भारतीय मजदूर संघ जिला बालोद का एक प्रतिनिधिमंडल जिला मंत्री मुश्ताक अहमद के साथ कांकेर लोकसभा क्षेत्र के सांसद मोहन मंडावी के नेतृत्व में ज्योतिरादित्य सिंधिया केन्द्रीय इस्पात मंत्री भारत सरकार से उद्योग भवन दिल्ली में सौजन्य भेंट कर भिलाई इस्पात संयंत्र के बंधक खदानों में कार्यरत नियमित कर्मियों की समस्याओं पर 09 सूत्रीय ज्ञापन एवं उनके निराकरण हेतु समुचित पहल करने का निवेदन किया सांसद मोहन मंडावी ने केन्द्रीय इस्पात मंत्री से स्वस्थ और शिक्षा के मुद्दे पर अपना पक्ष रखा और राजहरा में पैलेट प्लांट जल्द से जल्द शुरू करवाने और स्थानीय लोगों को रोजगार में प्राथमिकता देने की भी मांग की है। साथ ही मोहन मंडावी ने रावघाट से निकलने वाले लौह अयस्क की प्रोसेसिंग राजहरा में ही हो ईसके लिए इस्पात मंत्रालय आवश्यकता हो तो एक नये प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की अनुमति प्रदान करें जिससे उजड़ते हुए राजहरा शहर को फिर से बसाया जा सकें और सांसद मोहन मंडावी ने केन्द्रीय इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को बस्तर और राजहरा नगर आने का आमंत्रण दिया जिसे केन्द्रीय इस्पात मंत्री ने सहर्ष स्वीकार किया और जल्द ही आने की बात कही
भारतीय मजदूर संघ जिला मंत्री मुश्ताक अहमद और भारतीय मजदूर संघ सम्बद्ध खदान मजदूर भिलाई के अध्यक्ष एम पी सिंग ने केन्द्रीय इस्पात मंत्री के समक्ष भिलाई इस्पात संयंत्र के बंधक खदानों में कार्यरत नियमित कर्मियो की समस्याएं का संक्षिप्त विवरण रखा (1) सेल के उत्थान में कर्मियों के कड़ी मेहनत को किसी भी तरह से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अनेक विषम परिस्थितियों में भी कर्मियों ने उत्पादन और उत्पादकता को बराबर बनाये रखते हुए सेल को वैश्विक स्टील मार्किट में अपनी पहचान और प्रभुत्व बनाये रखने में अमूल्य योगदान दिया। कोरोना महामारी के समय भी विषम परिस्थितियों में भी कर्मियों ने हिम्मत नहीं हारी और सेल के लाभ को यथावत बनाये रखा। किन्तु आज जब वेतन समझौता का समय आया तब सेलप्रबंधन एवं कुछ श्रम संगठनों के पुराने नेताओं ने मिलीभगत करके कर्मियों के साथ छल किया। वर्ष 2021 में सेल प्रबंधन एवं NJCS में शामिल श्रम संगठनों के बीच जो MOU हुआ उसका बीएमएस ने पुरजोर विरोध करते हुए हस्ताक्षर नहीं किया।
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एक तरफ जहाँ सेल प्रबंधन ने अधिकारीयों को 15% मिनिमम गारंटेड बेनिफिट (MGB) & 35% पर्क्स दिया वहीं कर्मियों को केवल 13% MGB & 26.5% पर्ट्स दिया जबकि भारतीय मजदूर संघ ने चर्चा के दौरान अपना पक्ष स्पष्ट रखते हुए यह कहा था कि सेल प्रबंधन द्वारा जो ग्रोथ अधिकारीयों को दिया जावेगा वही ग्रोथ कर्मियों को भी दिया जावे। किन्तु कर्मियों के प्रति विद्वेष भावना और भेद भाव की निति अपनाते हुए सेल प्रबंधन ने कर्मियों को उनके वाजिब हक 15%MGB और 35% पर्ट्स से वंचित कर दिया जिससे आज पूरे सेल में न केवल सेल प्रबंधन और कंपनी मैनेजमेंट के विरुद्ध बल्कि केंद्र सरकार के विरुद्ध भी एक आक्रोश पनप रहा है जिसे अगर आपके मंत्रालय द्वारा जल्द से जल्द संज्ञान में लेते हुए दूर नहीं किया गया तो यह आक्रोश देश, एवं उद्योग दोनों के लिए खराब होगा। अतः आपसे यह नम्र निवेदन है कि सेल प्रबंधन एवं कुछ प्रबंधन परास्त श्रमिक नेताओं के द्वारा किये गए एमओयू को तत्काल निरस्त मानते हुए कर्मियों को भी 15% MGB और 35% पर्ट्स देने हेतु आपके मंत्रालय द्वारा दिशा निर्देश दिया जावे।
(2) एक तरफ जहाँ अधिकारीयों को 01.04.2022 से पर्कस का भी एरियर्स दिया गया वहीं कर्मियों को पर्कस का एरियर्स नहीं दिया गया। यहाँ तक कि कर्मियों को पहले से मिलने वाले 6%पर्कस की राशि का भी एरियर्स यह कहते हुए नहीं दिया गया कि उक्त 6% पर्कस को नए 26.5% पर्कस में समाहित कर दिया गया है इसलिए इसका एरियर्स नहीं दिया जावेगा। सेल प्रबंधन के इस तर्क एवं व्यवहार को संघ स्पष्ट रूप से कर्मियों के हितों के विरुद्ध मानता है और आपसे यह अनुरोध करता है कि कर्मियों को इस 6% पर्कस की राशि का एरियर्स 01.04.2022 से 30.10.2022 तक का तत्काल दिलवाने की अनुकम्पा करें। (3) कर्मियों को 39 माह (01.01.2017 to 31.03.2022) का लंबित एरियर्स राशि भी दिलवाने की अनुकम्पा करें।
(4) वर्तमान में सेल प्रबंधन द्वारा कर्मी से अधिकारी बनने हेतु जो निति E-0 Promotion Policy) अपनाई जा रही है वह विसंगतिपूर्ण है। इस निति में केवल और केवल प्लांट में कार्यरत कर्मियों के हितों को ही देखा गया है और खदान कर्मियों के हितों को पूर्ण रूप से अनदेखा कर दिया गया है। महोदय उक्त परीक्षा में 95% से 98% प्रश्न प्लांट से सम्बंधित पूछे जाते हैं जिससे की खदान कर्मियों के लिए बहुत ही परेशानी होती है क्योंकि न तो उन्होंने कभी प्लांट में कार्य किया है और ही कभी उसकी पढाई की है। केंद्र सरकार ने भी खदानों के लिए अलग अधिनियम और कानून बनाये हैं। किन्तु सेल प्रबंधन अपने आपको केंद्र और राज्य सरकार से भी ऊपर मानते हुए खदान कर्मियों के साथ सौतेला व्यवहार करता आ रहा है। भारतीय मजदूर संघ द्वारा इस सन्दर्भ में कई बार स्थानीय संयंत्र प्रबंधन एवं सेल निगमित कार्यालय के अधिकारीयों से चर्चा की जा चुकी है किन्तु केवल आश्वासन के कुछ नहीं मिला है। अतएव आपसे सनम्र अनुरोध है कि सेल प्रबंधन को यह दिशा निर्देश दिया जावे कि वह अपने इस प्रमोशन निति के परीक्षा हेतु खदान कर्मियों के लिए खदान से सम्बंधित प्रश्न पत्र तय करे या फिर खदान कर्मियों के लिए कोटा का निर्धारण कर दिया जावे जिससे कि खदान कर्मियों को भी प्लांट कर्मियों की तरह समान रूप से कैरियर विकास का अवसर मिले।
(5) बीएसपी में हो रही लगातार दुर्घटनाओं पर रोक लगाने हेतु सरकार द्वारा बनाए गए सुरक्षा संबंधी नियम, अधिनियम एवं कानूनों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराया जाए। (6) राजहरा स्थित कंपनी का अस्पताल आज केवल रेफेर सेंटर बन कर रह गया है। डॉक्टर्स की कमी, स्टाफ की कमी, दवाई की कमी यहाँ एक आम बात हो गयी है। छोटी से छोटी बीमारी के लिए भी कर्मियों को कंपनी के भिलाई सेक्टर 09 स्थित अस्पताल रेफेर कर दिया जाता है। कई बार हृदयाघात जैसे घातक बीमारी के मरीज कर्मियों की डॉक्टर्स की कमी के कारण मौत हो गयी है किन्तु कंपनी प्रबंधन द्वारा सुधार हेतु कोई कदम नहीं उठाये जाते हैं सिवाय आश्वासन देने के। अतः आपसे सनम्र अनुरोध है कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए खदानों में कर्मियों के लिए सुविधायुक्त स्वास्थ सेवा की व्यवस्था कराएं।(7) आज कंपनी द्वारा कर्मियों के लिए चलाया जा रहा इंसेंटिव स्कीम कई दशक पुराना हो चुका है। नियमित कर्मियों की संख्या में लगभग 70% की कमी हो गयी है, उत्पादन एवं उत्पादकता में 100% से अधिक की बढ़ोतरी हो गयी है। किन्तु कर्मियों को मिलने वाला इंसेंटिव आज भी वही कई दशकों वाला पुराना स्कीम ही कंपनी द्वारा चलाया जा रहा है। आप से अनुरोध है कि कर्मियों के वर्षों से लंबित “New Incentive Scheme” की मांग को पूरा करवाने की अनुकम्पा करें।
(8) खदानों में कंपनी द्वारा निर्मित आवास 40 वर्ष पुराने हो चुके हैं और वर्तमान में इनकी स्थिति काफी जर्जर और खराब हो गयी है जिसके कारण कई बार दुर्घटनाएं भी घट चुकी हैं। हर दुर्घटना के बाद प्रबंधन द्वारा यही आश्वासन दिया जाता है कि शीघ्र ही नए आवासों का निर्माण कार्य जावेगा किन्तु ऐसा किया नहीं जाता है। यहाँ तक की आवासों के अनुरक्षण हेतु भी प्रबंधन द्वारा समुचित व्यवस्था नहीं है। इन सब कारणों से कर्मियों का दिमाग कार्यस्थल पर भी आवास की समस्या से ग्रसित रहता है। आपसे संघ यह अनुरोध करता है कि सेल प्रबंधन को नए आवासों के निर्माण हेतु आवश्यक दिशा निर्देश जारी करने की अनुकम्पा करें।
(9) दल्ली राजहरा में पुरे जिले में सबसे अधिक केन्द्रीय कर्मचारी निवास करते हैं, लगभग 2000 कर्मचारी किंतु अभी तक यहां केन्द्रीय विद्यालय नहीं खुला है। राजहरा में केन्द्रीय विद्यालय खोला जावे। साथ ही केंद्रीय इस्पात मंत्री को ठेका श्रमिकों की समस्याओं पर भी 08 सूत्रीय ज्ञापन सौंपकर उनके निराकरण हेतु निवेदन किया।और कहा कि राजहरा में लगभग 2000 ठेका श्रमिक कार्यरत हैं किंतु इनके लिए और ईनके आश्रितों के लिए समुचित मेडिकल सुविधा नहीं है अतः राजहरा में शासकीय 100 बिस्तर अस्पताल का निर्माण किया जावे,10 साल या उससे अधिक समय से एक ही ठेके में कार्यरत ठेका श्रमिकों को नियमित किया जावे, बीएसपी अस्पताल में ठेका श्रमिकों के ईलाज के लिए आयुष्मान कार्ड की सुविधा प्रारम्भ किया जावे, ठेका श्रमिकों के बच्चों को बीएसपी द्वारा संचालित डीएवी स्कूल में नियमित कर्मचारियों की तर्ज पर फीस लिया जावे, प्रस्तावित पैलेट प्लांट का निर्माण जल्द से जल्द शुरू किया जावे, ठेका की शर्तों में पारदर्शिता लाई जाए, भ्रष्ट अधिकारियों पर विधीसम्मत कार्यवाही की जावे।
भारतीय मजदूर संघ के प्रतिनिधिमंडल में मुख्य रूप से जिला मंत्री मुश्ताक अहमद, केन्द्रीय अध्यक्ष एम पी सिंग, राजहरा शाखा अध्यक्ष किशोर कुमार मायती और समाजिक कार्यकर्ता कष्णा कुमार सिंह उपस्थित थे।