संतोष का इस्तीफा बना भाजपा कांग्रेस में असंतोष का सबब

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(अर्जुन झा)

दल्ली राजहरा। दल्ली राजहरा नगर पालिका परिषद के उपाध्यक्ष संतोष देवांगन का इस्तीफा भाजपा और कांग्रेस में असंतोष का सबब बन गया है। भाजपा नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव में बहुमत के बावजूद मात खाने वाली भाजपा कथित भीतरघात के कारण पार्टी से बेदखल किये गए संतोष देवांगन के इस्तीफे से उत्साहित होकर अपना उपाध्यक्ष बनवाने की तैयारी में है तो कांग्रेस भी चाहती है कि उपाध्यक्ष के पद पर उसका कोई पार्षद बैठ जाये। कांग्रेस और भाजपा ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है कि जैसे ही नए उपाध्यक्ष का चुनाव हो, सारी ताकत झोंक दी जाय। दोनों पार्टियां एक दूसरे के घर में सेंधमारी से भी पीछे नहीं हटेंगी। सियासी गलियारों में चर्चा है कि दोनों मुख्य पार्टियों को भीतरघात का अंदेशा भी सता रहा है। भाजपा में इस्तीफे का हल्ला मचा हुआ है तो भाजपा संगठन इस असंतोष को शांत करने के लिए संयम से काम ले

रहा है। भाजपा संगठन की रणनीति के बारे में कहा जा रहा है कि एक बार धोखा खा चुकी भाजपा फूंक फूंककर कदम रख रही है। भाजपा संगठन का प्रयास है कि सामंजस्य स्थापित करके नाराज कार्यकर्ताओं को एकजुट किया जाय। भाजपा की इस सधी हुई रणनीति का असर कांग्रेस पर पड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि कांग्रेस में भी महत्वाकांक्षी नेताओं की कोई कमी नहीं है। इसलिए आशंका जताई जा रही है कि जो हलचल भाजपा में मची है, वही कांग्रेस में भी सामने आ सकती है। यहां दिलचस्प बात यह है कि संतोष देवांगन का तो सियासी हश्र होना था, वह हो गया लेकिन भाजपा और कांग्रेस में अफरातफरी मच गई है। भाजपा में इस्तीफे के दौर को देखते हुए कांग्रेस भी सहम सकती है कि जो वहां हो रहा है, उसे तो भाजपा अनुशासन के नाम पर संयमित करने की कोशिश कर सकती है लेकिन अगर यहां इस्तीफों की बरसात हो गई तो क्या होगा। बहरहाल दल्लीराजहरा का सियासी घटनाक्रम चर्चाओं में छाया हुआ है और बालोद जिले की राजनीति में दोहरी उथलपुथल की आशंका व्यक्त की जा रही है। बेहतर होगा कि कांग्रेस और भाजपा अपनी अंतर्कलह पर काबू करें और नगरपालिका के काम पर ध्यान दें क्योंकि जनता के हित प्रभावित हो रहे हैं। संतोष के चक्कर में यह असंतोष दोनों ही दलों के लिए घातक साबित हो सकता है।