उन्नीस साल बाद पिता बनने की खुशखबरी आई पर ख्वाहिश रह गई अधूरी, मौत को खुद गले लगाकर भाई को मौत के मुंह से निकाल लाया

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चेरपाल के जांबाज किशोर की अंतिम यात्रा में उमड़ा जन सैलाब

जगदलपुर। तीन अप्रैल को तर्रेम थाना क्षेत्र के जोनागुड़ा में सात घंटे तक चले मुठभेड़ में 22 जवानों ने अपनी शाहादत दी है। पिछले दो दिनों से सोशल मीडिया से लेकर देशभर में जवानों को श्रद्धांजलि दी जा रही है, परंतु इन जवानों की शहादत के पीछे और इनके शहीद होने के बाद परिवार और परिजनों का भविष्य क्या होगा, इसकी कल्पना कोई नहीं करता। देश की रक्षा में तैनात जवान सिर्फ जवान नहीं बल्कि किसी का पिता, भाई तो किसी का सुहाग होता है। शहीद 22 जवानों में से सोमवार को नए पुलिस लाईन में डीआरजी के छह जवानों को सलामी देकर ससम्मान पार्थिव देहों को उनके गृहग्राम रवाना किया गया। इनमें से एक जवान किशोर एंड्रीक जिला मुख्यालय से 14 किमी दूर गंगालूर मार्ग पर स्थित ग्राम पंचायत चेरपाल का निवासी था, जो जोनागुड़ा में नक्सलियों से हुए मुठभेड़ के दौरान बहादुरी से नक्सलियों का सामना करते हुए शहादत को प्राप्त हो गए।

घटना के प्रत्यक्षदर्शी जवानों की मानें तो शहीद होने से पहले किशोर ने अपने घायल तीन साथियों को फायरिंग के बीच से निकालकर सकुशल दूर ले आया था और उन्हें पानी पिलाकर आराम करने को कहकर खुद सुरक्षित स्थान पर मोर्चा लिए हुए था, तभी उसे अपने छोटे भाई हेमंत एंड्रीक की याद आई, जो इस मुठभेड़ में दूसरी टीम के साथ शामिल था। बताया जा रहा है कि हेमंत और किशोर दोनांे सगे भाई है और इस आॅपरेशन के लिए हेमंत आठ नंबर और किशोर चार नंबर की टोली में शामिल थे। किशोर को हेमंत जब कही नजर नहीं आया तो वह गोलियों की बौछार के बीच कवर फायर करते हुए भाई को सकुशल निकाल लाने नक्सलियों के बीच पहुंच गया और इसी दौरान नक्सलियों की गोली से वह शहीद हो गया। गृहग्राम चेरपाल में छोटेभाई हेमंत ने ही किशोर को मुखाग्नि दी।

वही किशोर के भतीजे आनंद एंड्रीक ने बताया कि सन् 2002 में किशोर का विवाह गांव में ही रिंकी से किया गया था। बताया जा रहा है कि पिछले 19 सालों बाद शहीद किशोर की पत्नी इस समय चार माह की गर्भवती है पर विडंबना तो यह है कि इतने वर्षों तक संतान सुख की लालसा रखने वाले किशोर ने पिता बनने के सुख से पहले ही नक्सलियों से लोहा लेते हुए अपनी शहादत दे दी।

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