नगरनार इस्पात संयंत्र के नौ पूर्व और वर्तमान अफसर सीबीआई के शिकंजे में

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  •  मेगा इंजीनियरिंग के बिल भुगतान के बदले 78 लाख की रिश्वत लेने का आरोप

अर्जुन झा

जगदलपुर राष्ट्रीय खनिज विकास निगम एनएमडीसी के नगरनार इस्पात संयंत्र अभी शिशु अवस्था में ही है और इस संयंत्र को भ्रष्टाचार की दीमक लग गई है। अगर केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई का आरोप सच है, तो यह नगरनार स्टील प्लांट के भविष्य के लिए चिंता वाली बात है। खबर है कि एक निजी कंपनी से बड़ी रिश्वत लेने के आरोप में सीबीआई ने नगरनार इस्पात संयंत्र के एक भूतपूर्व और आठ मौजूदा अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

सीबीआई ने मेगा इंजीनियरिंग के मालिक और एनएमडीसी के नगरनार इस्पात संयंत्र के नौ पूर्व एवं वर्तमान अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में एफआईआर दर्ज की है। देश के बहु चर्चित इलेक्टोरल बांड खरीदने वालों में दूसरे नंबर पर है नगरनार इस्पात संयंत्र। रिश्वत लेने के मामले में एनएमडीसी के भी अधिकारियों को नामित किया गया है। बताया गया है कि बस्तर जिले के जगदलपुर क्षेत्र में हालिया स्थापित एनएमडीसी एकीकृत इस्पात संयंत्र नगरनार से संबंधित कार्यों के लिए मेगा इंजीनियरिंग के 174 करोड रुपए के बिल को मंजूरी देने के एवज में लगभग 78 लख रुपए की कथित रिश्वत ली गई थी। खबरों के अनुसार रिश्वतखोरी के इस मामले में जिन अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है, उनमें संयंत्र के रिटायर्ड एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर प्रशांत दशा, डायरेक्टर प्रोडक्शन डीके मोहंती, डीजीएम पीके भुइया, डीजीएम नरेश बाबू, सीनियर मैनेजर सुब्रतो बनर्जी, रिटायर्ड सीजीएम फाइनेंसियल कृष्णमोहन, जीएम फाइनेंस के. राजशेखर, मैनेजर फाइनेंस सोमनाथ घोष शामिल हैं। कहा जा रहा है कि नगरनार इस्पात संयंत्र में इंटेकवेल, पंप हाउस, क्रॉसकंट्री पाइप लाईन समेत कुछ अन्य कार्यों के लिए टेंडर कॉल किए गए थे। लगभग 315 रुपए की लागत वाले इन कार्यों के लिए मेगा इंजीनियरिंग ने भी टेंडर भरा था। मेगा इंजीनियरिंग को सहजता से ठेका मिल गया। इसके बाद उसके बिलों के भुगतान के एवज में रिश्वतखोरी का खेल शुरू कर दिया गया। सीबीआई ने संबंधित अधिकारियों के लैपटॉप और विभागीय दस्तावेजों को अपने कब्जे में लेकर अगस्त 2023 से मामले की जांच शुरू की थी।पूरी तरह पड़ताल करने के बाद बीते 18 मार्च को मामला दर्ज किया गया था। बताया जाता है कि संबंधित दागी अफसरों को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है, मगर इसकी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हो पाई है। वहीं इस आशय की खबर आम होने के बाद एनएमडीसी और नगरनार इस्पात संयंत्र के अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। चर्चा तो यह भी है कि एनएमडीसी और नगरनार इस्पात संयंत्र के कुछ और बड़े अधिकारियों की गतिविधियों पर सीबीआई की नजर है।

भट्ठा बिठाने की साजिश ?

सीबीआई की कार्रवाई के बाद बस्तर अंचल में चर्चा चल पड़ी है कि नगरनार का भट्ठा बिठाने की साजिश रची गई है। शैशवावस्था में ही नगरनार स्टील प्लांट डायलिसीस पर जाता नजर आ रहा है। प्लांट में पहले चोरी की बड़ी घटनाएं कुछ ट्रांसपोर्टर्स और प्लांट के कुछ अफसरों की मिलीभगत से होती रही हैं। कुछ माह पहले ही नगरनार पुलिस ने चोरी का माल लदे दो ट्रक पकड़े थे। एक ही रजिस्ट्रेशन नंबर वाले दो ट्रकों के जरिए संयंत्र से चोरी का माल बाहर भेजा जाता था। लोगों का कहना है कि अब भ्रष्ट्राचार के आरोप लगाकर संयंत्र को खत्म करने की साजिश रची जा रही है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी शुरू से यह आरोप लगाती आई है कि केंद्र सरकार नगरनार स्टील प्लांट को निजी हाथों में सौंपने जा रही है। इसके लिए देश के एक बड़े और बहु चर्चित औद्योगिक घराने के साथ करार को अंतिम रूप दे दिया गया है। विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने इसे बस्तर के लिए बड़ा मुद्दा बना लिया था। वहीं बस्तर के सांसद दीपक बैज नगरनार इस्पात संयंत्र के तथाकथित निजीकरण के मुद्दे को संसद में लगातार उठाते और केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहे हैं। तब भाजपा के शीर्ष नेताओं ने खुले मंच से कहना पड़ा था कि नगरनार इस्पात संयंत्र का निजीकरण नहीं होगा। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के तगड़े विरोध के कारण ही केंद्र सरकार को इस स्टील प्लांट के निजीकरण का फैसला वापस लेना पड़ा। जब संयंत्र का निजीकरण नहीं हो पाया तो अब इसे कबाड़ में बदलने की साजिश शुरू कर दी गई है। सीबीआई की ताजा कार्रवाई को इसी नजरिए से देखा जा रहा है। वहीं नगरनार स्टील प्लांट के अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े अधिकारी की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस अधिकारी द्वारा प्लांट के अंदर की गोपनीय बातों को अपने कुछ चहेते पत्रकारों से साझा कर प्लांट को बदनाम किया जा रहा है।