उद्योगों के बहाने कोंडेकसा को उजाड़ने की तैयारी; विरोध में उतरे ग्रामीण

0
1009

  •  उद्योगों के खिलाफ ग्रामीणों ने सांसद से लगाई गुहार

अर्जुन झा-

दल्लीराजहरा  लौह अयस्क नगरी दल्ली राजहरा से लगे ग्राम कोंडेकसा के 350 परिवार विस्थापन के डर से बेचैन हैं।ग्रामीणों का कहना है कि जगन्नाथ स्टील्स एंड पॉवर लिमिटेड, शारदा बेनिफिकेशन प्लांट के मालिकों और बीएसपी के अधिकारियों ने कोंडेकसा में उद्योग स्थापना के लिए झूठी जानकारी देकर मंजूरी हासिल कर ली है। कोंडेकसा आदिवासी बाहुल्य बस्ती है और यह पांचवी अनुसूची के तहत आती है। नियमानुसार यहां ग्रामसभा और सभी ग्रामीणों की सहमति के बिना कोई भी उद्योग स्थापित नहीं किया जा सकता। बिना ग्रामसभा की सहमति के बस्ती उद्योग लगाए गए हैं।

कोंडेकसा के प्रशांत नरेटी, सालिक टेकाम, माधव टेकाम, सोमन तुमरेकी, मनराखन उइके, कमल नारायण साहू, पवन साहू, रामेश्वर साहू आदि ग्रामीणों ने बताया है कि ग्राम कोंडेकसा में 1971-1972 की भांति बीएसपी प्रशासन एवं वर्तमान नवनिर्मित प्लाटों के द्वारा हमारे जल जंगल जमीन हथिया कर आदिवासियों के साथ अन्याय किया जा रहा है। हमारी मांग है कि बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार एंव प्रभावित 350 परिवारों को मुआवबा दिया जाए और सभी कम्पनियों से माल परिवहन में 90 प्रतिशत की हिस्सेदारी दी जाए हमारे जल जंगल जमीन के बदले सनी कम्पनियों से 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी की नीति बनाई जाए। उद्योगों से कोंडेकसा एंव नीचेपारा अति प्रभावित हैं। यहां के लोगों जन जीवन प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उद्योगों के प्रदूषण एवं प्रदूषित पानी सड़क, बुनियादी शिक्षा, स्वास्थ, पानी जिसका क्षतिपूर्ति सभी कम्पनियों से कराई जाए। ग्रामीणों ने उद्योग संचालकों के इस दावे को गलत बताया है कि वर्तमान में निर्माणधीन प्लाट श्री जगननाथ स्टील्स एंड पावर लिमिटेड एवं शारदा वेरिफिकेशन के निर्माणधीन प्लांट से 20 फीट की दूरी पर सड़क है और 1 किलोमीटर की दूरी पर कोई अवासीय कालोनी, कोई शैक्षणिक संस्थान चिकित्सा केंद्र और धार्मिक संस्थान मौजूद नहीं हैं। ग्रामीणों ने इसे सरासर झूठ बताया है। ग्रामीणों का कहना है कि इन

 

कम्पनियों द्वारा ग्राम कोंडेकसा को नक्शे से ही गायब करने की कोशिश की जा रही है, जहां 350 परिवार निवास कर रहें हैं। क्या उसे कम्पनियों को या सर्वे करने वाले अधिकारियों को दिखाई नही दे रहा है? गांव के सभी परिवारों को रोजगार तो दूर किसी भी प्रकार सुविधा नहीं दी जा रही है और बहारी व्यक्तियों को अधिक प्राथमिकता दी जा रही है। आदिवासियों की पारंपरिक प्रथा को कुचलने की कोशिश की जा रही है।आदिवासियों एंव ग्रामीणों के साथ छल किया जा रहा है। सीएसआर मद एंव खनिज न्यास निधि से वंचित किया जा रहा है। बीएसपी एवं सभी निजी कंपनियों से पुरानी एव वर्तमान सीएसआर फंड एव खनिज न्यास निधि की राशि का गांव को भुगतान किया जाए। गांव को बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार एवं प्रभावित 350 परिवारों को मुआवबा दिया जाए।आदिवासियोंi के जल जंगल जमीन अधिग्रहण कर एवं हमारे पूर्वजों के देवी देवता जो पहाड़ी पर स्थापित है वहां ग्रामीण पूजा अर्चना करने आने जाने के रास्तों को हमेशा के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है, जिसे खुलवाया जाए।