देश वासियों ने कहा धन्यवाद मोदी जी……

0
127

भाजपा शहर अध्यक्ष सुरेश गुप्ता ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि आज करोड़ो देशवासियों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम परिवर्तित कर मेजर ध्यानचंद खेलरत्न पुरस्कार किये जाने पर देश के हजारों खिलाड़ियों सहित देश वासियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का आभार माना,, मेजर ध्यानचंद जी ने अपने असाधारण खेल से विश्व पटल पर भारत को एक नई पहचान दी व अनगिनत खिलाड़ियों के प्रेरणास्त्रोत बने।

सुरेश गुप्ता ने कहा जनभावना को देखते हुए खेल रत्न पुरस्कार को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का सही निर्णय,वे तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे जिनमें 1928 का एम्सटर्डम ओलम्पिक , 1932 का लॉस एंजेल्स ओलम्पिक एवं 1936का बर्लिन ओलम्पिक सम्मिलित है उनकी जन्मतिथि 29 अगस्त को भारत में “राष्ट्रीय खेल दिवस” के रूप में मनाया जाता है।हॉकी के खेल में उन्होंने भारत को वह कामयाबी दिलाई जो एक मिसाल बन गई। गेंद उनकी हॉकी स्टिक से लगते ही करिश्मा करने लगती। तभी तो उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता था। ध्यान चंद न सिर्फ हॉकी के खेल के महारथी थी बल्कि उनमें देशभक्ति भी कूट-कूटकर भरी हुई थी।

This image has an empty alt attribute; its file name is JHA-3.jpg

तभी तो जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने भी ध्यान चंद को सैल्यूट करना पड़ा था,मेजर ध्यानचंद की ख्याति और उपलब्धिया भारत की सीमाओं से बाहर भी गूंजती थी, भारत सरकार हॉकी के इस जादूगर को सम्मानित करने के लिए उन्हें हॉकी का जादूगर की संज्ञा दी। कांग्रेस अपनी परिवारवाद की राजनीति से कभी बाहर निकल ही नही पाई,,जंहा स्वयं पूर्व प्रधानमंत्री स्व: इंदिरा गांधी खुद को भारतरत्न दिलवाती हो,,,देश के विकास के लिए एवम देश मे खेलो के विकास के लिए खेलरत्न पुरुस्कार मेजर ध्यानचंद के नाम पर होने से लाखों खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ेगा एवम ऊर्जा प्राप्त होगी,,पूर्व प्रधानमंत्री स्व राजीव गांधी जी ने देश मे खेल के क्षेत्र में ऐसा कौन सा कार्य किया जो खेल पुरुस्कार उनके नाम पर किया गया,बोफोर्स विवाद में नाम आना और 1987 का विधानसभा चुनाव, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कॉन्ग्रेस द्वारा संयुक्त रूप से लड़ा गया। कश्मीर के इतिहास में खुले धाँधली के आरोपों के साथ सबसे बड़ी धोखाधड़ी के रूप में इसे याद रखा गया। यही वो समय था, जब उग्रवाद के साथ कश्मीर का रिश्ता गहरा होता चला गया। 1987 के इस ‘फारूक-राजीव एकॉर्ड’ के बाद कश्मीर हमेशा के लिए बारूद के ढेर पर बैठ गया और कश्मीरी पंडितों का नारकीय जीवन शुरू हो गया।कांग्रेस शुरू से ही जातिवाद एवम परिवारवाद की राजनीति करते आई, अपने निर्णय को देश एवम देश की जनता पर थोपती गई,, खेलरत्न पुरुस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद के नाम पर होंना उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है,मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से आग्रह करता हु की वो जल्द जेएनयू का भी नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम यूनिवर्सिटी करें।

This image has an empty alt attribute; its file name is MATH1-2.jpg

यह भावना सिंर्फ मेरी ही नही करोड़ों भारवासियों की है