छत्तीसगढ़ के निजी स्कूल की परीक्षा में गुजरात की कला को लेकर पूछे प्रश्न

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छत्तीसगढ़ के एक निजी स्कूल द्वारा कक्षा — के प्रश्न पत्र में गुजरात की कला व संस्कृति के बारे में प्रश्न पूछे जाने का मामला सामने आया है. यहां द्रोणाचार्य स्कूल में कला के विषय में गुजरात की हस्तकला को लेकर प्रश्न पूछा गया है जिससे बच्चे असमंजस में हैं. उनके अभिभावकों द्वारा यह कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में आखिर गुजरात मॉडल का प्रश्न क्यों पूछा जा रहा है?

जानकारी के अनुसार द्रोणाचार्य स्कूल में कक्षा — के कला विषय के प्रश्न पत्र मेंगुजरात के कच्छ की प्रसिद्द कला को लेकर प्रश्न पूछा गया है. प्रश्न पत्र में पूछा गया है कि कच्छ का प्रसिद्द कढ़ाई आर्ट या मिरर आर्ट को बनाने में आपको क्या क्या अनुभव हुआ अपने शब्दों में लिखिए? वहीं उसी से सम्बंधित दूसरा प्रश्न है कि कच्छ में इस कारीगरी का क्या महत्व है वर्णन कीजिए. अब छत्तीसगढ़ में प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों से इस प्रश्न का क्या लेना-देना है यह स्कूल प्रबंधन ही बता सकता है. छत्तीसगढ़ की कला व संस्कृति के बारे में शिक्षा देने के बजाय गुजरात के प्रश्न आखिर क्यों पूछे जा रहें हैं और क्या स्कूल प्रबंधन द्वारा इस विषय में बच्चों को पढ़ाया गया है अथवा उनके सिलेबस में यह है की नहीं यह भी देखने वाली बात होगी.

छत्तीसगढ़ में कई प्रसिद्द ऐतिहासिक धरोहर है, पुरातन संस्कृति में छत्तीसगढ़ के उल्लेख और उसके इतिहास के बारे में प्राथमिक शालाओं के बच्चों को जानकारी देने के बजाय आखिर गुजरात मॉडल के बारे में उन्हें क्यों पढ़ाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ के प्रसिद्द भोरमदेव मंदिर, विश्व विख्यात बस्तर की कला, संस्कृति व प्रकृति के प्रति उनकी आस्था के बारे में जानकारी देने के बजाय अन्य राज्यों की कला व संस्कृति से बच्चों को अवगत कराना कहाँ तक सार्थक होगा. यदि अभी इन बच्चों को हमारे प्रदेश से जुड़ी विशेष उपलब्धियां, जिलों के बारे में पर्यटन स्थलों, छत्तीसगढ़ की हस्तकला जैसे बस्तर आर्ट व एनी विधाओं के बारे में शिक्षा प्रदान न कर उन्हें गुजरात के बारे में प्रश्न पूछना अनुचित है |

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वर्तमान में छत्तीसगढ़ में जिस प्रकार से यहां की कला व संस्कृति के प्रसार, उसके संरक्षण व हमारे धार्मिक व पर्यटन स्थलों को सहेजने हेतु प्रयास किया जा रहा है उससे बच्चों को अवगत कराना उनके मानसिक व बौद्धिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है. इससे उन्हें अपने प्रदेश के बारे में उसकी संस्कृति व कला के बारे में उन्हें जानकारी होगी जो आगे चलकर भविष्य में उनके लिए लाभकारी होगा, ऐसे प्रश्नों को दरकिनार कर अन्य राज्य के बारे में बच्चों को तालीम देना व्यर्थ है.हमारे छत्तीसगढ़ में कई वीर योद्धा, महान स्वतंत्रता सेनानियों जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए अपने प्राण भी त्याग दिए, कई ऐसी प्रसिद्द धर्म स्थली है जो महाभारत व रामायण जैसे कथाओं को शास्वत करती हैं उन्हें अपने प्रश्न कोष में शामिल नहीं करना विचारणीय है.

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