केदार कश्यप ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र , बस्तर में आदिवासियों की ज़मीन को सरकार द्वारा बलात् अतिक्रमण करने बाबत तीन बिन्दुओं पर लगाया आरोप ..!!
12 अप्रैल 2021 को बस्तर सहित पूरे छत्तीसगढ़ में लॉक डाउन की स्थिति थी ! बस्तर में 144 धारा लागू थी,तब ऐसी कौन सी इमरजेंसी आ गई कि राज्य सरकार को आनन-फानन में 12 गांव के ग्रामीणों को बुलाकर जनसुनवाई कार्यक्रम रखा गया,जहां पर कांग्रेस के स्थानीय विधायक उद्योग के पक्ष में जाकर,खेती व उपजाऊ जमीन देने के लिए उद्योगपतियों के साथ मिलकर मंच के माध्यम से बात किया! जिसका पूरजोर विरोध कर स्थानीय ग्रामीणों ने अपनी जमीन देने से इनकार कर दिया ! ग्रामीणों द्वारा विरोध किए जाने पर स्थानीय आदिवासियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराया गया और फर्जी ग्राम सभा के लिए दबाव बनाने लगे! जबकि ग्रामसभा मे कोई भी प्रस्ताव पारित करने सम्बंधित बैठक नही हुआ था।
सीलगेर के निवासी लक्ष्मी मुचाकी के साथ घटी घटना किसी से छुपी नहीं है ! उसने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सरकार को अपनी पीड़ा गोंडी भाषा में बताई , जिसके तहत उसके 5 एकड़ जमीन को राज्य सरकार ने कैंप बसाने के लिए कब्जा कर लिया ! वह गरीब,अपने तीन बच्चों के साथ में न्याय मांगती फिर रही हैं,लेकिन सरकार का इस और कोई ध्यान नहीं है ! लक्ष्मी मुचाकी के पति को नक्सलियों ने मारा ,उसके बाद सरकार ने उस पीड़िता की पीड़ा को गंभीरता से संज्ञान में नहीं लिया ! क्या नक्सलियों के द्वारा मारे गए आम नागरिकों को सरकारी नौकरी में या मुआवजा में पात्रता हैं ? क्या उस पीड़िता को उसका लाभ मिलना चाहियें या नही ? कैंप की जमीन के लिए उस नक्सली पीड़िता को उसके एवज में दूसरी ज़मीन दी गयी क्या ? क्या उसका मुवावजा दिया गया ?
दंतेवाड़ा जिले के गीदम के हीरानार के लगभग 450 एकड़ में लघु उद्योग स्थापित करने के उद्देश्य से ले आउट लेने गई हुई टीम व जवानों पर आक्रोशित ग्रामीणों ने टँगीया व फरसी लेके दौड़ाने की खबर आई ! ग्रामीण अपने जमीन पर किसी भी तरह से सरकार को जमीन देने के पक्ष में नहीं है ! आपकी सरकार में यहां भी जबरन जमीन हथियाने का प्रयास किया जा रहा है ! ऐसे कई अन्य मामले हैं ! पूरे बस्तर में आदिवासियों के जमीन के विषय को लेकर लगातार मामले सामने आ रहे हैं , लेकिन सरकार इन मामलों में चुप्पी साधे बैठी हुई है! उक्त किसी भी मामलों में स्थानीय ग्राम पंचायत के बिना जानकारी व विश्वास में लिए कार्यवाही किया जा रहा है ! ज्ञात हो इन सभी विषयों में पांचवी अनुसूची व पेसा एक्ट संबंधी नियमों का खुला उल्लंघन हो रहा है !
एक तरफ तो आपकी सरकार टाटा की जमीन आदिवासियों को वापस करने के संदर्भ में पूरे देश मे ढिंढोरा पीटते हुए घूम रही है और अपनी पीठ थपथपाने में लगी हुई है ! वहीं दूसरी ओर इन सारे मामलो में आदिवासियों के जमीन पर अतिक्रमण के साथ आदिवासियों के विरोध में खड़ी हुई दिखाई दे रही है !आपकी सरकार की यह दोहरी नीति समझ से परे हैं ! क्या आपकी सरकार उन ग्रामीणों के आवाज में अपना साथ देगी या उद्योगपतियों साथ खड़ी रहेगी ! आप की सरकार से अपेक्षा है कि उपरोक्त मामलो में उचित न्याय की व्यवस्था आदिवासियों को प्राप्त हो सकेगी !