आत्मा को जागृत करना होगा क्योंकि वही है परमात्मा को पाने का माध्यम

0
995

मनुष्य के कल्याण के लिए आवश्यक है भीतर का प्रकाश आत्मा ही है परमात्मा को पाने का माध्यम, अतः उसे जगाना होगा। सहज योग ध्यान पद्धति पतन्जलि योग पद्धति के आठ अंगों यम नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार ध्यान धारणा समाधि के सिद्धान्त का अनुमोदन करती है, इसमें आरंभ के चार अंग भौतिक शरीर के सुख एवं रोग क्लेश निवारण के लिये हैं, और शेष चार मन मस्तिष्क एवं आत्मिक सुख का साधन हैं। ध्यान की अवस्था का अनुभूत प्रयोग ही श्री माताजी निर्मला देवि प्रणीत सहजयोग की विशेषता है। ध्यान की अनुभव सिद्धता का आनंद जो कुछ मिनिटों की प्रार्थना से ही लेना गूंगे के गुड़ के समान शब्दातीत है, जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ। सहज योग ध्यान के माध्यम से आत्मा के जागरण के द्वारा आनंद का अमृत जीवन को सीचता है, रोग शोक भय आशंका पीड़ा सबका नाश हो कर आत्मिक सुख प्राप्त होता है। मनुष्य का कल्याण ध्यान के द्वरा बड़ी सहजता से होता है इसी कारण इसे सहजयोग कहा जाता है। संसार की अनेक सभ्यताएं प्रकाश की आराधना श्रद्धा और समर्पण से करती रही हैं क्योंकि प्रकाश ही परम शक्ति का प्रतीक है जो जीवन को नवरता से अमरत्व की ओर ले जाने का प्रेरक है।

राष्ट्रीय सहजायोग ट्रस्ट नई दिल्ली एवं सहजयोग प्रतिष्ठान पुणे द्वारा सहजयोग स्वर्ण जयंति वर्ष के उत्सव रूप में देश भर में 16 भारतीय भाषाओं में लगातार 12 घण्टे तक ऑनलाईन ध्यान की अनुभव सिद्ध पद्धति का निशुल्क प्रशिक्षण के 16 कार्यक्रम आगामी 3 जनवरी 2021 रविवार को प्रातः 9 बजे से रात्रि 9 बजे तक आयोजित किये जाना तय है। जिसमें 40 मिनिट के प्रत्येक सत्र में प्रात: 9 बजे से रात्रि 9 बजे तक लगातार 16 भाषाओं में ध्यान सिखाया जाएगा। www.sahajayoga.org.in/live ऑन लाईन लिंक के साथ ही टोल फ्री नंबर 18002700800 पर संपर्क किया जा सकता है।

एस. एन दास समनवयक सहजयोग केन्द्र