बालोद– क्षेत्र में संचालित अवैध लाल ईंट भट्ठों का कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रशासन की अनदेखी के कारण इन ईंट भट्ठा संचालकों के हौसले बुलंद हैं तथा वे प्रतिबंधित लाल ईंटों का उत्पादन खुलेआम कर रहे है। जिले के गुरुर तहसील के अन्तर्गत दर्जनों अवैध लाल इट भट्ठी संचालित की जा रही है जिनमे से ग्राम चिरचारी, सोरर, भरदा, बोहारडीह , छेड़िया, धोभनपुरी, धनोरा, भेजा ,टेगनाबरपारा, कपरमेटा, सनौद, पुरूर, बलोदगहन, कोलिहामार, दियाबाती, दर्रा, पेंडरवानी, पेरपार, बोडरा, कंवर, पलारी, दुपचेरा, डोटोपार, धानापुरी, अरकार, ,डोकला, धनेली, बोडरा, भेजा, ठेकवाड़ीह मोखा ,कुलिया ,बोरिदकला व कई गांवों में अवैध रूप से संचालित होते है ईट भट्ठा। जहा लाल ईट भट्ठों का अवैध कारोबार शासन प्रशासन के नियमो को ताक में रखकर काफी लंबे समय से बिना लीज के अवैध इट भट्टियों का संचालन किया जा रहा है गुरुर ब्लॉक मुख्यालय से लगा हुआ गांव में यह सब हो रहा है लेकिन ब्लॉक मुख्यालय के अधिकारियों को इस से कोई मतलब नहीं है प्रत्येक दो हजार इटो की कीमत आठ हजार नौ हजार रूपए के बीच लगाई जा रही है।मगर सोचने वाली बात यह है कि ईट भट्टी संचालित करते हुए कई साल हो गए है मगर खनिज विभाग को इस अवैध ईट भट्टी की जानकारी नहीं होना समझ से परे है | आपको बता दे की गुरुर क्षेत्र के अनेकों गांव में न केवल ईट भट्टो का अवैध कारोबार होता है बल्कि यहाँ पर अवैध रेत उत्खनन और मिट्टी का उत्खनन भी जोरों से होता आ रहा है।
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गर्मी सामने है और पानी के लिए लोगों को दूर-दूर लेने जाना पड़ता है। नदी-नाले में जलस्तर गिर रहा है, ऐसी स्थिति में ईट भट्ठा संचालक बोर और नदी से पानी लेकर लाखों की तादात में ईट का निर्माण कर रहे है। जिसके प्रति विभाग के अधिकारी भी कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। वहीं ईंट भट्ठा मजदूरों का अब तक ठेकेदार के द्वारा कोई पंजीयन नहीं कराया गया है, जबकि मजदूरों का पंजीयन कराना अनिवार्य होता है, लेकिन ठेकेदार सारे नियम कायदे कानून को ताक पर रखकर मजदूरों से ईट भट्ठा में ईट का निर्माण करा रहा है।
पर्यावरण को हो रहा नुकसान
अवैध इट भट्टों से ग्रामीण क्षेत्र में पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है। दूसरी ओर ईंट भट्टों के कारण निकलने वाला धुआं लोगों के स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो रहा है। जिससे आम नागरिक खासे परेशान है। तहसील के नदी के समीप ग्रामीण इलाको में कई स्थानों पर ईंट भट्टों का संचालन लंबे समय से जारी है जो पर्यावरण के साथ साथ लोगों के स्वास्थ्य के लिए घातक है।
अवैध ईट भठठा संचालन की कार्रवाई को लेकर जिला खनिज विभाग द्वारा अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। ईट संचालकों द्वारा बड़े पैमाने पर ईट का निर्माण करने के लिए शासकीय व निजी जमीन का खनन किया जा रहा है। इससे पर्यावरण तो प्रभावित हो ही रहा है, वहीं जलस्तर भी तेजी से गिरते जा रहा है। साथ ही लगातार हरे भरे जंगल कम होते जा रहा है।