग शुल्क वसूलने वाले लोगों ने करोड़ों की लागत से बनी इस अच्छी खासी सड़क को अवरुद्ध कर दिया है। हाईवे के बिचोंबीच करीब दो फीट ऊंची और पांच मीटर लंबी सीमेंट कांक्रिट की दीवार खड़ी कर दी गई है। ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि पर्यटक अपने वाहनों को दूसरी जगह खड़े न कर सकें। करोड़ों की लागत से निर्मित और बंधक बन चुकी इस सड़क की उपयोगिता खत्म कर दी गई है, लेकिन लोक निर्माण विभाग के जिम्मेदार अधिकारी बेपरवाह बने हुए हैं। अपनी बंधक बनी सड़क को कब्जा मुक्त कराने की दिशा में अधिकारी कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। नतीजतन पर्यटकों को इस सड़क का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। जबकि सड़क का निर्माण पर्यटकों की सुविधा के लिए ही कराया गया है।