- जब तक बस्तर का टाइगर है, तब तक आबाद होते रहेंगे जंगली जानवर
अर्जुन झा-
जगदलपुर छत्तीसगढ़ का टाइगर अभी जिंदा है और जब तक यह टाइगर जिंदा है, तब तक जंगल और जंगली जानवर सुरक्षित हैं।विलुप्त होते जा रहे वन्य प्राणियों की राज्य के विभिन्न भागों में नजर आ रही चहलकदमी इस बात का सबूत है कि छत्तीसगढ़ में वन्य प्राणियों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार हो गया है।
बीते चार पांच माह से बस्तर के सुकमा से लेकर अचानकमार और अन्य भागों तक बाघों की चहल कदमी नजर आने लगी है। बाघ अब रिहायशी इलाकों में भी पहुंचने लगे हैं। राज्य में बाघों की हलचल बड़ी सुखद बात है, मगर उससे भी बड़ी तसल्ली की बात यह है कि बाघों ने अब तक कोई जनहानि नहीं की है। वैसे तो बस्तर टाइगर की उपमा दिवंगत कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा को मिली हुई है, मगर बस्तर संभाग में एक और टाइगर हैं केदार कश्यप। महेंद्र कर्मा को बस्तर टाइगर की उपमा उनके द्वारा नक्सलियों के खिलाफ खुलकर बातें रखे जाने के कारण मिली हुई है। बस्तर में बहुत कम नेता ऐसे हैं, जो नक्सलियों के खिलाफ मुंह खोलते हों।
वहीं राज्य के वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप को टाइगर इसलिए कहा जाने लगा है क्योंकि वे सिर्फ नक्सलियों के खिलाफ ही नहीं बोलते, बल्कि सही मायने में जंगल रखवाले आदिवासी हैं। इसे संयोग कहें यहां विभागीय स्तर पर की जा रही पहल का नतीजा कि केदार कश्यप के वन मंत्री बनने के बाद छत्तीसगढ़ जंगल वन्य प्राणियों से आबाद होने लगे हैं। इस बीच कुछ विलुप्त प्राय वन्य प्राणियों की परिस्थिति जन्य कारणों से मौत भी हुई है। इन अपवादों को छोड़ दें तो बाघ जैसे संकट ग्रस्त प्रजाति के प्राणी की आबादी राज्य में बढ़ रही है। सबसे पहले बस्तर संभाग के सुकमा जिले के जंगलों में बाघ की चहल कदमी की खबर आई थी। यह बाघ संभवतः अभी सुकमा जिले में ही विचरण कर रहा है। इसके बाद अचानकमार टाइगर रिजर्व में कुछ दिनों पहले ही एक बाघ को जंगल में तफरीह करते देखा गया था। अचानकमार टाइगर रिजर्व में सालों बाद बाघ की धमक सुनाई दी है। बाघ की हलचल देखने के तुरंत बाद वन मंत्री केदार कश्यप ने अचानकमार टाइगर रिजर्व प्रबंधन को बाघ को सुरक्षित माहौल देने के निर्देश दिए। वहां अब बाघ की आबादी बढ़ाने के जतन किए जा रहे हैं। और अब कसडोल नगर के रिहायशी इलाके में बाघ घुस आया। जैसे ही वन मंत्री केदार कश्यप को कसडोल में बाघ की आमद की खबर मिली, उन्होंने तत्काल वन विभाग के अधिकारियों को बाघ और कसडोल के नागरिकों की सुरक्षा के उपाय करने के निर्देश दिए। इसके बाद वन महकमे ने बाघ को ट्रेंक्यूलाइज कर उसका रेस्क्यू कर लिया। इस बाघ को गुरु घासीदास तमोर पिंगला अभ्यारण्य में सुरक्षित छोड़ दिया गया। वन मंत्री केदार कश्यप ने इसके लिए वन विभाग की टीम को बधाई दी है।