आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अमिता ने हौसलों से की बर्फीली यूटी कांगरी चोटी पर चढ़ाई
रायपुर, 20 जनवरी – दृढ़ संकल्प, मजबूत इरादों और हौसलों से विपरीत परिस्थितियों में भी सपने साकार होते हैं। इन्हीं जज्बे के साथ छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा की पर्वतारोही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अमिता श्रीवास ने अपने सपनों को उड़ान दी और लगातार उंचे पर्वत शिखरों को फतह कर रही हैं। अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो को फतह करने के बाद उन्होंने प्राचीन हिमालय के लद्दाख क्षेणी की 6 हजार 70 मीटर ऊंची बर्फीली यूटी कांगरी चोटी को चढ़ाई की । माइनस 31 डिग्री तापमान में रोमांच और जोखिम से भरी कठिन चढ़ाई को पूरा के बाद छत्तीसगढ़ की बेटी का सपना एवरेस्ट फतह करने का है। अमिता की उपलब्धि के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया ने उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।
अमिता की पर्वत चोटी पर यह चौथी बड़ी चढ़ाई थी। विवेकानंद माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट माउंट आबू से वर्ष 2018 में रॉक क्लाइंबिंग का प्रशिक्षण लेने के बाद सबसे पहले उन्होंने 2019 में उत्तरी सिक्किम में व पश्चिमी सिक्किम के बड़े शिखरों पर विजय हासिल की थी। इसके बाद पिछले साल 2021 में 8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर उन्होंने महिला सशक्तिकरण का मिशन लेकर अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो पर चढ़ने का रिकार्ड बनाया। तंजानिया स्थित किलिमंजारो की 5895 मीटर ऊंची चोटी पर पहुंचने के बाद उन्होंने ’गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ का भी संदेश भी दिया था।
अमिता ने बताया कि यूटी कांगरी पर सफलता उनके एवरेस्ट मिशन की प्रारंभिक तैयारी का एक पायदान है। उनके इस मिशन में दिल्ली सहित तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, गुजरात, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक राज्यों के 11 सदस्य थे। इसमें से 2 लोग पहले से ही एवरेस्ट की चढ़ाई कर चुके हैं। जिसमें उन्हें पहली बार लीड करने का मौका मिला। उन्होंने 14 जनवरी को रात 11 बजे चढ़ाई शुरू की और 19 जनवरी को यूटी कांगऱी के शिखर पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि 4 हजार 700 मीटर ऊंचाई पर स्थित उनके बेस कैंप में माइनस 20 डिग्री सेल्शियस तापमान था। अंतिम चढ़ाई के समय यह माइनस 31.4 डिग्री तक कम हो गया था। अमिता ने रोमांचित होते हुए बताया कि शिखर पर चढ़ाई के दौरान 50 कदम पहले ही अचानक एवलांच (बर्फ के बड़े टुकड़े का गिर जाना ) आ गया। जीवन में पहली बार उन्होंने बर्फ के टुकड़े को टूट कर गिरने का दृश्य देखा था। उन्होंने इससे पहले एवलांच के बारे मे पढ़ा और सुना ही था, लेकिन पहली बार देखने के अनुभव को बता पाना मुश्किल है। एवलांच के बाद आगे की चढ़ाई का फैसला लेना मुश्किल था, लेकिन मजबूत इरादों से उनकी जिंदगी जीत गई।
अमिता ने बताया कि निम्न मध्यम परिवार में जन्मी अमिता का पर्वतारोहण का सपना आसान नहीं था। जीवन के साथ चढ़ाई में आने वाली हर बाधा को उन्होंने पार किया। अमिता की हिम्मत को परिवार के साथ छत्तीसगढ़ शासन का पूरा सहयोग मिला। अमिता राष्ट्रीय स्तर पर अन्य खेलों में भी अपना लोहा मनवा चुकी हैं। श्रीवास को उनकी उपलब्धियों को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा यूटी कांगरी में पर्वतारोहण के लिए 80 हजार रूपए प्रदान किया। इससे पहले उनके पर्वतारोहरण को प्रोत्साहित करने के लिए सीएसआर मद से पहले 2 लाख 70 हजार रूपए पर्वतारोहण के लिए प्रदान किया गया था। सुश्री अमिता ने इस अभियान में सहयोग व प्रोत्साहन के लिए छत्तीसगढ़ सरकार का आभार व्यक्त किया है।