अर्जुन झा
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के वन प्रांतर बस्तर के नगरनार स्टील प्लांट के संचालन के लिए राज्य सरकार विधानसभा में संकल्प पारित करा चुकी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ऐलान कर चुके हैं कि सरकार इस प्लांट को निजी हाथों में जाने से बचाने के लिए खुद चलायेगी। इधर केंद्र सरकार द्वारा प्लांट का डी-मर्जर किये जाने की तैयारियों के बीच बस्तरवासियों ने विरोध का जबरदस्त मोर्चा खोल दिया है और बस्तर जिले में लगातार प्रदर्शन किया जा रहा है। लिहाजा इस मामले को भटकाने के लिए 63 पदों पर नियुक्ति हेतु विज्ञापन जारी किया गया है। मगर इसमें चोरी चोरी चुपके चुपके वाला अंदाज साफ तौर पर सामने आ रहा है। यह आश्चर्यजनक है कि स्टील प्लांट के नाम पर नियुक्ति के बजाए चार खदानों में नियुक्ति की जायेगी।
जिसको लेकर तरह-तरह की आशंकाओं का बाजार गर्म है। बस्तर जिले में स्थापित किए जा रहे नगरनार स्टील प्लांट को केंद्र सरकार के इस्पात मंत्रालय ने विनिवेशीकरण की सूची में शामिल किया है। इसके बाद से बस्तर की जनता अपने साथ छलावा किये जाने के खिलाफ आंदोलन कर रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार का नैतिक, राजनैतिक समर्थन बस्तर को मिल रहा है। बस्तर सांसद दीपक बैज केंद्र सरकार को सांसद के बजट सत्र में बहस के दौरान जमकर खरी खरी सुना चुके हैं। उनके तीखे तेवरों को देखते हुए एनएमडीसी प्रबंधन एक प्रकार से बैकफुट पर है। एनएमडीसी नगरनार स्टील प्लांट निर्माण को लेकर अपनी पीठ थपथपा रही है। दूसरी तरफ स्टील प्लांट में सीधे नियुक्ति की बजाए बैलाडिला, किरंदुल, दोणामलई व पन्ना की खदानों में सिविल, खनन, विद्युत यांत्रिकी विभाग में नियुक्ति हेतु 66 पदों के लिए निविदा आमंत्रित की गई है। यहां यह भी सवाल बस्तर और छत्तीसगढ़ राज्य के लोगों के बीच हलचल पैदा कर रहा है कि जब छत्तीसगढ़ विधानसभा द्वारा नगरनार स्टील प्लांट को चलाने के लिए संकल्प पारित किया जा चुका है और राज्य के मुख्यमंत्री इस बाबत प्रयासरत हैं कि अगर केंद्र सरकार इस प्लांट का डीमर्जर करना ही चाहती है तो इसे छत्तीसगढ़ सरकार को चलाने के लिए दिया जाए लेकिन अब तक इस मामले में केंद्र सरकार का कोई सकारात्मक रुख सामने नहीं आया है और इसके साथ ही राज्य के बजट में भी नगरनार स्टील प्लांट के संचालन के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है।
यह ठीक है कि जब तक केंद्र सरकार से राज्य को इस प्लांट के संचालन की अनुमति नहीं मिल जाती अथवा केंद्र सरकार सहमति व्यक्त नहीं करती तब तक बजट में कोई प्रावधान करने का तूक नहीं है लेकिन इस विषय में अगर कार्य योजना का खाका खींच दिया जाता तो छत्तीसगढ़ की जनता को यह यकीन पक्का होता कि राज्य सरकार नगरनार स्टील प्लांट को किसी भी हाल में निजी हाथों में नहीं जाने देगी।