महारानी अस्पताल में पहली बार इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी की उन्नत पद्धति से किया गया सफल इलाज

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जगदलपुर 25 जून 2022 – जगदलपुर के महारानी अस्पताल में गत 9 जून 2022 को भर्ती हुए बकावंड निवासी 20 वर्षीय नवयुवक की सोनोग्राफी डॉ मनीष मेश्राम रेडियोलोजिस्ट द्वारा की गई एवं उनके द्वारा तुरंत ही पता लगा लिया की मरीज के यकृत (Liver) में लगभग 250 एमएल तक का मवाद है। तत्पश्चात सर्जन डॉ दिव्या एवं रेडियोलोजिस्ट डॉ मनीष मेश्राम की मदद से सोनोग्राफी के ही द्वारा केवल एक पतली पाइप मात्र से मवाद को यकृत से बाहर निकालने की महत्वपूर्ण प्रक्रिया का निष्पादन किया गया एवं अगले ही दिन पुनः सोनोग्राफी करने पर पता चला की केवल 18 एमएल ही मवाद रह गया है अर्थात मरीज लगभग ठीक हो गया।

क्या होती है यह अंदरूनी अंगो में मवाद की बीमारी

शरीर के भीतर यदि किसी अंग में किसी वजह जैसे की किसी इंफेक्शन से मवाद भर जाए तो वह अंग खराब हो सकता है। ऐसे में हमारे शरीर के बहुमूल्य अंग को बचाने हेतु मवाद को बाहर निकालना एवं उसका उपचार करना लाज़मी हो जाता है । डॉ दिव्या (सर्जन) बतातीं है की ऐसे मवादो की अधिक मात्रा को बाहर निकालने के लिए ऑपरेशन का सहारा लेना पड़ता है, जिसमे पेट में चीरा लगाकर उक्त अंग तक पहुंचा जाता है और मवाद निकालने की प्रक्रिया की जाती है। मरीज़ की शारीरिक अवस्थानुसार इस प्रक्रिया की बहुत सी अनचाही परिणाम (side effects) मरीज़ को हो सकते है जैसे की अन्य सर्जरी में होतीं हैं। किंतु अब सोनोग्राफी की आधुनिक पद्धति पिग टेल पाइप से केवल एक छोटी सी छिद्र करके पतली पाइप द्वारा मवाद को बाहर निकाला जा सकता है। यह प्रक्रिया इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी के अंतर्गत आती है

क्या होती है इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी
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डॉ मेश्राम ने बताया की इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी वर्तमान समय में चिकित्सा विभाग की अत्यधिक उन्नत, विशेष कुशलता एवं गुणवत्ता युक्त शाखा है । इसमें सीटी स्कैन एवं सोनोग्राफी की सहायता से शरीर की विभिन्न बीमारियों का इलाज केवल एक पतली पाइप ही की सहायता से कर दिया जाता है। इसमें सीटी स्कैन द्वारा दिमाग, पेट, हाथ या पैरों के रक्त की नसों की विभिन्न बीमारियों तथा सोनोग्राफी द्वारा पेट के विभिन्न बीमारियों का इलाज किया जाता है जिसकी चर्चा आगे की गई है।

क्या होती है पिग टेल पाइप कैथेटराइजेशन

डॉ मेश्राम बताते हैं कि आरंभ में सोनोग्राफी का उपयोग केवल बीमारी का पता लगाने के उद्देश्य से ही किया जाता था किंतु बाद की निरंतर विकास की धारा से सोनोग्राफी का उपयोग कुछ बीमारियों जैसे अंगों में भरे मवाद, गुर्दे (Kidney) में पेशाब रूक जाना, यकृत में या पित्त की नली में रुकावट से पित्त न निकल पाने के इलाज के लिए उपयोग में करने की प्रक्रिया अपनाई गई। शरीर के भीतर मवाद होने की पहचान सहजता से उपलब्ध सोनोग्राफी द्वारा शीघ्रता से की जा सकती है तथा उन्नत पद्धति से सोनोग्राफी के ही द्वारा केवल एक पतली पाइप के माध्यम से भीतरी अंगो से मवाद को लोकल एनेस्थेसिया देकर एक छोटी सी छिद्र करके निकल लिया जाता है। इस प्रक्रिया को पिग टेल कैथेटराइजेशन (Pig Tail Catheterisation) कहते हैं। इस प्रक्रिया के लिए सोनोग्राफी की बहुत ही अच्छी ज्ञान एवं तजुर्बा होने की आवश्यकता होती है ताकि पाइप के सिरे को सटीक तौर पर बिना किसी अन्य अंग या नसों को नुकसान पहुंचाए, मवाद में ही ले जाया जा सके और मवाद बाहर निकाला जा सके।

सोनोग्राफी द्वारा पिग टेल पाइप के फायदे

सोनोग्राफी बहुत ही सहजता से उपलब्ध हो जाती है एवम इसके खर्चे भी बहुत कम होते है । पिग टेल से मवाद निकलने हेतु लोकल एनेस्थेसिया दिया जाता है जिसमे एनेस्थीसिया विशेषज्ञ की ज़रूरत नही पड़ती। इसमें मरीज को बेहोश नही किया जाता। मरीज़ सचेत अवस्था में ही रहते है और उन्हें ज्यादा किसी दर्द का अहसास भी नहीं होता। पिग टेल पाइप की प्रक्रिया बहुत ही कम समय में पूरी हो जाती है।

ज्ञात जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ की सरकारी चिकित्सा संस्थाओं में से डॉ अंबेडकर भीमराव अंबेडकर अस्पताल रायपुर, AIIMS रायपुर एवं CIMS बिलासपुर जैसी बड़ी बड़ी अस्पतालों में सोनोग्राफी द्वारा पिग टेल पाइप प्रक्रिया सामान्य तौर से की जाती है। महारानी अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ संजय प्रसाद ने बताया की सोनोग्राफी द्वारा पिग टेल पाइप प्रक्रिया अस्पताल के लिए एक मील का पत्थर है। संभवतः छत्तीसगढ़ के जिला चिकित्सालय स्तर पर रेडियोलॉजी विभाग में पिग टेल पाइप द्वारा मवाद निकालने की प्रक्रिया सर्वप्रथम महारानी अस्पताल जगदलपुर में की गई है। सरकारी संस्थाओं से अलग निजी संस्थाओं में यह प्रक्रिया बहुत ही महंगी होती है । यह बहुत ही उन्नत तकनीकी प्रक्रिया है जो की अब बस्तरवासियो को सहजता से कम से कम खर्चे में महारानी अस्पताल में उपलब्ध हो जाएगी।