झीरम कांड की न्‍यायिक जांच रोकने याचिका, डहरिया बोले- किसे बचाना चाह रहे रमन और कौशिक

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झीरम की रिपोर्ट पर कौशिक की याचिका से गरमाई सियासत

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में झीरम कांड की न्‍यायिक जांच मामले को लेकर सियासत तेज हो गई है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर झीरम कांड की न्यायिक जांच रोकने की मांग की है। मंत्री डॉ. शिव डहरिया ने नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक की इस याचिका पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा, याचिका के जरिए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक किसे बचाने का प्रयास कर रहे हैं।

कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन में शनिवार को मंत्री डॉ. डहरिया ने पत्रकारों से कहा, यह कोई पहली बार नहीं हो रहा है जब भाजपा ने झीरम घाटी कांड की जांच में बाधा खड़ी करने की कोशिश की है। जैसे ही झीरम घाटी कांड के जांच की बात आती है, भाजपा के बड़े नेताओं के पेट में दर्द होने लगता है। वे लोग किसी न किसी प्रकार से इसकी जांच को बाधित करने की कोशिश मेें जुट जाते हैं। कभी बयानबाजी करते हैं, कभी आंदोलन करते हैं और कभी कोर्ट की शरण में चले जाते हैं। मंत्री ने कहा, झीरम घाटी कांड पर 2013 में गठित न्यायिक जांच आयोग ने जो रिपोर्ट सौंपी है, वह अधूरी है। आयोग के अध्यक्ष जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने कहा था, जांच अधूरी है। उनको और समय चाहिए। समय दिया गया, लेकिन जांच शुरू होने से पहले उनका तबादला हो गया। ऐसे में अधूरी जांच को पूरा करने के लिए आयोग में नई नियुक्तियां की गई हैं।

यह कोई नया आयोग नहीं है। कौशिक से डहरिया का सवाल

मंत्री डहरिया ने पूछा कि नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक क्या इस बात से डरते हैं, झीरम घाटी कांड की जांच में कोई ऐसा सच निकल आएगा, जिससे तत्कालीन भाजपा सरकार के किसी कुत्सित चेहरे से नकाब उठ जाएगा? क्या इस बात से डरते हैं कि जांच में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की लापरवाही सामने आ जाएगी? या इस बात से डरते हैं कि नक्सली घटना के पीछे की बड़ी साजिश का पर्दाफाश हुआ तो उनकी पूरी पार्टी पर इसका प्रभाव पड़ सकता है?

कांग्रेस क्यों घबराई हुई है-कौशिक

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने मंत्री डॉ. शिव डहरिया के आरोपों को हास्यास्पद बताया है। उन्होंने कहा, पूर्ववर्ती सरकार ने जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था। उसने पूरे तथ्यों की जांच की। उनका प्रतिवेदन भी आ गया। उसका परीक्षण कर जनता के सामने लाया जाना चाहिए था। मैं मंत्री से पूछना चाहता हूं कि क्या उन्होंने उस प्रतिवेदन को देखा है। क्या सरकार ने परीक्षण किया, क्या विधानसभा में उसको रखा गया। किस आधार पर यह बयान दिया कि वह आधा-अधूरा है और जांच की जरूरत है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा, जस्टिस प्रशांत मिश्र आयोग के प्रतिवेदन से कांग्रेस घबराई हुई क्यों है।