जगदलपुर। बस्तर सांसद दीपक बैज ने लोकसभा में तारांकित प्रश्न के माध्यम से भारतीय मुद्रा रुपये के अवमूल्यन पर सवाल उठाया, जिस पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने जवाब दिया। बस्तर सांसद दीपक बैज ने प्रश्न किया कि क्या वित्त मंत्री यह बताने की कृपा करेंगी कि क्या जून 2022 के दौरान भारतीय रुपए में अमेरिकी डालर के मुकाबले अभूतपूर्व गिरावट आई है? यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और इसके क्या कारण हैं? तथा वर्ष 2014 से वर्ष 2022 की अवधि में प्रत्येक वर्ष में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए की कीमत कितनी रही है? क्या भारतीय रुपया 29 जून तथा 30 जून 2022 को भूटान की मुद्रा के बराबर पहुंच चुका है और यदि हां तो भारतीय मुद्रा की कीमत में तीव्र गिरावट के क्या कारण हैं? क्या सरकार द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था/ लोगों तथा देश के विभिन्न क्षेत्रों पर इसके प्रभाव का आकलन करने हेतु इस संबंध में कोई समीक्षा/ अध्ययन किया गया है और यदि हां तो तत्सम्बन्धी ब्यौरा क्या है? क्या सरकार ने भारतीय रुपए में होने वाली गिरावट को रोकने हेतु कोई कदम उठाए हैं? यदि हां तो तत्सम्बन्धी ब्यौरा क्या है और यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं और क्या भारतीय रुपए के अवमूल्यन के कारण विदेशों से भारत में बड़ी मात्रा में धन का प्रवाह हुआ है और यदि हां तो तत्सम्बन्धी ब्यौरा क्या है?
वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने जवाब दिया कि 30 जून 2022 तक डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए की विनिमय दर 78.94 रुपए प्रति डालर थी। वर्ष 2014 से अमेरिकी डालर के मुकाबले भारतीय रुपए की विनिमय दर इस कैलेंडर वर्ष के अंतिम मूल्य अनुबंध में दिए हैं। रूस यूक्रेन युद्ध जैसे वैश्विक कारक, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और अपेक्षाकृत कठोर वैश्विक वित्तीय स्थितियां अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए का कमजोर होना प्रमुख कारण है। ब्रिटिश पाउंड जापानी येन और यूरो जैसी मुद्राएं अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए की तुलना में अधिक कमजोर हुई हैं और इसलिए भारतीय रुपया 2022 में इन मुद्राओं के मुकाबले मजबूत हुआ है। वित्त मंत्री ने कहा कि भूटानी बीटीएन को 1974 में इसकी शुरुआत के बाद से भारतीय रुपए के बराबर आंका गया है और भारतीय रुपए के साथ मिलकर चलता है। उन्होंने कहा कि नाम मात्र विनिमय दर किसी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले कारकों में से केवल एक है। किसी मुद्रा के मूल्यह्रास से निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि होने की संभावना रहती है जो बदले में अर्थव्यवस्था को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। मूल्यह्रास आयातों को भी प्रभावित करता है जो अपेक्षाकृत अधिक महंगे हो जाते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक नियमित रूप से विदेशी मुद्रा बाजार की निगरानी करता है और अत्यधिक अस्थिरता की स्थितियों में हस्तक्षेप करता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल के महीनों में ब्याज दरों में वृद्धि की है जिससे निवासियों और अनिवासियों के लिए भारतीय रुपया रखने का आकर्षण बढ़ गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इसके अलावा आरबीआई द्वारा हाल ही में किए गए उपायों में शामिल है-
(1.) वृद्धिशील विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) (एफसीएनआर बी)और अनिवासी (बाहरी) रुपया (एनआरई) जमा राशियों को सीआरआर और एसएलआर के रखरखाव से 4 नवंबर तक की छूट, 2022, (2.) नए एफसीएनआर (बी) और एनआरई जमा राशियों को ब्याज दरों में मौजूदा विनियम से छूट ताकि बैंकों को विदेशी मुद्रा जमा राशियों को आकर्षित करने की दृष्टि से तुलनीय घरेलू रुपया सावधि जमा की पेशकश की तुलना में 31 अक्टूबर 2022 तक उच्च ब्याज दरें प्रदान करने की अनुमति मिल सके। (3.) भारतीय ऋण लिखतों में विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए ऋण प्रवाह में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश से संबंधित नियामक व्यवस्था में सुधार। (4) 31 दिसंबर 2022 तक चुनिंदा मामलों में बाहरी वाणिज्यिक उधार सीमा (स्वचालित मार्ग के तहत) को 1.5 बिलियन डॉलर और समग्र लागत सीमा को 100 बीपीएस तक बढ़ाना। (5) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी 1 (एडी कैट 1) बैंकों को बाह्य वाणिज्यिक उधारों के लिए निर्धारित नकारात्मक सूची के अध्यधीन, अंतिम उपयोग उद्देश्यों के व्यापक सेट के लिए संस्थाओं को विदेशी मुद्रा में उधार देने के लिए विदेशी मुद्रा उधार का उपयोग करने की अनुमति देना। वित्त मंत्री ने कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो पूंजी का बहिर्वाह भारतीय रुपए के मूल्य ह्रास का एक प्रमुख कारण है। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका में मौद्रिक तंगी, विदेशी निवेशकों को उभरते बाजारों से धन निकालने का कारण बनती है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने वित्त वर्ष 2022- 23 में अब तक भारतीय इक्विटी बाजारों से लगभग 14 बिलियन डॉलर की निकासी की है।