बालोद – दो दिन पूर्व छत्तीसगढ़ का बालोद जिला पूरी तरह ग्रीन जोन में रहता आया है। इससे पूर्व यहां एक भी कोरोना केस नही था। पर जिले के दल्लीराजहरा व कोकान में मुंबई प्रवास से ग्राम पहुँचे चार युवक एक के बाद चारो तथा 72 घंटे बाद अन्य स्थलों से 7 और कोरोना पॉजिटिव केस मिलने से जिला प्रशासन के मध्य हड़कंप मच गया। जो 11 केस यहां सामने आए वह सभी प्रवासी लोगो के ही है। बताया जा रहा कि अभी भी कई लोग प्रवास से घर वापसी कर रहे है। हालांकि उन्हें प्रशासन द्वारा क्वारेंटाइन में रख रहे है। परंतु जिस तरह अपुष्ट खबर मिल रहा कि कुछ क्वारेंटाइन में रखे छुप छिपाकर बाहर निकलने की कवायद कर रहे हो वह किसी बड़े खतरे से कम नही । इससे आगामी दिनों स्थिति बड़ी गंभीर हो सकता है। कुछ प्रबुद्ध लोग यह सवाल उठा रहे कि क्या बाहर मजदूरी हेतु गए व हाट स्पॉट स्थल से लौट रहे प्रवासियों को लाकडाउन में लाया जाना खासकर वो जो पॉजिटिव केस मिल रहे है वह उचित है, या अनुचित। इधर आम लोगो द्वारा लाकडाउन के तीसरे चरण तक नियमों का काफी हद तक पालन किया गया परंतु आज जिस तरह जिले में बिजली आफिस , बैंक स्थल, किराना दुकानों, तथा अन्य जगहों पर सोशल डिस्टेंशिंग नियमों का धज्जियां उड़ाते हुए दिखे।उससे समझा जा सकता है कि लोग कोरोना जैसी महामारी संक्रमण को लेकर अपने आप मे कितने समझदार हो रहे है। बात यदि किराना व्यापारियों की जाए तो वे सभी ग्राहकों को दूरियां बनाये रखने की अपील करते है परंतु लोग है कि सभी को सामग्री जल्द से जल्द से मिले ऐसे में दुकानदार भीड़ व्यवस्थित करने में लगे या व्यापार यह दुविधा बन जाता है। वही जब से क्षेत्र में कोरोना संक्रमित केस सामने आए है पुलिस प्रशासन की ड्यूटी संक्रमित क्षेत्र में है। ऐसे में पुलिस प्रशासन किस किस ओर ध्यान रखें यह भी मुश्किलें बढ़ा रहा है। फिर भी प्रशासन अपना फर्ज निभा रहा है।
दूसरी ओर अब प्रशासन द्वारा शिक्षकों की ड्यूटी घर घर जाकर ये पता लगाएंगे कि कहीं कोई सर्दी बुखार से पीड़ित तो नहीं है या कोरोना से संक्रमित तो नहीं है | इस कार्य प्रशासन द्वारा शिक्षकों को न तो किसी विशेष प्रकार की ट्रेनिंग दी गई है और न ही सुविधा प्रदान की जा रही है, एक तरह से प्रशासन शिक्षकों को अपनी उद्देश्य की पूर्ति के लिए भयावह स्थिति से निपटने के लिए धकेल रहा है | जबकि यह कार्य स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा किया जाना चाहिए |