- हाईकोर्ट ने दी है बड़ी राहत, गेंद अब सरकार के पाले में
- चिंतित शिक्षकों ने मंत्री कश्यप को सौंपा ज्ञापन
जगदलपुर बीएड डिग्रीधारी सहायक शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ गई है। चिंतित शिक्षकों ने नारायणपुर में वन मंत्री केदार कश्यप को ज्ञापन सौंपकर नौकरी बचाने की गुहार लगाई।
इन शिक्षकों के मुताबिक 7 नवम्बर को हाईकोर्ट बिलासपुर में डीएड शिक्षकों की ओर से सरकार के विरुद्ध दाखिल कंटेम्प्ट केस की सुनवाई हुई। इस दौरान न्यायाधीश नरेंद्र कुमार व्यास ने कहा कि किसी की नौकरी छीनना समस्या का समाधान नहीं है। उन्होंने सरकार को बीएड प्रशिक्षित नवनियुक्त शिक्षकों को वर्ग-2 शिक्षक पद पर समायोजित करने का सुझाव देते हुए कहा कि ये चयनित हैं, मिडिल स्कूल में शिक्षण की योग्यता रखते हैं तथा इन्हें 1 वर्ष शिक्षण का अनुभव भी प्राप्त है। जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट ने बीएड प्रशिक्षितों को प्राथमिक हेतु योग्य नहीं माना है, परंतु माध्यमिक स्कूलों में शिक्षण के लिए ये योग्य हैं। इन 2900 सहायक शिक्षकों के प्रति सरकार की ज़िम्मेदारी है, तथा सरकार के पास अपनी शक्तियां भी हैं, जिनका प्रयोग कर इनकी सेवा सुरक्षित रखी जा सकती है। गौरतलब है कि 2 अप्रैल को हाईकोर्ट द्वारा तथा 28 अगस्त 2024 को सुप्रीमकोर्ट के फ़ैसले से लगभग 2897 बीएड प्रशिक्षित नवनियुक्त सहायक शिक्षकों की नौकरी ख़तरे में पड़ गई है। ये सभी सहायक शिक्षक बस्तर और सरगुजा संभागों के सुदूर अंचल में विगत एक वर्ष से सेवाएं दे रहे हैं। अप्रत्याशित रूप से नियमों में बदलाव की वजह से इन पर पदमुक्ति का ख़तरा मंडरा रहा है। सभी बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों ने पूर्व में भी वर्ग 2 (मिडिल) में समायोजन के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को विभिन्न शिक्षक संगठनों के माध्यम से ज्ञापन सौंपा है। उनका कहना है कि सहायक शिक्षकों को शिक्षक पद पर समायोजित कर दिया जाए। क्योंकि पूरी प्रक्रिया में अभ्यर्थियों का कोई भी दोष नहीं है। आज सभी 3000 शिक्षक सहित पूरे परिवार की आजीविका इसी नौकरी पर ही आश्रित है। मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी।इस दौरान हाईकोर्ट द्वारा सरकार को इन बिंदुओं पर विचार करने को कहा गया है।