- जल संरक्षण की अमृत सरोवर योजना के करोड़ों हजम कर गए अधिकारी
- कागजों पर कार्य दर्शाकर राशि की कर ली बंदरबांट
- कोंटा ब्लॉक की दो दर्जनो पंचायतों में घपलेबाजी
अर्जुन झा-
जगदलपुर आदिवासियों के हिस्से के जल, जंगल और जमीन पर नेता -अफसर किस कदर करोड़ों के वारे न्यारे करते हैं, इसका एक बड़ा उदाहरण बस्तर संभाग के सुकमा जिले में सामने आया है। केंद्र सरकार द्वारा वर्षा जल के संरक्षण के लिए शुरू की गई अमृत सरोवर योजना का जमीनी क्रियान्वयन कराए बगैर कागजों पर ही अमृत सरोवर तैयार कर उसमें भ्रष्टाचार की डुबकी लगाई गई है।
वर्षा जल को सहेजने और उसके जरिए भूजल स्तर को बढ़ाने की बेहतरीन मंशा के साथ केंद्र सरकार ने अमृत सरोवर योजना शुरू की है। इसके तहत मध्यम दर्जे के तालाबों के निर्माण का प्रावधान है। मगर सुकमा जिले में इस महति योजना को जमकर पलीता लगाया गया है। सरोवर निर्माण महज कागजों पर ही दर्शा कर पूरी की पूरी रकम हजम कर ली गई है। सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड में इस योजना के नाम पर खूब भ्रष्टाचार किया गया है। कोंटा ब्लॉक की दो दर्जन से भी ज्यादा ग्राम पंचायतों में बिना सरोवर निर्माण कराए ही करोड़ों की राशि की बंदरबांट कर ली जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इसे लेकर भाजपा नेताओं के बीच जमकर चर्चा हो रही है। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ग्राम पंचायतों में अमृत सरोवर निर्माण की स्वीकृति दी गई थी, जहां के कर्ताधर्ता पूर्व सरकार के नेताओं के खासम खास थे।इन पंचायतों में 5 करोड़ रुपयों से अधिक राशि खर्च कर 35 तालाबों का निर्माण कराने का आंकड़ा सुकमा जिला कार्यालय के दस्तावेजों में दर्ज है। जिन पंचायतों में अमृत सरोवर तालाब निर्माण होना बताया गया है, उन पंचायतों में मौके का भौतिक सत्यापन कराया जाएगा, तो 25 फीसदी तालाब भी कहीं नजर नहीं आएंगे। सत्ता परिवर्तन के बाद कई स्थानों पर पोकलेन मशीन के सहारे खानापूर्ति करने का भी प्रयास किया जा गया है। मामले की निष्पक्ष जांच हुई तो कोंटा के तत्कालीन जनपद पंचायत सीईओ का बड़ा कारनामा उजागर हो सकता है। भाजपा के नेता मामले को लेकर मुख्यमंत्री से शिकायत करने की तैयारी में हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सुकमा जिले के कोंटा विकाखंड के धुर नक्सल प्रभावित इलाकों की दो दर्जन से अधिक ग्राम पंचायतों में अमृत सरोवर योजना के के तहत 35 से अधिक तालाबों का निर्माण कराया जाना बताया गया है।
अमृत सरोवर योजना के तहत हर तालाब निर्माण पर औसतन 12 लाख से लेकर 18 लाख 69 हजार की लागत आने की बात कही गई है। इस तरह कुल राशि 5 करोड़ से अधिक होती है।केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा 24 अप्रैल 2022 को अमृत सरोवर योजना की शुरूआत की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य जल संरक्षण करना रहा है। इस योजना के तहत देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवरों के निर्माण का प्रावधान है। सरोवरों का निर्माण 15 अगस्त 2023 तक पूर्ण किया जाना था। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा संचालित अमृत सरोवर योजना के तहत तालाब निर्माण में स्थानीय स्तर पर पंजीकृत मजदूरों को रोजगार देना था। सुकमा जिले के कोंटा इलाके में अधिकांश तालाब मशीनों के जरिए चारों तरफ नाम मात्र की खुदाई करवा कर राशि की बंदरबांट की गई है। अधिकांश मस्टर रोल भी फर्जी तैयार कर मजदूरों के हक पर भी डाका डाला गया है। कोंटा विकाखंड में 35 अमृत सरोवरों का निर्माण कराया जाना रिकार्ड में दर्ज है। कई पंचायतों दो-दो तालाब निर्माण कराने का उल्लेख दस्तावेजों में है। इन ग्राम पंचायतों में मुल्ला किसोली, चिंतागुफा, पुनपल्ली, मिसमा, गोरगुंडा शामिल हैं। गगनपल्ली पंचायत में एक तालाब पर 45 लाख की लागत दर्शाई गई है। वहीं कई ऐसी पंचायतें भी हैं जहां के लोग विकास कार्यो की बांट जोह रहे हैं, लेकिन योजनाएं पहुंच नहीं पा रही हैं। इन्ही में एक है गोगुंडा पंचायत, जहां कागजी तालाब निर्माण कराया गया है। तालाबों की जांच कराई गई तो कुछ ही पंचायतों को छोड़कर बाकी जगहों पर सब गोलमाल ही मिलेगा।
चहेते को बनवाया सीईओ
पूर्व सरकार के इशारे पर कागजों में तालाब का निर्माण राशि का जमकर बंदरबांट की गई है। केंद्र सरकार की योजना की राशि में घालमेल करने के पूर्व नेता ने अपने चहेते अधिकारी को कोंटा का प्रभारी जनपद सीइओ बनवा दिया फिर ये प्रभारी सीईओ लगभग 18 माह की कार्य अवधि में घालमेल कर वहां से निकलते बने। अब जांच होगी तो गाज पंचायत सचिवों पर गिरना तय है जबकि मास्टरमाइंड कोई और है। पता चला है कि सुकमा भाजपा के नेता मामले की शिकायत विभागीय मंत्री से भी कर संलिप्त अधिकारी को जिला मुख्यालय हटाकर निष्पक्ष जांच कराने की मांग कर चुके हैं। मामला यहां आकर अटक जाता है कि कोंटा इलाके में हुई अनियमिता की जांच कौन करेगा। जबकि पूर्व से ही आधा दर्जन पंचायतों की जांच का मामला फाईलों में दबा हुआ है। पूर्व सरकार के लाड़ले अधिकारी के रहते मामले की जांच होना संभव नहीं है जांच दल को ऐसा पाठ पढ़ाया जाता है कि जांच दल जांच करने कर साहस भी जुटा नहीं पाता।
बख्शे नहीं जाएंगे दोषी: किरण देव
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण देव ने बताया कि पूर्व सरकार के मंत्री के संरक्षण में कोंटा इलाके में कागजों में निर्माण कार्यो को अंजाम देकर केंद्र सरकार की राशि की बंदरबांट की गई है। मामले की शिकायत मुझे वहां के स्थानीय कार्यकर्ताओं से प्राप्त हुई है। श्री देव ने कहा कि तालाब निर्माण मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी और जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मामले की जांच के लिए कलेक्टर सुकमा को कहा गया है।