रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने प्रदेश सरकार पर आदिवासियों के साथ छलावा करके अपने आदिवासी विरोधी चरित्र से आदिवासियों का ध्यान भटकाकर भ्रमित करने के लिए जमकर निशाना साधते हुए कहा है कि इसके लिए कांग्रेस और प्रदेश सरकार सफेद झूठ का सहारा ले रही है। कश्यप ने कहा कि एक ओर प्रदेश सरकार आदिवासी नृत्य महोत्सव करके आदिवासियों के नाम पर राजनीति कर रही है, वहीं दूसरी ओर यह प्रदेश सरकार आदिवासियों के साथ अन्याय और उनके उत्पीड़न की सारी हदें लांघ चुकी है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कश्यप ने कहा कि प्रदेश सरकार के पुरज़ोर संरक्षण में धर्मांतरण का कुचक्र तेज़ी से चल रहा है जिसमें आदिवासी समाज, जनजाति समाज को टारगेट करके उनकी संस्कृति और आस्था केंद्रों पर हमला किया जा रहा है। इन तमाम बातों के चलते आज आदिवासी जब प्रदेश सरकार और कांग्रेस से विमुख हो रहा है, तब आदिवासी समाज का ध्यान भटकाने के लिए, उन्हें भ्रमित करने के लिए राजधानी में आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन करके ख़ुद को आदिवासी-हितैषी बताने और आदिवासियों के नाम पर एक नया पाखण्ड रचने में प्रदेश सरकार लगी है। कश्यप ने कहा कि आज जबकि आदिवासियों का जीवन दूभर हो गया हो, सरकारी योजनाओं का लाभ उनको नहीं मिल रहा हो, उनके ख़िलाफ़ नित-नए षड्यंत्र रचे जा रहे हों, ऐसे में किसी भी तरह के नृत्य महोत्सव के आयोजन से आदिवासी समाज का कोई विकास नहीं होने वाला है। यह आईने की तरह एकदम साफ़ है और भाजपा आदिवासी समाज को जागृत करने का काम पूरी निष्ठा के साथ कर रही है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री कश्यप ने कहा कि शासन-प्रशासन की प्रताड़ना के चलते आदिवासी आत्महत्या करने के लिए विवश किए जा रहे हैं, पुलिस की आड़ लेकर प्रदेश सरकार आदिवासियों पर गोली चलवा कर उनकी जान ले रही है, निर्दोष और भोले-भाले आदिवासियों को पकड़कर उन्हें नक्सली घोषित कर रही है। अपने साथ हो रहे अन्याय के परिमार्जन के लिए लंबे समय से आदिवासी आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन आदिवासियों की पीड़ा और समस्या सुनने के लिए न तो शासन को फ़ुर्सत है और न ही प्रशासन को इसमें कोई रुचि ही है। एक तरफ़ प्रदेश सरकार सिलगेर में आदिवासियों पर गोलियाँ चलवा रही है, दूसरी तरफ़ हसदेव अरण्य से लेकर बस्तर के ज़िलों से पैदल चलकर आदिवासी रायपुर आ रहे हैं। अनके जल-ज़मीन-ज़ंगल से जुड़े मुद्दों पर ज़िला या संभाग स्तर पर न तो कोई सुनने वाला है और न ही उनकी पीड़ा को समझने वाला है। सैकड़ों किलोमीटर की दूरी भूखे-प्यासे तय करके आदिवासी राजधानी जाते हैं और राजधानी आकर राज्यपाल से मिलकर वे यह बताते हैं कि सरकार का कोई व्यक्ति उनसे मिलने तक नहीं पहुँचता। कश्यप ने कहा कि काफ़ी मशक़्क़त के बाद सरकार तक अपनी बात रख पाने वाले आदिवासियों के प्रति प्रदेश सरकार की संवेदनहीनता इतनी है कि प्रदेश सरकार की ओर से कोई व्यवस्था नहीं किए जाने के कारण इन आदिवासियों को वापस भी अपने गाँव पैदल ही लौटने के लिए विवश होना पड़ता है!
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कश्यप ने कहा कि दूसरी ओर सरगुजा संभाग में पण्डो जनजाति के लगभग 30-35 लोगों की मृत्यु हो चुकी है और प्रदेश सरकार अभी तक इन आदिवासियों में बीमारी के लक्षणों और कारणों का पता तक नहीं लगा सकी है। प्रदेश सरकार विशेष संरक्षित पण्डो जनजाति के संरक्षण में बुरी तरह विफल रही है। श्री कश्यप ने कहा कि आदिवासियों के प्रति प्रदेश सरकार की दुर्भावना इतनी है कि पत्थलगाँव में नशे के सौदागरों द्वारा धार्मिक जुलूस में श्रद्धालुओं पर वाहन चढ़ाकर कुचले जाने की वारदात में गंभीर रूप से घायल आदिवासियों को प्रदेश सरकार ने एक धेला तक बतौर मुआवजा नहीं दिया है। इसी तरह प्रदेश के सभी इलाक़ों में आदिवासी बलात्कार समेत तमाम अपराधों के शिकार हो रहे हैं।