- साय सरकार, प्रशासन करे समुचित व्यवस्था : विधायक
- बचे किसानों का धान बिकते तक जारी किया जाए टोकन
जगदलपुर बस्तर क्षेत्र के विधायक लखेश्वर बघेल ने कहा है कि धान खरीदी केंद्रों से किसानों को निराश लौटना पड़ रहा है। सैकड़ों किसान अब तक अपनी उपज नहीं बेच पाए हैं। ऐसे किसानों को धान बेचने के लिए पर्याप्त समय देना प्रदेश सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है। लखेश्वर बघेल ने कहा है कि आगामी 31 जनवरी तक धान बेचने या टोकन कटाने पहुंचे किसान निराश वापस नहीं लौटें, इसके लिए तत्काल संपूर्ण व्यवस्था करना प्रदेश की भाजपा सरकार और जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है। उन्होंने कि बस्तर जिले की 52 सहकारी समितियों के 79 धान खरीदी केंद्रों में प्रति खरीदी दिवस 2500 क्विंटल धान खरीदी की लिमिट तय की गई है। इसके आधार पर आगामी 30 जनवरी तक के लिए टोकन कट चुके हैं। 31 जनवरी का टोकन काटने का काम खरीदी केंद्र प्रभारियों ने वास्तविक और कर्जदार किसानों के लिए रख छोड़ा है।
इधर टोकन न कटने से रोजाना बड़ी संख्या में किसान खरीदी केंद्रों से निराश लौट रहे हैं। इस स्थिति से बचने हेतु जिले के सभी लेंपस प्रबंधकों ने धान खरीदी की लिमिट को प्रतिदिन 3000 क्विंटल करने की मांग कलेक्टर बस्तर से की है। यह मांग अभी विचाराधीन है। बस्तर विधायक ने आगे कहा कि जिले में पंजीकृत किसानों की संख्या 54943 में से 32610 किसान ही 18 जनवरी तक अपना धान बेच पाए हैं। करीब 22 हजार किसानों का धान बिक नहीं पाया है। किसानों का धान खरीदने कोई लिमिट और समय सीमा की बहानेबाजी नहीं चलेगी। बघेल ने कहा कि धान खरीदी के अंतिम दौर में खरीदी केंद्रों में तत्काल नोडल अधिकारी और पटवारी की अनिवार्य ड्यूटी लगाई जाए, जो किसानों को टोकन उपलब्ध कराने व गिरदावरी में हुई त्रुटि का सुधार करें। खरीदी केंद्रों में मजदूरों की संख्या बढ़ाकर प्रति खरीदी केंद्र 100 किया जाए। लखेश्वर बघेल ने कहा कि सभी 79 खरीदी केंद्रों में बफर स्टॉक की लिमिट से ज्यादा धान जमा हो गया है। जिले में बारह लाख क्विंटल धान खुले आसमान के नीचे पड़ा है। परिवहन की गति अत्यंत सुस्त है, जिसके कारण से खरीदी केंद्रों में धान खरीदी प्रभावित हो रही है।