जगदलपुर… बस्तर जिला वैसे तो अलग-अलग प्रकार के खनिजों से शासन को करोड़ों रुपए का राजस्व देने वाला जिला है जितना राजस्व बस्तर जिला खनिज उत्खनन के नियमों का पूर्ण पालन करते हुए शासन को देता है उससे ज्यादा तो खनिज विभाग अवैध उत्खनन करने वालों से सेटिंगबाजी कर जेब गर्म कर लेता है… जी हां बात थोड़ी अजब है पर यही सच्चाई है दरअसल करोड़ों रुपए का राजस्व
शासन को देने वाले खनिज विभाग को बस्तर जिला प्रशासन ने एक प्रभारी अधिकारी के भरोसे छोड़ दिया है जो प्रभारी बनने से पूर्व ही अवैध खनिज का परिवहन करने वालों से सेटिंग बाजी कर पैसे वसूली के लिए मशहूर रहे हैं…
संभाग मुख्यालय जगदलपुर से लगे जनपद पंचायत जगदलपुर के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत आसना में विगत कई महीनों से सरपंच के संरक्षण में अवैध रेत उत्खनन का गोरखधंधा फल फूल रहा है जिसमें असामाजिक तत्वों की भागीदारी सरपंच के साथ होती है असामाजिक तत्व नदी से रेत निकालने के बाद अवैध रूप से भंडारित कर रखते हैं जिसे वर्षा काल में मनमाने रेट पर बेच देते हैं और खनिज विभाग सिर्फ कार्यवाही करने का दावा करता रह जाता है अवैध रेत उत्खनन के चलते ग्रामीणों का गांव की सड़कों पर चलना दूभर हो गया है बेतरतीब और बेहिसाब सड़कों पर दौड़ते ट्रैक्टरों से हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है कृषि कार्य के लिए खरीदे गए ट्रैक्टर अवैध रेत खनन के कार्य में लगे हुए हैं जिस पर कार्यवाही करने वाला कोई नहीं…
आसना के आश्रित ग्राम तामाकोनी में जिस जगह इंद्रावती नदी में अवैध रेत उत्खनन किया जा रहा है वह जगह इंद्रावती नदी के सबसे संवेदनशील क्षेत्र में आता है जहां नदी की चौड़ाई इंद्रावती की सामान्य चौड़ाई की अपेक्षा दोगुनी से भी ज्यादा है बेहिसाब और बेरोकटोक अवैध रेत उत्खनन के चलते वर्षा काल में तटबंध बहने का खतरा भी बना हुआ है जिससे नदी क्षेत्र से लगे हुए खेतों को भी नुकसान पहुंचने की संभावनाएं बनी हुई है सबसे दिलचस्प बात यह है कि अवैध रेत उत्खनन करने वाले ट्रैक्टर सरपंच के घर के सामने से ही दौड़ते फिरते हैं बावजूद इसके उन पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही ना होना आसना सरपंच को संदेह के दायरे में खड़ा करता है जब हमारे समाचार प्रतिनिधि ने गांव का दौरा किया तो ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच की जवाबदारी अब तो गांव के विकास और लोगों की सुविधाओं का ख्याल रखने की शायद खत्म हो चुकी है क्योंकि सरपंच महोदय का फोन हमेशा बंद ही रहता है यदा-कदा ही सरपंच महोदय पंचायत में नजर आते हैं दरअसल सरपंच महोदय पंचायत में आने वाले विकास कार्यों की ठेकेदारी में व्यस्त हैं उसे भी सरपंच एडवांस राशि का आहरण कर रोड रोलर की रफ्तार में चालू कर विकास की गाड़ी को आगे बढ़ा रहे हैं |
पूर्व में भी बस्तर जिला प्रशासन का अवैध रेत उत्खनन के संबंध में समाचार के माध्यम से ध्यान आकृष्ट कराया गया था जिसके बाद दो-तीन दिनों तक तो अवैध रेत उत्खनन का कार्य बंद हो जाता है जिसके बाद पुनः धड़ल्ले से असामाजिक तत्व सक्रिय हो जाते हैं जिनके गुर्गे राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर नदी घाट तक फैले रहते हैं जो शाम ढलते ही चंदा बांटने की प्रक्रिया में शामिल हो जाते हैं बताया जाता है कि हर ट्रैक्टर से ग्राम पंचायत आसना 200 से 300 रुपए की वसूली करती है जिसे पंचायत के राजस्व में नहीं गिना जाता और इस पैसे का रोजाना बंदरबांट होता है ग्रामीणों के अनुसार रोजाना 70 से 120 ट्रिप तक अवैध रेत का परिवहन ट्रैक्टर के माध्यम से होता है जिसका कोई हिसाब किताब पंचायत के पास नहीं है एक बार जब हमारे समाचार प्रतिनिधि ने सरपंच से बात की तो सरपंच ने अभद्रता करते हुए जानकारी देने से पहले तो इंकार कर दिया बाद में उनके द्वारा इस पूरे अवैध धंधे से उनका कोई लेना-देना नहीं होने की बात कही अब सवाल यह उठता है कि जब गांव का सरपंच इस तरीके का बात करें तो फिर गांव की व्यवस्थाओं को कौन सुधार सकता है… फिलहाल तो खनिज विभाग सेटिंग बाजी में व्यस्त है और पूरे जिले भर में अवैध रेत उत्खनन का कारोबार फल फूल रहा है जिसे समय-समय पर खनिज विभाग जुर्माने की कार्यवाही कर अपनी पीठ थपथपा कर शाबाशी देने में लगा हुआ है…
अब देखना यह है कि ग्राम पंचायत आसना ने कितनी राशि का चुना अवैध रेत उत्खनन कार्य से शासन को लगाया है और इस खेल में कितने लोग शामिल हैं लेकिन इस प्रकार खनिज विभाग की मौन ग्रामीणों के लिए परेशानियों का सबब बना हुआ है गांव की सड़कों की खस्ताहाल हालत खुद ही बयान करती है कि ग्राम पंचायत आसना की सुध लेने वाला अब नहीं रहा…