भगवान बिरसा मुंडा जयंती समारोह में आदिवासी एकता और संघर्ष पर बल

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  • आदिवासियों को अपने हक के लिए जागना होगा: महेश स्वर्ण 

जगदलपुर भगवान बिरसा मुंडा, जिन्हें धरती आबा के नाम से जाना जाता है, की जयंती के अवसर पर एक गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन दंतेवाड़ा के आदिवासी भवन में किया गया।

इस अवसर पर एबोरिजिनल ट्राइब्स के अध्यक्ष महेश स्वर्ण ने सर्व समाज के गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में भगवान बिरसा मुंडा द्वारा आदिवासी समुदाय और देश के लिए दिए गए अतुलनीय योगदान को याद करते हुए विचार प्रकट किए। महेश स्वर्ण ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने अपने जीवन को आदिवासी समुदाय के अधिकारों और उनकी सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए समर्पित कर दिया था। उन्होंने हमेशा आदिवासी समाज को एकजुट रहकर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा दी। महेश स्वर्ण ने वर्तमान में आदिवासी समुदाय के सामने आ रही चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज के समय में, भगवान बिरसा मुंडा के आदर्शों को अपनाने और उनके दिखाए रास्ते पर चलने की आवश्यकता है। आदिवासी समाज को अपने जल, जंगल और जमीन पर अधिकार की रक्षा के लिए संगठित होकर संघर्ष करना होगा। बिरसा मुंडा ने सिखाया है कि जब हमारे हक छीन जाते हैं, तब हमें एकजुट होकर अपने हक के लिए संघर्ष करना चाहिए उनके जीवन से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि अधिकारों और आत्मसम्मान के लिए कोई भी बलिदान बड़ा नहीं होता।आज जब हम बिरसा मुंडा को याद कर रहे हैं, तो हमें उनके आदर्शों को अपनी जीवन शैली में अपनाने की जरूरत है। उनका संघर्ष केवल उसी समय के लिए नहीं था, बल्कि यह हमारे समाज के भविष्य को सुरक्षित करने की उनकी महान सोच थी।महेश स्वर्ण ने इस अवसर पर सभी आदिवासी और गैर आदिवासी समाज के लोगों से अपील करते हुए कहा कि भगवान बिरसा मुंडा के जीवन से प्रेरणा लेकर सामाजिक समरसता, एकता और अधिकारों की रक्षा के लिए कार्य करें। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग, गणमान्य व्यक्ति और विभिन्न समाजों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।