श्रीमद भगवत गीता वह सूत्र है, जो भगवान श्री कृष्ण जी द्वारा हमें बहुत ही सरलतम रूप में प्रस्तुत की गई है जिस प्रकार हमारे माता-पिता हमें सरल मार्ग पर चलाने का प्रयास करते हैं सहजता से किसी भी बात को हमारे समक्ष प्रस्तुत कर देते हैं इतने जटिल संसार को हमें अपने ज्ञान से समझा पाते हैं वैसे ही वासुदेव कृष्ण भगवान भी सरलकृत भाषा में गीता में हमें संदेश प्रेषित कर रहे हैं जिसका ज्ञान हमें प्रतिदिन संत श्री राम बालक दास जी की मधुर वाणी से ऑनलाइन सत्संग के द्वारा प्राप्त हो रहा है |
आज की गीता परिचर्चा में बाबा जी ने भगवान श्री कृष्ण के संदेश को और उनके गीता महत्व को स्पष्ट करते हुए बताया कि श्री कृष्ण जी ने बहुत सरल विज्ञान भगवत गीता के द्वारा बताया है, की अपने जीवन में मोक्ष की ओर हमें बढ़ना है, भगवान श्री कृष्ण कहते हैं हे अर्जुन जो पुरुष मोक्ष देने वाले साधनों में परायण रहता है सूक्ष्म आहार करता है इंद्रियों को वश में रखता है वह प्रकृति से भी परे अविनाशी पद को प्राप्त करता है, यहां इतनी सरल भाषा में भगवान श्रीकृष्ण हमें संदेश देना चाहते हैं कि मोक्ष देने वाले कर्मों का ज्ञान सभी जीव प्राणी को है परंतु अच्छे कर्मों को वह त्याग देता है और बुरे मार्ग की ओर चला जाता है मोक्ष देने वाले साधन या
मोक्ष क्या है हमें सर्वदा यही प्रतीत होता है कि मरने के बाद सद्गति प्राप्त कर जब हम परमात्मा में लीन हो जाते हैं उसी को मोक्ष कहते है परंतु आज बाबाजी ने बताया कि मोक्ष यह नहीं है, मोक्ष तो हमारे जीवन में कुंठा ना पैदा करें ऐसे कर्म है, जो हमारे जीवन को निर्मल बनाए, जो दूसरों को भी सुख पहुंचाए और स्वयं को भी सुखी रखे ऐसे कर्म जब हम करें और उन कर्मों को करने पर हमें पूर्णता का अनुभव हो वही मोक्ष है यह इसी जन्म में हमें प्राप्त होता है अतः मरने के बाद क्या होगा ऐसा ना सोच कर वर्तमान में जीवन को कैसे उद्देश्य पूर्ण पवित्र बनाना है यह सोचना चाहिए |
परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए प्रतिदिन की भांति ऋचा बहन के द्वारा मीठा मोती संदेश का प्रेषण ग्रुप में किया गया उन्होंने संदेश दिया कि
” बिना लक्ष्य के जीवन बिना पता लिखे लिफाफे जैसा है जो कही नहीं पहुँच सकता इसलिए महान लक्ष्य बनाये और महान बने।” जिस पर बाबा जी ने अपने विचार रखते हुए सभी को बताया कि कभी-कभी हम लक्ष्य बना तो लेते हैं परंतु उस पर हम अनुसरण नहीं कर पाते तो वह व्यर्थ हो जाता है जिस तरह घड़ी का कांटा घूमता तो है परंतु पहुंचता कहीं नहीं जीवन में लक्ष्य बनाकर हमें उस पर चलना भी आवश्यक होता है एवं लक्ष्य अवश्य रूप से ही बड़ा बनाना चाहिए और प्रभु पर पूर्णता विश्वास रखना चाहिए कि हम अपनी मेहनत और लगन द्वारा उसको प्रयत्नशील होकर प्राप्त कर सकते हैं आलस का त्याग लक्ष्य को प्राप्त करने में हमें निरंतर अथक प्रयास करना चाहिए |
पाठक परदेसी जी ने अपनी जिज्ञासा रखते हुए बाबा जी से प्रश्न किया की ताड़का और सुबाहु के प्राण एक एक वान में हर लिए राम प्रभु ने पर मारीच को बिना छती पहुंचाए सागर पार पहुंचा दिया इस रहस्य लीला पर प्रकाश डालने की कृपा हो भगवान, इसे स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने बताया कि मारीच के लिए रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने बताया है कि मारीच अपने ह्रदय में सोचता है कि इन नेत्र से श्री राम प्रभु के आज मुझे दर्शन हो पाएंगे और यह सौभाग्य मुझे मिल पाएगा मारीच जो की रामलीला का मुख्य सहायक था जिसका अभी अंतिम समय नहीं आया था तब राम जी ने बिना फर का वाण मारकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए उसे मुक्ति दिलाई |
इस प्रकार आज का सत्संग संपन्न हुआ
य गौ माता जय गोपाल जय सियाराम