- कांग्रेसी रणनीति के आगे भाजपा के हौसले पस्त
- नगर निगम अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास पर एकजुट रहे कांग्रेस पार्षद
अर्जुन झा
जगदलपुर नगर निगम जगदलपुर की सियासत में सोमवार का दिन जहां कांग्रेस के लिए उम्मीदों भरा रहा, वहीं भाजपा को बड़ा सबक दे गया। कांग्रेस की कुशल रणनीति के आगे भाजपा नेताओं को मुंह की खानी पड़ गई। भाजपाइयों के हौसले पस्त पड़ गए। यह रणनीति ब्राम्हण, बनिया और युवा तीन नेताओं ने मिलकर बनाई थी।
नगर निगम जगदलपुर लंबे समय से सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी दल के बीच दंगल का मैदान बनकर रह गया है। दोनों दलों के नेताओं के बीच नूरा कुश्ती चली आ रही है। अविश्वास प्रस्ताव के फेर में बार बार भाजपा की छिछालेदार होती आ रही है। पहले महापौर सफीरा साहू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, जो धराशायी हो गया। अभी बीते ढाई तीन माह से भाजपा के निशाने पर नगर निगम अध्यक्ष कविता साहू हैं। उनके खिलाफ भी कलेक्टर को पत्र सौंपकर अविश्वास प्रस्ताव लाने बाबत पत्र सौंपा गया था। नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष संजय पाण्डेय निगम अध्यक्ष कविता साहू पर लगातार हमलावर रहे हैं। संजय पाण्डेय निगम अध्यक्ष पर अविश्वास प्रस्ताव के डर से बजट बैठक टालने के लिए साजिश रचने का आरोप लगाते रहे हैं। कविता साहू पर संजय पाण्डेय पलायन करने का भी आरोप लगाते रहे हैं। सोमवार को जब नगर निगम सामान्य सभा की बैठक हुई, तो खुद भाजपा पार्षद ही पलायन कर गए। इससे पहले तक कयास लगाया जा रहा था कि इस बार अविश्वास प्रस्ताव में भाजपा बाजी मार ले जाएगी। चर्चा थी कि कई कांग्रेस पार्षद भी अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में मतदान कर सकते हैं। मगर भाजपा के रणनीतिकारों ने ऐसा जाल बुना कि भाजपा पार्षद और नेता प्रतिपक्ष ही उलझ कर रह गए। कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने पूर्व विधायक रेखचंद जैन व रायपुर नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे को पर्यवेक्षक नियुक्त किया था। 10 मार्च से लेकर 11 मार्च तक पूरी रणनीति श्री जैन और श्री दुबे ने बनाई। शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुशील मौर्य के लिए भी विधानसभा चुनाव के बाद यह एक परीक्षा की घड़ी थी। अध्यक्ष सुशील मौर्य अपने साथियों के साथ सभी को गोलबंद करते रहे। कांग्रेस पार्षदों ने अपने सारे आपसी मतभेद भुलाते हुए एकजुटता का परिचय दिया। और अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा तक की नौबत नहीं आ पाई।
भाजपाईयों ने किया बॉयकॉट
नगर निगम के भाजपाई पार्षदों का कहना है कि नगर निगम सभापति कविता साहू अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने से डरकर सदन नहीं पहुंचीं और दीगर पार्षदों के समय का अपव्यय किया। भाजपा पार्षद दल खुद वॉक आउट कर गए। ज्ञात हो कि अब तक भाजपा खेमा आरोप लगाता आ रहा था कि नगर निगम अध्यक्ष (सभापति) कविता साहू कुर्सी जाने के डर से पलायन का रास्ता अपना रही हैं और पार्षदों को चिट्ठी लिखकर बैठक टलने का भ्रम फैला रही हैं। सोमवार को इसके उलट घटनाक्रम देखने को मिला। अब चर्चा है कि अविश्वास प्रस्ताव को लेकर नगर निगम सामान्य सभा की फिर से बैठक बुलाने की तैयारी में भाजपा पार्षद जुट गए हैं। वहीं दूसरी ओर कहा जा रहा है कि जब तक ब्राम्हण (प्रमोद दुबे), बनिया (रेखचंद जैन) और युवा (सुशील मौर्य) की बुद्धि का सहारा कांग्रेस लेती रहेगी, तब तक कोई भी अविश्वास प्रस्ताव पारित हो नहीं पाएगा। बस यह तिकड़ी यूं ही काम करती रहे।