- ग्रामीण विकास की हरचंद कोशिश का दूसरा नाम है जैन
(अर्जुन झा)
जगदलपुर ग्रामीण विकास ही समग्र विकास की बुनियाद है। इस अवधारणा पर काम कर रहे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सोच को अपने निर्वाचन क्षेत्र में साकार कर रहे जगदलपुर विधायक और छत्तीसगढ़ शासन के संसदीय सचिव रेखचंद जैन ग्रामीण क्षेत्रों के विकासदूत के रूप में उभरे हैं। आमतौर पर ज्यादातर जन प्रतिनिधियों का रुझान अपने शहरी इलाकों की चमक धमक पर केंद्रित रहता है। शहरी क्षेत्रों में तो पहले से ही क्रमिक विकास होता रहा है।विकास की असल जरूरत उन ग्रामीण क्षेत्रों में है, जो ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले राज्य की मूल पहचान होते हुए भी विकास से वंचित रह गए। चार साल से विधायक रेखचंद इन ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की चांदनी छिटका रहे हैं।
वे हर रोज गांवों की ओर रुख करते हैं और कोशिश यह रहती है कि जितना विकास बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर शहर के वार्डों का हुआ है, वैसा ही विकास किसी ग्राम पंचायत के गली मोहल्लों में भी हो। जो नागरिक सुविधाएं शहरी जनता को उपलब्ध हैं, वहीं सुविधा ग्रामीण जनता को भी नसीब हो। विकास में भेदभाव रेखचंद को बर्दाश्त नहीं। जब सभी को समान नागरिक अधिकार प्राप्त है तो सभी क्षेत्रों में विकास भी समान रूप से होना ही चाहिए। रेखचंद मानते हैं कि शहरी विकास के साथ साथ विकास में ग्रामीण क्षेत्रों को प्राथमिकता मिलनी चाहिये। ग्रामीण क्षेत्रों में विकास होगा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, गांव समृद्ध होंगे तो शहरों का स्वाभाविक विकास हो जायेगा। गांवों का बोझ शहर पर न हो, शहर का बोझ गांव पर न हो, शहरी और ग्रामीण विकास में संतुलन बनाए रखा जाए, गांव आत्मनिर्भर हों, ग्रामीण आबादी शहरों पर निर्भर न हो, इसकी जिम्मेदारी जनप्रतिनिधियों की है कि वे ग्रामीण क्षेत्रों को विकसित करें। रेखचंद यही कर रहे हैं। वैसे तो उनका विकासवाद जगदलपुर विधानसभा क्षेत्र के हर गांव में धूम मचा रहा है लेकिन उड़ीसा सीमा से लगे नगरनार को किसी सुव्यवस्थित नगर का स्वरूप देने के लिए उन्होंने जो भागीरथी प्रयास किया है, वह बस्तर में विकास की राजनीति की एक बेमिसाल मिसाल है। इंद्रावती नदी के स्नेह से तृप्त नगरनार एनएमडीसी निर्मित स्टील प्लांट के लिए भी नई पहचान बना रहा है। प्लांट की बोली लगने की तैयारियों की खबरों को लेकर नगरनार सुर्खियों में है। ऐसे दौर में राजनीति से परे नगरनार के ग्रामीण विकास की बात करें तो विधायक रेखचंद की सक्रियता की छाप यहां पर देखी जा सकती है। अपनी विकास निधि के साथ साथ सीएसआर मद से लेकर ग्रामीण विकास मद और बस्तर विकास प्राधिकरण मद से इस क्षेत्र का कायाकल्प करने में रेखचंद जैन ने जो जीवट दिखाया है, वह प्रेरक है। सभी का सहयोग हासिल कर लेना रेखचंद की खूबी है। विकास होना चाहिए, इसके लिए जहां से भी फंड का इंतजाम सम्भव है, वह किया जाए। रेखचंद की विकासपरक राजनीति का फंडा यही है। जहां विकास की चाह हो, वहां विकास की राह निकल ही आती है। बस शर्त यह है कि राही रेखचंद जैसा हो। नगरनार में इतना विकास करा दिया गया है कि अब कोई कमी खोजने की जरूरत है। यह काम भी रेखचंद खुद कर रहे हैं। कोशिश है कि जो कमी रह गई हो, उसे तलाश कर पूरा कर दिया जाए। लक्ष्य है कि यह कार्यकाल पूरा होने के पहले विकास के सभी कार्य पूरे हो जाएं। अब जिक्र चुनाव का आया है। आना ही चाहिए क्योंकि अगले चुनाव के लिए दस माह का समय शेष है। ये समय राजनीतिक संक्रमण काल का है। ऋतु परिवर्तन का है। ऐसे समय में कई तरह की चर्चाओं, दावों, आशंकाओं और उम्मीदों का दौर चलता है। चुनाव की बात करें और राजनीति के भीतर की राजनीति पर नजर न डालें, यह मुमकिन नहीं। चुनाव के दो चरण होते हैं। एक में पार्टी चुनती है और दूसरे चरण में जनता। जनता तब चुनती है जब पार्टी प्रत्याशी चुन ले। तो, रेखचंद दोनों ही चरणों के लिए कमर कसकर तैयार हैं। वे अपनी परफॉर्मेंस के जरिये साबित कर चुके हैं कि वे अपनी सरकार की मंशा के मुताबिक अपने नेता के काम को अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचा रहे हैं। जनता के स्तर पर रेखचंद ने जो भरोसा कायम किया है, वह तो बस्तर संभाग की इकलौती सामान्य सीट जगदलपुर के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में प्रत्यक्ष अनुभव किया जा सकता है।