बकावंड के बीएमओ की अनदेखी ने ले ली आदिवासी शिशु की जान

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  • टीके लगाने के बाद हुई नवजात शिशु की मौत 
    -अर्जुन झा-
    बकावंड विकासखंड बकावंड में खंड चिकित्सा अधिकारी की लापरवाही के कारण स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के ग्रामीणों के लिए घातक साबित हो रही है। टीकाकरण और ग्रामीणों के इलाज की मॉनिटरिंग बीएमओ डॉ. हरीश मरकाम ढंग से नहीं कर पा रहे हैं। नवजात बच्चों को टीके असावधानी पूर्वक लगाए जा रहे हैं। ऐसे ही लापरवाही से लगाए गए टीके ने डेढ़ माह के आदिवासी बच्चे की जान ले ली है। इस मामले में बीएमओ डॉ. हरीश मरकाम पूरी तरह जिम्मेदार हैं, मगर ठीकरा उस एएनएम पर फोड़ दिया जाएगा, जिसकी निगरानी में बच्चे को टीके लगाए गए थे। मामला विकासखंड बकावंड की ग्राम पंचायत वन कोमार का है। आदिवासी महिला मीनावती के डेढ़ माह के शिशु को उप स्वास्थ्य केंद्र गारेगा में 8 मई 2024 को पहला टीका बीसीजी लगा था। इसके बाद 26 जून 2024 को आईंपीवी का दूसरा टीका लगाया गया। इसके बाद पीसीवीओ, पीवी के तीन टीके लगाए गए। टीके लगने के बाद मां मीनवती अपने बच्चे को लेकर घर वनकोमार चली गई।

लेकिन रात में अचानक बच्चे को तेज़ बुखार हो गया एवं उसे सांस लेने में बड़ी तकलीफ होने लगी। मासूम बच्चे को बुखार से कांपते देखकर मीनावती घबरा गई। सिरप पिलाने के बाद बच्चे की तबीयत में थोड़ा सा सुधार होने पर मां ने चैन की सांस ली और बचा भी कुछ देर के लिए सो गया। रात्रि 2-3 बजे के बीच बच्चे को अचानक फिर से तेज़ बुखार चढ़ गया और बच्चे की तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई। दूसरे दिन सुबह 10 बजे मासूम बच्चे की मौत हो गई। इस विषय को लेकर नर्स वी. रेखा नागेश से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हो सकता है कि बच्चे को पहले से बुखार रहा हो एवं बच्चा कमजोर रहा होगा। या फिर वह बरसात में भीग गया होगा। उसी के चलते बच्चे की तबीयत बिगड़ी होगी। बच्चे की मां मीनाबती का कहना है कि उसका बच्चा पूरी तरह स्वस्थ था। हंसते खेलते हुए बच्चे को मैं उप स्वास्थ्य केंद्र गारेगा ले गई थी। मैं नहीं जानती कि कौन सा टीका लगने के कारण मेरे बच्चे की मौत हुई है। मैं अशिक्षित हूं मुझे किसी प्रकार का ज्ञान नहीं है।

नहीं हो रही मॉनिटरिंग
इस मामले में बकावंड के बीएमओ डॉ. हरीश मरकाम सूचना देने के बाद भी चुप्पी साधे बैठे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि मीना के बच्चे की मौत के लिए डॉ. हरीश मरकाम सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। बीएमओ का फर्ज डॉ. हरीश मरकाम सही ढंग से नहीं निभा रहे हैं। वे टीकाकरण व शासन की स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं की मॉनिटरिंग नहीं करते। बच्चों को लगाए जाने वाले टीके एक्सपायरी तो नहीं हो गए हैं इसकी भी जांच दूरस्थ गांवों के स्वास्थ्य केंद्रों या गांवों में तैनात एएनएम के पास जाकर करने की जरूरत नहीं समझते। जबसे वे बकावंड बीएमओ का प्रभार सम्हाल रहे हैं तबसे विकासखंड में स्वास्थ्य सेवा का बुरा हाल हो गया है। बकावंड सीएचसी में व्याप्त अव्यवस्था को लेकर इस संवाददाता ने पहले भी खबर प्रकाशित की थी। तब हाल जानने बस्तर सीएमएचओ को बकावंड जाना पड़ा था। सुदूर वन ग्राम पंचायत बनकोमार के आदिवासी दंपत्ति के बच्चे की मामले में भी बीएमओ डॉ. हरीश मरकाम की अकर्मण्यता सामने आई है बकावंड स्वास्थ्य केंद से जुड़ी नर्स रेखा नागेश की देखरेख में उक्त बच्चे को टीके लगाए गए थे। इसके बाद बच्चे की अचानक मौत हो गई। इससे आदिवासी समाज के लोग काफी उद्वेलित हो उठे हैं।उन्होंने कलेक्टर और विभागीय मंत्री तक इसकी शिकायत करने की बात कही है।