समिति से बचने मेडिकल का सहारा, स्कूल जाने के लिए फिट

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  • अपनी जाति की पोल खुद खोल रहे हैं प्रभारी प्राचार्य
  • जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति के समक्ष पेश होने से बचने अपना रहे हथकंडा

अर्जुन झा

जगदलपुर बस्तर संभाग के सुकमा जिला अंतर्गत एर्राबोर की शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला के प्रभारी प्राचार्य के. रामा यशवंत के जाति प्रमाण पत्र मामले में अब नया ट्विस्ट आ गया है। हालिया उपस्थिति तिथि पर वे मेडिकल की आड़ लेकर समिति के समक्ष हाजिर नहीं हुए, लेकिन स्कूल बराबर पहुंच रहे हैं। यानि इसमें भी फर्जीवाड़ा।

के. रामा यशवंत पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी हासिल करने का आरोप है। शिकायत के आधार पर के. रामा यशवंत को अपनी जाति प्रमाणित करने के लिए जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति के समक्ष पेश होने कई दफे नोटिस भेजे जा चुके हैं, लेकिन हर बार वे कोई न कोई बहाना बनाकर समिति के समक्ष पेश नहीं होते। पिछली बार समिति ने उन्हें नोटिस जारी कर 26 दिसंबर को वंशावली, मिसल रिकॉर्ड, कोटवार दस्तावेज व अन्य प्रमाणों के साथ बुलाया था। तब के. रामा यशवंत मेडिकल आधार पर पेश नहीं हुए। इस बीच एक नया खुलासा हुआ है कि प्रभारी प्राचार्य के. रामा यशवंत एर्राबोर के अपने स्कूल में नियमित रूप से उपस्थित हो रहे हैं। इससे जाहिर होता है कि एक फर्जीवाड़ा को छुपाने के लिए उन्होंने दूसरा फर्जीवाड़ा किया है। मेडिकल बेस पर वे छानबीन समिति के समक्ष तो पेश नहीं हो रहे हैं, लेकिन स्कूल बराबर पहुंच रहे हैं। यानि वे बिल्कुल भी अस्वस्थ नहीं हैं और उन्होंने फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट पेश किया है। सुकमा जिले की शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला एर्राबोर में पदस्थ प्रभारी प्राचार्य के. रामा यशवंत पिता के. नरसिंह बीजापुर जिले की भोपालपटनम तहसील के ग्राम मद्देड़ के निवासी हैं। उनके जाति प्रमाण पत्र मामले की जांच लंबे समय से चल रही है। उनके खिलाफ फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी हासिल करने की शिकायत शासन से की गई है। पिछले सात माह से उन्हें नोटिस पर नोटिस भेजकर जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति बीजापुर के समक्ष पेश होने और जाति से संबंधित आवश्यक प्रमाण रखने के लिए कहा जा रहा है। के. रामा यशवंत शुरू से ही तरह तरह के बहाने बनाकर समिति के समक्ष उपस्थित होने से बच रहे हैं। वे कभी मेडिकल आधार पर, तो पारिवारिक समस्या का हवाला देकर समिति के सामने उपस्थित होने से बचते आ रहे हैं। 26 दिसंबर 2023 को भी उन्हें उपस्थित होने के लिए नोटिस भेजा गया था, किंतु उस दिन भी पेश नहीं हुए। पता चला है कि उन्होंने मेडिकल लेकर 15 दिन का समय मांगा है। जबकि सूत्र बताते हैं कि के. रामा यशवंत शीतकालीन अवकाश के बाद 1 जनवरी 2024 से लगातार एर्राबोर स्कूल में सेवा देने पहुंच रहे हैं। स्कूल में सेवा देने के लिए पूरी तरह से फिट के. रामा यशवंत को समिति के सामने पेश होने के नाम पर ही आश्चर्यजनक ढंग से बुखार कैसे चढ़ जाता है, यह जांच का विषय है। कहा जा रहा है कि के. रामा यशवंत जाति के फर्जीवाड़े को छुपाने के लिए फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट का भी सहारा लेने लगे हैं। ज्ञात हो कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले 7 कर्मचारियों को शासन द्वारा सेवामुक्त कर दिया गया है। वहीं के. रामा यशवंत अनुसूचित जनजाति आयोग व अन्य कारणों का हवाला देकर जांच कमेटी के पास जाने से बचते आ रहे हैं। वे छानबीन समिति को अपनी जाति प्रमाणित करने के लिए दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। इससे अब यह साफ होने लगा है कि वे सच्चाई को छुपाने की फिराक में हैं।

दर्ज होगा धोखाधड़ी का मामला ?

के. रामा यशवंत जिस तरह जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति की आंखों में धूल झोंकते आ रहे हैं, उसे देखते हुए उनके खिलाफ धोखाधड़ी का आपराधिक मामला भी दर्ज कराया जा सकता है। कहते हैं सांच को आंच नहीं, तो फिर समिति के सामने पेश होने में डर कैसा? अगर सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए के. रामा यशवंत ने कोई गलत दस्तावेज पेश नहीं किए थे, फर्जी जाति प्रमाण पत्र संलग्न नहीं किया था, तो उन्हें पहला नोटिस मिलते ही निर्धारित तिथि पर जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति के समक्ष उपस्थित हो जाना चाहिए था, अपनी जाति से जुड़े सारे वांछित प्रमाण समिति को सौंप देने चाहिए थे। तब फिर उनकी ईमानदारी पर उंगली उठाने की जुर्रत कोई नहीं कर पाता। अस्वस्थता का हवाला देकर समिति के सामने उपस्थित होने के लिए पंद्रह दिन की मोहलत मांगने और उसी तथाकथित अस्वस्थता की अवधि में बराबर स्कूल जाने से तो यही लगता है कि के. रामा यशवंत पूरी तरह चुस्त दुरुस्त हैं। समिति से बचने के लिए उन्होंने फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट का सहारा लिया है। इस फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट मामले में भी उनके खिलाफ चार सौ बीसी का मामला दर्ज कराया जा सकता है।