जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक उग्रवाद प्रभावित बस्तर के दंतेवाड़ा जिले के बैलाडीला क्षेत्र में कुछ दिनों पहले सुर्खियों में आए नंदराज पहाड़ की लीज राज्य सरकार रद्द कर सकती है। कल राजधानी रायपुर में उक्त संबंध में उच्च स्तरीय बैठक आयोजित हुई है इस बैठक में एनएमडीसी के अध्यक्ष सुमित देव भी शामिल होने की संभावना है।
छत्तीसगढ़ सरकार एनएमडीसी और छत्तीसगढ़ मिनिरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के साझा उपक्रम से अडानी ग्रुप को बेदखल करने के लिए इस सौदे के तहत हुए समझौते को निरस्त करने का मन बना चुकी है।दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल- बैलाडीला क्षेत्र में एनएमडीसी की 13 नंबर लौह अयस्क डिपाजिट के नाम से यह लौह अयस्क परियोजना जानी जाती है। पिछले वर्ष इस परियोजना क्षेत्र में लौह अयस्क की खुदाई के लिए जैसे ही देश के प्रमुख औद्योगिक घराने अडानी समूह को ठेका मिला, वैसे ही आदिवासियों ने लौह अयस्क की खुदाई का विरोध करना प्रारंभ कर दिया था।
बस्तर के लोगों ने इस लौह अयस्क परियोजना क्षेत्र में उत्खनन का पूरजोर विरोध किया यदि उक्त क्षेत्र में माइनिंग प्रारंभ की गई तो उनकी आस्था को ठेस पहुंचेगा ।इसके बाद वामपंथी उग्रवादी संगठन प्रतिबंधित माओवादी संगठन भी पर्दे के पीछे सक्रिय हो गया और परियोजना के विरोध में उग्र आंदोलन उठ खड़ा हुआ था। छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासियों के उक्त विरोध को गंभीरता से लिया है।
आदिवासी समाज के मध्य एक पुख्ता और सकारात्मक संदेश देने के उद्देश्य से इस परियोजना को बंद कर सकती है।
1978 में हुई थी ठेका श्रमिकों की बेमुद्दत हड़ताल अविभाजित मध्यप्रदेश के संपूर्ण बस्तर जिले के दंतेवाड़ा में सन् 1978 में इसी इस परियोजना में लौह अयस्क की खुदाई बंद करने के विरोध में मजदूरों ने बेमियादी हड़ताल किया था। ठेका मजदूरों के इस उग्र आंदोलन के बाद पुलिस को गोली चलानी पड़ी थी जिसमें कुछ लोग मारे गए थे और कई घायल हो गए थे ।
इस घटना को इतिहास में बैलाडीला गोलीकांड के नाम से जाना जाता है। दरअसल सन् 1978 के पहले अनूप चंद जैन कंपनी उक्त नंद राज पहाड़ पर लौह अयस्क का उत्खनन करा रही थी। लेकिन उस समय एनएमडीसी ने इस ठेका पद्धति को समाप्त करने का निर्णय लिया था जिसके बाद ठेका मजदूरों का असंतोष भड़का और यह संतोष गोलीकांड में परिणत हो गया।
ज्ञात हो कि एनएमडीसी बैलाडीला क्षेत्र में अपने किरंदुल कॉन्प्लेक्स के तहत 11बी, 14 नंबर और 11सी नामक तीन लौह-अयस्क परियोजनाओं का संचालन करती है। इसी प्रकार बचेली कॉन्प्लेक्स के अंतर्गत 10, 11ए, तथा पांच नंबर नामक लौह अयस्क खदानों में लौह अयस्क का खनन किया जा रहा है। कल रायपुर में आयोजित इस बैठक के बाद एनएमडीसी के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक सुमित देव बस्तर के नगरनार इस्पात परियोजना क्षेत्र के दौरे पर भी जायेगें। वे वहां नगरनार इस्पात संयंत्र के शीघ्र प्रारंभ किए जाने के संबंध में अधिकारियों के साथ बैठक भी करेंगे। यह पूरा मामला इसलिए भी दिलचस्प हो गया है।
वैसे राष्ट्रीय स्तर पर इस पूरे मसले को इसलिए भी काफी महत्व मिल रहा है क्योंकि भाजपा की तत्कालीन रमन सिंह सरकार ने बैलाडीला कि उक्त लौह अयस्क खदान को ज्वाइंट वेंचर बनाकर पिछले दरवाजे से अडानी औद्योगिक समूह को सौंपा था । समझा जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नजदीकी होने के कारण अडानी औद्योगिक समूह को लाभ पहुंचाने की नियत से तत्कालीन सरकार ने उक्त करार को अंतिम रूप दिया था। इस कारण भी वर्तमान राज्य सरकार उक्त सौदे को निरस्त कर आदिवासी समाज का खैर ख़्वाब बनना चाहती है।