सीआरपीएफ की नौकरी करने पर परिवारों को छोड़ना पड़ा गांव

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  • नक्सलियों के फरमान से डरे दो परिवार दूसरे गांव में बस गए
  • सुरक्षा बल ज्वाईन किए आदिवासी युवाओं के परिवारों पर ज्यादती

बीजापुर बस्तर संभाग के बीजापुर जिले में दो आदिवासी परिवारों को नक्सलियों ने महज इसलिए गांव, घर और खेती बाड़ी छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया, क्योंकि इन परिवारों के दो युवकों ने सीआरपीएफ की नौकरी ज्वाईन कर ली है। डरे सहमे ये परिवार अन्य गांव में जाकर ठौर तलाश रहे हैं। बीजापुर जिले के कुटरू थाना क्षेत्र के ग्राम दरभा गांव के दो आदिवासी परिवारों को नक्सलियों द्वारा गांव छोड़ने का फरमान जारी किए जाने के बाद ये परिवार दंतेवाड़ा जिले के चिकनपाल में शरण लेने पहुंच गए हैं। इन परिवारों का कसूर सिर्फ इतना है कि उनके दो सदस्य सीआरपीएफ में भर्ती होकर प्रशिक्षण ले रहे हैं। जिले के कुटरू थाना क्षेत्र का दरभा नक्सल प्रभावित गांव है, जहां नक्सलियों की गहरी पैठ है। जानकारी के अनुसार नक्सलियों ने दरभा के दो परिवारों को अपना घर, गांव खेती बाड़ी छोड़़कर जाने के लिए मजबूर कर दिया है। दोनों परिवारों के 11 सदस्य घर का सारा सामान समेटकर एक वाहन से चिकनपाल चले गए हैं, जहां वे सुरक्षित स्थान की तलाश कर रहे हैं। ये दोनों परिवार आदिवासी समुदाय के हैं और उनकी आजीविका खेती बाड़ी के भरोसे चलती है। उनके सामने सबसे बड़ी समस्या खेती बाड़ी छोड़ने की रही है, लेकिन जान बचाना भी जरूरी है। नक्सली फरमान नही मानते, तो जान से हाथ धोना भी पड़ जाता। इन‌ सब हालातों से मजबूर होकर इन परिवारों ने गांव छोड़ने का फैसला लिया है।

युवक को बंधक बनाकर दी वार्निंग

इस मामले में यह बात सामने आई है कि नक्सली परिवार के एक युवक को रस्सी से बांधकर जंगल की तरफ ले गए थे, जहां उसे परिवार सहित गांव छोड़ने व खेती-बाड़ी नही करने की हिदायत दी गई। इस फरमान के बाद दोनों परिवारों के लोग बारिश के मौसम में किन हालातों के बीच कैसे गुजर बसर करेंगे, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सोमवार की रात 30- 35 हथियारबंद नक्सली रंजीत कुंजाम के बड़े भाई को बंधक बनाकर ले जंगल ले गए। जंगल में मीटिंग कर गांव छोड़ने कहा गया और खेती-बाड़ी नहीं करने की हिदायत दी गई। नक्सलियों की चेतावनी के बाद कुंजाम परिवार सामानों के साथ जान बचाने के लिए गांव छोड़ गए।

पत्नी को पति की नौकरी की खबर नहीं

सूत्रों ने बताया कि दोनों परिवारों के करीब 11 सदस्य गांव छोड़कर चिकनपाल में बसने के लिए निकल गए हैं। दोनों परिवार दो पिकअप वाहनों पर सामान लादकर गांव से निकले। बताया गया है कि वे दंतेवाड़ा के नकुलनार के पास स्थित गांव चिकनपाल में अस्थाई बसेरा बनाने वाले हैं। जो दो युवक सीआरपीएफ में भर्ती हुए हैं उनमें से एक युवक की पत्नी को ही पति की नौकरी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उसने कहा कि मेरे पति सीआरपीएफ में कब भर्ती हुए मुझे भी नहीं मालूम। लेकिन बड़ी बात यह है कि माओवादियों को इसकी जानकारी हो गई थी।

वर्सन

इस संबंध में सूचना जरूर मिली है। दो परिवार गांव छोड़ गए हैं, लेकिन वे कोई कार्रवाई नहीं चाहते।