समूह की महिलाओं द्वारा उत्पादित सामग्री बेचने संजीवनी को देना पड़ता है कमीशन

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100 रुपये की सामग्री बिक्री पर 31.50 रुपये का कमीशन महिला समूह को राशि की कटौती के बारे में नहीं है जानकारी

जगदलपुर – नवीन गुप्ता

वनोपज का संग्रहण कर महिला समूह के द्वारा सामग्री तैयार की जाती है। तैयार किये गये उत्पादको को बिक्री करने समूह की महिलाओं को संजीवनी मार्ट को देना पड़ता है 31.50 रूपए का कमीशन। 100 रूपए की सामग्री की बिक्री करने पर साढ़े 31 रूपए वसूला जाता है कमीशन। यह राशि की कटौती क्यों की जाती है जिसकी जानकारी समूह की महिलाओं को अब तक नहीं दी गई है। मां दंतेश्वरी ज्योति महिला स्व सहायता समूह कुरंदी की महिलाओं ने बताया कि राशि की कटौती क्यों की जाती है विभाग द्वारा जानकारी नहीं दी जाती है।

ज्ञातव्य हो कि गांव में निवास करने वाले ग्रामीणों के लिए वनोपज आय का श्रोत है जिसे संग्रहित कर अपनी जीविका चलाते है। कुरंदी औषधी प्रसंस्करण केन्द्र में कार्यरत समूह की महिहलाओं के लिए यह घाटे का सौदा बना हुआ है। यहां कार्यरत महिलाओं ने बताया कि जंगलों से कच्चे वनोपज का संग्रहण कर कई प्रकार की औषधि तैयारी की जाती है जिसे बिक्री का एक मात्र केन्द्र संजीवनी मार्ट है वहां सामग्री बिक्री के एवज में 31.5 प्रतिशत कमीशन चुकानी पड़ती है तब सामग्री बिक्री हो पाती है। समूह की महिलाओं ने बताया कि पैकिंग के लिए दी जाने वाली पॉलिथिन, बिजली का बिल, ट्रांसपोर्ट का खचं सभी का वहन समूह के द्वारा किया जाता है जो भी बिक्री से राशि प्राप्त होती है इन्हीं सामग्री पर खर्च हो जाता है। महिलाओं ने बताया कि बड़ी मेहनत करने के बाद प्रतिमाह 18 सौ से 2 हजार रूपए बच पाता है। समूह में 11 परिवार में हमेशा होता है विवाद: समूह की महिलाओं ने बताया कि आय कम होने को लेकर हमेशा घर में विवाद होता रहा है। पतियों के द्वारा हमेशा समूह का काम छोड़कर कुलो भूतो करने की सलाह दी जाती है। इससे प्रतिमाह ज्यादा आमदनी होने की बात कही जाती है। समूह की महिलाओं ने बताया कि वर्षों से समूह को संचालित कने के कारण छोड़ने का मन भी नहीं करता है क्यों करें मजबूरन समूह से जुड़कर काम करना पड़ता है।

40 फिसदी सरकार घाटा सहती है: हाल ही में तीन दिवसीय प्रवास पर दिल्ली से पहुंचे ट्रायफेड के एक अधिकारी ने कहा कि वन संपदा संग्रहण करने वाले संग्राहको से हम व्यापार नहीं उनका विकास चाहते है। संग्राहको को लाभ मिले इसके लिए सरकार 40 प्रतिशत घाट वहन सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में लघु वनोपज एवं हर्बल उत्पादन करने वाले महिला समूह इनके कथनों के ठीक विपरित है समूह की महिलाओं द्वारा उत्पादित सामग्री से संजीवनी मार्ट कमा रहा है लाभ और महिलाओं का किया जा रहा है शोषण। जिसका जीता जागता उदाहरण कुरंदो औषधि प्रसंस्करण केन्द्र में देखा जा सकता है |