सरकारी दफ़्तर में मयकशी का दौर

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  • शराबखोरी : बस्तर वन परिक्षेत्र कार्यालय बना नशेड़ियों का अड्डा
  • कार्यालय में विभागीय कर्मचारी रोज जमकर छलकाते हैं जाम
  • वन परिक्षेत्र अधिकारी की कार्यशैली और भूमिका पर उठ रहे सवाल
  • शराब पीते कर्मियों का वीडियो सामने आने के बाद हड़कंप

जगदलपुर. जंगल में मोर नचा, किसने देखा ? नाचना मोर का गुण है. मोर के इस गुण का किसी ने दर्शन किया हो या ना किया हो, लेकिन जंगल महकमे के कर्मियों के एक अवगुण का दीदार आम बात हो गई है. विभागीय दफ़्तर में बैठकर जंगल महकमे के कारिंदों का जमकर जाम छलकाना जन चर्चा का विषय बन गया है. दरअसल बस्तर वन परिक्षेत्र का कार्यालय दारुबाजी का अड्डा बन चुका है.वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों का क्या काम वनों की रक्षा करना और अधिकाधिक संख्या में पौधरोपण से संबंधित कार्यों को संपादित करते हुए वन क्षेत्र बढ़ाना है. विभागीय कर्मी अपने इस कर्तव्य के प्रति कितने जिम्मेदार हैं यह बताने की जरूरत नहीं है, लेकिन बस्तर वन परिक्षेत्र के कुछेक कर्मियों के गैर जिम्मेदाराना हरकत उजागर हो गई है.

मामला बस्तर वन परिक्षेत्र से जुड़ा हुआ है, जहां के अधिकारी और कर्मचारी शराबखोरी में व्यस्त हैं. जानकारी मिली है कि इस दफ़्तर में मयकशी का दौर रोज चलता है. इसका एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें कर्मचारी शराब पीते परिक्षेत्र कार्यालय बस्तर की दूरी महज करीब 20 किलोमीटर है. इससे आसानी से कल्पना की जा सकती है कि अंदरूनी क्षेत्र में वन विभाग के कार्यालयों में क्या स्थिति होगी. कार्यालय प्रमुख रेंजर कमल तिवारी की कार्यशैली पर भी सवाल उठना लाजिमी है. क्या उनके संरक्षण में कर्मचारी शराबखोरी कर रहे है ? बहराल इतना तो समझ में आ रहा है कि बस्तर में वन विभाग का हाल फिलहाल ठीक नहीं है. जहां एक तरफ बस्तर में वनों का रकबा लगातार घटता जा रहा है. नतीजतन बस्तर में जलवायु परिवर्तन के परिणामों को स्पष्ट महसूस किया जा सकता है, वहीं दूसरी ओर वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों का इस तरह से शराबखोरी में व्यस्त रहना निश्चित तौर पर चिंता बढ़ाने वाला मसला है.|