नगरनार के खेवनहार बने संसदीय सचिव रेखचंद जैन

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  • कस्बे में दो साल के भीतर कराए लाखों के निर्माण एवं विकास कार्य
  • ग्रामीणों की जरूरतों के मुताबिक हर तरह के कार्य को दिलाई मंजूरी

नगरनार संसदीय सचिव एवं जगदलपुर क्षेत्र के विधायक रेखचंद जैन नगरनार कस्बे के खेवनहार साबित हुए हैं। उन्होंने ग्रामीणों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए जनसुविधा के सभी कार्य डेढ़ करोड़ रु. से भी अधिक की राशि की लागत से यहां कराए हैं।नगरनार न तो गांव रह गया है और ना ही शहर बन पाया है। एक कस्बे का रूप ले चुके नगरनार में राष्ट्रीय खनिज विकास निगम ने एक विशाल इस्पात संयंत्र की स्थापना की है।

इससे लग रहा है कि नगरनार का आने वाला कल जरूर बेहतर भविष्य की उम्मीदें लेकर आ रहा है। हालांकि इस इस्पात संयंत्र को केंद्र सरकार निजी हाथों में देने जा रही है, फिर भी उम्मीदें टूटी नहीं हैं। लोगों को भरोसा है कि इस प्लांट के दम पर नगरनार में विकास की किरण जरूर पहुंचेगी। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी इस कस्बे के हित में काम करते आ रहे हैं। विधायक एवं संसदीय सचिव रेखचंद जैन ने नगरनार को महज डेढ़ साल के भीतर लाखों रु. की सौगात दी है। जैन ने अपनी विधायक निधि, छ्ग राज्य ग्रामीण विकास प्राधिकरण, छ्ग समग्र ग्रामीण विकास योजना, जनपद पंचायत विकास निधि योजना, जिला खनिज संस्थान न्यास मद, छ्ग शासन आदिवासी संस्कृति संरक्षण योजना, एनएमडीसी सीएसआर आदि मदों से नगरनार में डेढ़ करोड़ रु. से भी अधिक के कार्य कराए हैं। इन कार्यों में बाजार शेड निर्माण, शाला भवन निर्माण, शालाओं में किचन शेड, सड़कों, नालियों सीसी रोड सह नाली निर्माण, आरसीसी लिंक तार फेंसिंग, आदिवासी सामुदायिक भवन, सांस्कृतिक भवन, शाला भवनों और किचन शेड जीर्णोद्धार, स्ट्रीट लाइट, धान खरीदी केंद्रों में चबूतरों का निर्माण, सामुदायिक शौचालय, बोर खनन, पानी टैंकरों की व्यवस्था, पशु आश्रय शेड, सांस्कृतिक रंगमंच, उचित मूल्य दुकान भवन आदि की व्यवस्था शामिल हैं।

संस्कृति और प्रकृति का संरक्षण भी

संसदीय सचिव रेखचंद जैन ने ग्रामीणों, विद्यार्थियों और किसानों को जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने के साथ ही आदिम संस्कृति और प्रकृति के संरक्षण के लिए भी सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने आदिवासियों की सांस्कृतिक और धार्मिक आस्था के स्थलों के निर्माण और जीर्णोद्धार के लिए भी लाखों रु. मुहैया कराए हैं। विधायक रेखचंद जैन द्वारा उपलब्ध कराई गई राशि से कंकालिन माता मंदिर, सेमलिया माता मंदिर, भंडारीन माता मंदिर, मातागुड़ी आदि आस्था केंद्रों का निर्माण एवं जीर्णोद्धार कराया गया है। प्रकृति के संरक्षण के लिए जैन ने करीब दस लाख रु. से इंद्रावती नदी के तट के किनारे किनारे करीब ढाई किमी तक सामुदायिक वानिकी के तहत वृहद पौधरोपण करवाया है।