केंद्र की मोदी सरकार व प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी के विधायक व सांसद पूरी तरह से किसानों के आर्थिक सम्पन्नता से ईर्ष्या करते है | उनकी मंशा व सोच यही रही है कि देश व प्रदेश का किसान हमेशा आर्थिक विषमता कर्ज के तले दबे रहे व निर्धनता के साथ अपना जीवन यापन करें | तभी तो आज की वर्तमान स्थिति में मोदी सरकार किसानों के साथ महाजनों सूदखोरों की तरह व्यवहार कर रही है | पहले तो केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार को धमकी दी कि यदि किसानों को बोनस दिया गया तो सेंट्रल पूल का चांवल जो केंद्र उठाती है उसे नहीं उठाया जायेगा | दूसरी ओर छत्तीसगढ़ से 60 लाख मीट्रिक टन चांवल लेने का कमिटमेंट कर सिर्फ 24 लाख मीट्रिक टन चांवल लेने की अनुमति प्रदान करना | जो कि पूरी तरह से गलत व किसानों के साथ न्याय संगत नहीं है |
कृषि बिल – आज देश भर के लाखों किसान करोड़ों किसानों का प्रतिनिधित्व करते हुए दिल्ली बॉर्डर पर अपने हक़ व मोदी सरकार की गलत व किसान विरोधी बिल का विरोध करते हुए अपनी लड़ाई लड़ रहे है | कृषि बिल जो पूरी तरह से किसान विरोधी व भविष्य में उपभोक्ताओं के जीवन पर सीधा नकारात्मक असर डालेगी | जैसे – आवश्यक वस्तु अधिनियम का निर्माण 1955 में उपभोक्ताओं व किसानों के हित में बनाया गया अधिनियम था | जिसमे कोई भी
उद्योगपति कॉर्पोरेट घराने के लोग किसी भी खाद्य सामग्री का एक निश्चित सीमा तक ही स्टॉक कर सकते थे | किन्तु मोदी सरकार ने स्टॉक की सीमा समाप्त कर दिया जिससे आने वाले समय में कालाबाजारी, महंगाई को बढ़ावा मिलेगा जिसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं के जीवन पर पड़ेगा | न्यूनतम समर्थन मूल्य की अस्पष्टता मंडी व्यवस्था को समाप्त करने का षड़यंत्र इस बिल के माध्यम से किया गया |
जिसमे किसानों को आर्थिक रूप से कमजोर व कुछ चहेते उद्योगपतियों को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से लाया गया ये बिल है | नाम किसानों का और फायदा उद्योगपतियों का |
यहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार मुख्यमंत्री माननीय भूपेश बघेल जी के नेतृत्व में किसानों के हितों व उनके आर्थिक विकास के लिए दृढ़ संकल्पित होकर कार्य कर रही है | केंद्र व राज्य के बीजेपी विधायकों सांसदों के के रुकावटों के बावजूद किसानों से 2500/- रु समर्थन मूल्य में धान की खरीदी करना पुरे देश के इतिहास में पहला राज्य है |
मोदी सरकार को भी अपने घोषणा पत्र के अनुसार किसानों की आय को दुगुना करने रासायनिक खादों की उपलब्धता व कृषि संबंधित उपकरणों व बीजों, खादों पर लगने वाली 5% जीएसटी करों को कम करने कृषि बिल को वापस लेने एवं प्रदेश के हिस्से का पर्याप्त मात्रा में बारदानों की उपलब्धता को सुनिश्चित करने पर तत्काल विचार करना चाहिए |