- नगरीय निकाय चुनावों की हलचल के बीच शुरू हो गई नेताओं की जुबानी जंग
-अर्जुन झा-
जगदलपुर छत्तीसगढ़ में आगामी नगरीय निकाय चुनाव को लेकर सभी छोटी बड़ी पार्टियां तैयारी में जुट गईं हैं। संभावित उम्मीदवार भी वार्डों में सक्रिय नजर आने लगे हैं। पिछले कुछ चुनावों में कांग्रेस को विधानसभा, लोकसभा और उप चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा है। लगातार मिल रही हार के कारण पार्टी में न केवल भितरघात की स्थिति बनी है, बल्कि नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है।
इस बीच छत्तीसगढ़ के वन मंत्री केदार कश्यप ने प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष दीपक बैज पर तीखा हमला किया है। मंत्री कश्यप ने कहा- “अब दीपक बैज निकाय चुनाव में हार का चौका लगाएंगे। उन्हें हार का चौका लगाने की अग्रिम बधाई। उनके नेतृत्व में कांग्रेस तीन चुनाव हार चुकी है। हमारी शुभकामनाएं हैं कि वे हार का शतक भी बनाएं। रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर उन्होंने हार की हैट्रिक लगाई है। कांग्रेस के बड़े नेता अब उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं।” केदार कश्यप ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस और उसके नेताओं ने कभी भी आदिवासियों का सम्मान नहीं किया। वे सिर्फ आदिवासियों को अपना वोट बैंक समझते हैं और चुनाव आते ही ऐसा ढोंग दिखावा करते हैं मानो उनसे बढ़कर आदिवासियों का हिमायती कोई नहीं है। श्री कश्यप ने कहा कि राज्य के आदिवासी कांग्रेसी ढोंग को अब अच्छे से भांप चुके हैं। कांग्रेस के आदिवासी नेता ही आदिवासियों के असली दुश्मन हैं। मंत्री केदार कश्यप के मुताबिक कांग्रेस का रुख और चुनावी रणनीति लगातार हार का कारण बन रही है।
प्रदेश में 184 नगरीय निकाय
वर्तमान में छत्तीसगढ़ में कुल 184 नगरीय निकाय हैं। इनमें 14 नगर निगम, 48 नगर पालिकाएं और 122 नगर पंचायतें शामिल हैं। सभी राजनीतिक दल इस बार के नगरीय निकाय चुनाव में जीत के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं। कांग्रेस जो पिछली बार की हार की हताशा से जूझ रही है, इस बार जीतने के लिए कड़ी मेहनत करती दिख रही है। हालांकि अभी तक नगरीय निकाय चुनाव की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस साल के अंत तक चुनावों की तारीखों का ऐलान हो सकता है।
कांग्रेस के लिए चुनाव नहीं, चुनौती
चुनाव की तैयारियों के बीच सभी पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में लगी हैं। कांग्रेस के लिए यह चुनाव एक नई चुनौती है, जबकि भाजपा और अन्य दल अपने मजबूत प्रदर्शन को बनाए रखने के लिए सक्रिय हैं। आगामी चुनाव परिणामों से छत्तीसगढ़ की राजनीति की दिशा तय हो सकती है।