भाड़ में जाये बच्चे, हम तो हैं अभी उमर के कच्चे विद्यार्थी भटकते रहे गुरुजन नाच-गाने में मस्त रहे

0
751

अर्जून झा

लईका मनबर मया नई हे के धून पर शिक्षक-शिक्षिकाएं थिरकती रहीं जगदलपुर के कृषि उपज मंडी प्रांगण में शिक्षक-शिक्षिकाएं तोर बर मया लागे ओ… तथा अन्य छत्तीसगढ़ी व फिल्मी गीतों पर नृत्य करते दिखे। शिक्षक-शिक्षिकाओं की मांग जायज भी थी लेकिन अपने विद्यार्थियों के प्रति उनका जो कर्तव्य था वह उसके प्रति वे लगभग विमुख ही रहे। छत्तीसगढ़ी में हम यह भी कह सकते हैं कि आंदोलनकारी शिक्षिकाओं के मन मा लईका मन बर मया नई दिखिस। वहीं दूसरी ओर नृत्य संगीत में मन्ग शिक्षक-शिक्षिकाओं को देखकर ऐसा लगता था, गोया कि वे कह रहे हों भाड़ में जाये बच्चे अभी हम तो हैं उमर के कच्चे, कुल मिलाकर इस आंदोलन की वजह से विद्यार्थियों की पढ़ाई का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कैसे होगी यह सवाल पालकों को सताये जा रहा है।

जगदलपुर, 06 सितम्बर। कोरोना काल का खामियाजा भोग चुके स्कूली विद्यार्थी के लिए शिक्षक-शिक्षिकाओं ने लंबे हड़ताल पर दोहरी मुसिबत खड़ी कर दी। हड़ताल के दौरान बस्तर संभाग के विद्यार्थी शालाओं में पहुंचते तो रहे मगर उन्हें पढ़ाने वाला कोई मौजूद नहीं था। नतीजन विद्यार्थी यहां-वहां भटकते नजर आये। वहीं दूसरी ओर हड़ताली शिक्षक-शिक्षिकाएं आंदोलन स्थल पर संगीत की धून पर नाच गाने में मशगूल रहे। ऐसा लग रहा था मानों नृत्यरत शिक्षक-शिक्षिकाएं कह रहे हों भाड़ में जाए बच्चे हम तो हैं अभी उमर कच्चे, कोरोना के देशव्यापी प्रकोप से छत्तीसगढ़ भी अछूता नहीं था कोरोना के चलते दो साल से भी अधिक समय तक स्कूल-कॉलेजों में अध्ययन-अध्यापन पूरी तरह ठप्प रहा। विद्यार्थियों को ऑलाइन एग्जाम या फिर जनरल प्रमोशन के माध्यम से अगली कक्षाओं में प्रमोशन किया गया। प्रत्यक्ष अध्यापन से विद्यार्थियों का जैसा ज्ञान परिमार्जन हो पाता है वैसा इस अवधि में नहीं हो पाया वहीं दूसरी ओर ज्यादातर सरकारी नौकरियों में जनरल प्रमोशन या ऑनलाईन से उत्रीर्ण विद्यार्थियों को अपेक्षाकृत वरीयता नहीं मिल पाती। मसलन यह कि विद्यार्थियों को दो साल यूहीं जाया हो गया। ले-देकर मौजूदा शिक्षा सत्र में स्कूल कॉलेज खूले भी तो प्रदेश के अन्य अधिकारी-कर्मचारी के साथ शिक्षक-शिक्षिकाएं भी हड़ताल पर चले गए। उनकी हड़ताल काफी लंबी चली शिक्षक-शिक्षिकाएं संभाग व जिला मुख्यालयों में एकत्र होकर आंदोलनरत रहे। बस्तर संभाग के भी शिक्षक कृषि उपज मंडी प्रांगण में जुटे रहे। इस दौरान आंदोलन के पंडाल में गीत-संगीत का भी दौर जमकर चला। गीत-संगीत की धून पर शिक्षक-शिक्षिकाएं नृत्य भी करते नजर आये।