भ्रष्टाचार में लिप्त सभी अधिकारी और कर्मचारीयों का तत्काल किया जावे अन्यत्र स्थानतरण भारतीय मजदूर संघ

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राजहरा खदान समूह के नगर प्रशासन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच और वहां वर्तमान में कार्यरत कर्मियों और अधिकारीयों को अन्यत्र स्थानांतरण करने हेतु ज्ञापन सौंपकर अतिशीघ्र कार्यवाही करने का अनुरोध किया है। एम पी सिंग ने बताया कि कि संघ के पास इस बात की लिखित शिकायत आयी है जिसके अध्ययन से यह स्थापित होता है कि राजहरा खदान समूह के नगर प्रशासन विभाग में कार्यरत कर्मीगण खुलेआम भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और उन्हें संभवतः इसी विभाग के अधिकारीगणों का पूर्ण संरक्षण प्राप्त है। प्राप्त शिकायत के अध्ययन से यह जानकारी सामने आयी है कि आईओसी राजहरा के नगर प्रशासन विभाग में कार्यरत कर्मीगण बीएसपी के खाली पड़े आवासों को स्वयं ही थर्ड पार्टी आवंटन करके महीने में हजारों की कमाई कर रहे हैं शिकायत करने की बात कहने पर या तो अपने श्रम संगठन की धमकी देते हैं या फिर विभाग के अधिकारीयों से अपनी निकटता की बात कहते हुए निडरता के साथ देख लेने की धमकी देते हैं। इससे ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार के इस गोरखधंधे में ऐसे कार्य करने वाले कर्मियों को विभाग के अधिकारीयों का पूर्ण संरक्षण प्राप्त है। उक्त आरोप लगाने के पीछे संघ के पास पर्याप्त आधार हैं


(1) इसके पूर्व भी संघ को कई बार शिकायत मिली है कि उनके वेतन से दो-दो आवासों का किराया पेनाल्टी सहित काट लिया गया है जिसकी जांच करने पर उन्हें पैसा तो वापस मिल गया किन्तु चुप रहने को कहा गया इसकी शिकायत करने पर भी अधिकारीयों द्वारा कोई कारवाई नहीं की गयी। (2) संघ को इस बात की भी शिकायत मिली थी कि नगर प्रशासन विभाग के कर्मीगण ओपन थिएटर, राजहरा के आवंटन में भी गोलमाल करके कंपनी को चूना लगा रहे हैं और विभाग के अधिकारी मौन रह कर संभवतः समर्थन कर रहे हैं। इस सम्बन्ध में कई प्रकरण नगर प्रशासन विभाग के महाप्रबंधक एवं तत्कालीन मुख्य महाप्रबंधक के समक्ष रखते हुए संघ ने प्रमाण सहित ये जानकारी दी कि कंपनी द्वारा ओपन एयर थिएटर आवंटन हेतु पैसे जमा करने का आदेश आवेदक को दिया गया जिसपर नगर प्रशासन विभाग के कर्मी ने आवेदक से पैसा तो ले लिया किन्तु उसे कंपनी के वित्त विभाग में जमा नहीं किया इसकी शिकायत होने पर भूल गया कहकर पैसे को जमा किया गया किन्तु विभाग के अधिकारी द्वारा उसी भ्रष्ट कर्मी को विभाग के सभी काम सौंपना क्या यह साबित नहीं करता है कि विभाग में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है और भ्रष्टाचारियों का बोलबाला है। इसपर दोनों अधिकारीयों ने चर्चा के दौरान गलती को मानते हुए जांच करने और आवश्यक कारवाई करते हुए सम्बंधित कर्मी का वहां से तत्काल स्थानांतरण करने की बात कही थी किन्तु आजतक कोई कारवाई नहीं हुई।

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(3) इसके अलावा समय-समय पर कई प्रकरण प्रबंधन के समक्ष रखे गए किन्तु मामले में किसी तरह की कोई कारवाई का न होना यह स्थापित और प्रमाणित करता है कि नगर प्रशासन विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है और इस विभाग के अधिकारी और कर्मचारीगण भ्रष्टाचार के ध्वजवाहक बने हुए हैं। (4) संघ को बड़े ही खेद के साथ यह कहना पड़ रहा है कि जिस नगर प्रशासन विभाग में एक तोड़ फोड़ दस्ता नाम का सेक्शन है जिसका मुख्य कार्य बीएसपी की जमीन पर हो रहे अवैध कब्जों को हटाना और बीएसपी के जमीन / आवासों को कब्जा मुक्त कराना है किन्तु नगर प्रशासन विभाग के अधिकारीगणों एवं तोडू-फोड़ दस्ते के कर्मियों द्वारा केवल उसी व्यक्ति का बेजा कब्जा हटाने का कार्य किया जाता है जो कि सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर है आर्थिक रूप से संपन्न या पहुँच रखने वाले व्यक्तियों के द्वारा किये जा रहे अवैध निर्माण पर इस विभाग और सेक्शन के अधिकारी और कर्मचारी इतने मेहरबान रहते हैं की कभी कभी तो इन्हें स्वयं वहां खड़े रहकर निर्माण करवाते हुए भी देखा गया है और इन आरोपों को प्रमाण की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि आज नगर में मौजूद अवैध निर्माण और बीएसपी के जमीन पर बेजा कब्जा करके बने हुए भव्य इमारतें स्वयं इस आरोप की पुष्टि करती है। इसमें पैसों का लेनदेन भी खुलेआम किया जाता है। उपरोक्तआरोपों के प्रकाश में संघ बीएसपी प्रबंधन से निम्न मांग करता है। (1) उक्त विभाग में कार्यरत सभी अधिकारीयों और कर्मियों का तत्काल स्थानांतरण किया जावे क्योंकि नगर सम्पदा / नगर सेवा विभाग एक संवेदनशील विभाग है (Sensitive post means a post which is considered as a key decision-making as also that involving financial sanctions.”). CVC के मुताबिक संवेदनशील विभागों में किसी भी कर्मी की पोस्टिंग 03 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए।

(ii) नगर प्रशासन विभाग के अधिकारीयों और कर्मचारियों के विरुद्ध लगातार न केवल कर्मियों द्वारा बल्कि कई बार थर्ड पार्टी द्वारा भी खुलकर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगता रहा है और बीएसपी के खाली जमीन पर बने हुए अथवा बन रहे भव्य इमारतें इन आरोपों की पुष्टि करती है जहाँ एक तरफ भिलाई में बीएसपी के आवासों और जमीन पर किये गए अथवा हो रहे अवैध कब्जों को हटाया जा रहा है वहीं राजहरा खदान समूह में खुले आम अवैध कब्जे और नगर प्रशासन विभाग के कर्मियों द्वारा बेबाक होकर खाली पड़े कंपनी के आवासों को आवंटित कर किराया स्वयं वसूल करना क्या दर्शाता है? ऐसे में स्वप्रमाणित भ्रष्टाचार के विरुद्ध अगर बीएसपी प्रबंधन द्वारा कोई कारवाई नहीं की जाती है तो इससे यह स्वयं सिद्ध और प्रमाणित होता है कि महारत्न सेल के ध्वजवाहक इकाई भिलाई इस्पात संयंत्र के प्रबंधन द्वारा भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है और भ्रष्ट अधिकारीयों को पूर्ण संरक्षण प्रदान किया जा रहा है संघ का उक्त आरोप अनर्गल नहीं है क्योंकि पूर्व में भी ऐसे प्रकरण सामने आये हैं जो अपने आप में भ्रष्टाचार के स्वप्रमाणित प्रकरण हैं किन्तु प्रबंधन द्वारा उन्हें दबाने का प्रयास किया गया जिसके फलस्वरूप आज उक्त प्रकरण माननीय उच्च न्यायलय में विचाराधीन है। अतः इस विभाग के अधिकारीयों और कर्मियों पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की जाये और यथोचित विभागीय कारवाई की जाये। (iii) राजहरा खदान समूह में कार्मिकों का आवास आवंटन मिलाई की तरह ऑनलाइन पद्धति से तत्काल शुरू किया जाये जिसकी मांग संघ द्वारा वर्षों से की जाती रही यही और वर्तमान में भ्रष्टाचार को रोकने हेतु यही एक मात्र विकल्प भी है। (iv) नगर सम्पदा / नगर सेवा विभाग द्वारा निम्न सूचियों को सार्वजानिक किया जायें राजहरा खदान समूह में कर्मियों को आवंटित आवासों की सूची, थर्ड पार्टी (ठेकेदार/ गैर बीएसपी व्यक्तियों आदि) को प्रबंधन द्वारा आवंटित आवासों की सूची, नगर में खाली पड़े कंपनी आवासों की सूची, विभाग द्वारा जर्जर एवं रहने के अयोग्य घोषित आवासों की सूची, सरकारी तंत्रों को आवंटित आवासों की सूची, ठेका श्रमिकों को आबंटित आवासों की सूची, विभिन्न श्रम संगठनों को आबंटित आवास एवं जमीन की सूची, कंपनी के जमीन पर किये गए अवैध निर्माण और निर्माणकर्ताओं की सूची । (v) संघ को इस बात की इजाजत दी जावे कि वह अपने उपलब्ध संसाधन से नगर में बने कंपनी के आवासों का सर्वे कर यह जानकारी हासिल करे कि किस आवास में कौन रह रहा है और रहने वाले के पास कंपनी का आवंटन पत्र है या नहीं या फिर उक्त आवंटन पत्र की वैधता है या समाप्त हो गयी है। (vi) कंपनी के खाली पड़े आवासों का आवंटन प्राथमिकता के आधार पर पहले नियमित कर्मियों को और फिर ठेका श्रमिकों को किया जाये सेवा मुक्त कर्मियों अथवा थर्ड पार्टी को आवास आबंटन में प्राथमिकता नहीं दी जावे। (vi) इन मुद्दों पर अगर प्रबंधन संघ के प्रतिनिधिमंडल से चर्चा करते हुए समुचित समाधान करना चाहता है जो संघ प्रबंधन के साथ हर स्तर पर इस सम्बन्ध में चर्चा करने हेतु तैयार है अगर प्रबंधन द्वारा संघ से चर्चा करने से कोताही बरती जाती है . संघ के उक्त मांगों को मानने से / उक्त सूची को सार्वजानिक करने से मना किया जाता है अथवा किसी तरह का बहाना बनाया जाता है या संघ को सर्वे करने की इजाजत नहीं दी जाती है तो संघ द्वारा मजबूरन कड़े कदम उठाये जायेंगे जिससे होने वाले किसी भी तरह की परेशानी अथवा बदनामी के लिए पूर्ण रूप से बीएसपी अथवा राजहरा खदान समूह प्रबंधन ही जिम्मेदार होगा।