इक मंजिल राही दो, फिर प्यार न कैसे हो

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(अर्जुन झा)

भानुप्रतापपुर छत्तीसगढ़ की राजनीति में तूफान आया हुआ है। भानुप्रतापपुर उपचुनाव के घमासान के बीच भाजपा उम्मीदवार ब्रम्हानंद नेताम पर दुराचार के आरोप से खलबली मची हुई है। राजनीतिक झटके पर झटके लग रहे हैं। इसके बीच राजनीति से हट के भी ऐसे नजारे देखने को मिल रहे हैं जो आज की कलुषता भरी राजनीति के दौर में सुखद अनुभूति करा रहे हैं कि राजनीति में अब भी सौहार्द शेष है। कांग्रेस और भाजपा की ओर से प्रचार जोरशोर से चल रहा है। भाजपा की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष बिलासपुर सांसद अरुण साव अपने प्रत्याशी के लिए प्रचार कर रहे हैं तो बस्तर सांसद दीपक बैज कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में धूम मचा रहे हैं। भानुप्रतापपुर के समर में उनकी सक्रियता आकर्षक का केंद्र बनी हुई है। अपने अपने प्रत्याशी के समर्थन में सुबह प्रचार के लिए निकले सांसद दीपक बैज और सांसद अरुण साव माकड़ी में जब मिले तो कुछ इस तरह आत्मीयता के साथ मिले कि जैसे कह रहे हों कि इक मंजिल राही दो, फिर प्यार न कैसे हो…! राजनीति में दलीय और वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, होते हैं लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिये। यह संदेश सांसद साव और सांसद बैज ने अपने अपने दलों को दे दिया है। वैसे भी बस्तर सांसद दीपक बैज अपने सौम्य स्वभाव के लिए पहचाने जाते हैं। उनकी राजनीतिक शैली ऐसी है कि विरोधी दल के नेताओं को भी अपने आत्मीय व्यवहार से प्रभावित कर लेते हैं। राजनीति में वैमनस्यता को कोई अहमियत न देने वाले दीपक बैज की राजनीति जनहित पर केंद्रित है और वे इसमें सकारात्मक सहयोग करने वाले सभी को अपने पराये का भेद किये बिना श्रेय देते हैं। यह तस्वीर राजनीति की सुंदर झलक पेश कर रही है। जिसने भी दोनों सांसदों का यह मिलन देखा, वह इनका मुरीद हो गया।