मंडी बोर्ड में सरकारी काम की दलाली

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रिंग के बाहर जाओगे तो देखते रह जाओगे

बाहरी ठेकेदारों को आग्रह के साथ दबाव

सरकारी खजाने में लग रही सेंध

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चारामा-छत्तीसगढ़ शासन के उपक्रम मंडी बोर्ड के निर्माण कार्य में निविदा प्रक्रिया को प्रभावित कर दलाल किस तरह सरकारी खजाने में सेंध लगा रहे हैं, उसका ताजा मामला एक चर्चित आडियो के जरिये सामने आया है, जिसमें एक तथाकथित ठेकेदार मंडी बोर्ड के निर्माण कार्य में स्वतंत्र रूप से निविदा जमा करने पर एक निविदाकार को मिलकर काम करने के लिए कथित तौर पर दबाव पूर्वक आग्रह कर रहा है। बताया जा रहा है कि यह आडियो चारामा और केशकाल से लेकर मंडी बोर्ड के गलियारों और ठेकेदारों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। इस आडियो की सत्यता की पुष्टि अभी नहीं हुई है लेकिन इस कथित आडियो में दो लोगों के बीच हुए संवाद से यह सवाल जरूर जिज्ञासा पैदा कर रहे हैं कि क्या मंडी बोर्ड में इस तरह रिंग बनाकर निविदा प्रक्रिया प्रभावित की जा रही है? क्या स्पर्धा रोकने का यह प्रयास इसलिए हो रहा है कि अधिक दर पर काम लिया जा सके और सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाया जा सके? जानकारों का कहना है कि यह सामान्य सी बात है कि जब किसी निर्माण कार्य की निविदा रिंग बनाकर प्रभावित की जायेगी तो स्पर्धा के अभाव में ऊंची बोली भी नीची जान पड़ेगी।ऐसी स्थिति में निविदा न्यूनतम दर की अनिवार्यता पूरी करती तो दिखेगी लेकिन असल में ऐसा है नहीं। सरकार के खजाने में सेंध लगाने के लिए ही इस तरह रिंग बनाये जाते हैं।

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https://youtu.be/YTKOnvQh8o4

मिली जानकारी के अनुसार मंडी बोर्ड ने चारामा और केशकाल में निर्माण कार्य के लिए निविदा आमंत्रित की है, जिसकी अंतिम तारीख 4 अगस्त है। निविदा 5 अगस्त को खोली जायेगी। बताया जा रहा है कि चारामा में 47 लाख 39 हजार की लागत से दुकान निर्माण किया जाना है। 10 दुकानें मंडी प्रांगण में बनाई जानी हैं। इसी तरह केशकाल में 46 लाख 26 हजार की लागत से मंडी प्रांगण में भूतल तथा प्रथम तल के दो स्टाफ क्वार्टर बनाने के साथ ही कुछ अन्य काम भी होना है। इसके लिए आमंत्रित निविदाएं समय सीमा में जमा होनी थीं। इस बीच एक कथित ट्रेडर्स और कंस्ट्रक्शन कंपनी से जुड़े व्यक्ति का कथित ऑडियो सामने आ गया, जिसमें जिस एक निविदाकार ने रिंग से बाहर रहते हुए निविदा जमा कर दी है, उससे कहा जा रहा है कि 9 लोग एक तरफ हैं और आप एक तरफ हो। यदि मिलकर काम करेंगे तो अच्छा होगा। जिस ठेकेदार से यह बात होना बताई जा रही है, वह इस ऑडियो में यह कहते सुना जा रहा है कि इस बार तो वह भर चुका। जवाब में उसे कहा जा रहा है कि जब अभी नहीं मान रहे तो आगे क्या। इस मामले में जानकारों का कहना है कि स्थानीय ठेकेदार और दलाल मिलकर रिंग बनाते हैं और बाहरी ठेकेदारों को तरह तरह से निरुत्साहित करते हैं ताकि निर्माण कार्यों का ठेका मिलीभगत से लिया जा सके और सरकार के खजाने को लूटा जा सके।

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