संस्कृति को अपनाए रखने से ही संगठित रहता है समाज: लखेश्वर

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  • अभा हल्बा समाज की क्षेत्रीय महासभा के कार्यक्रम में शामिल हुए बस्तर के विधायक लखेश्वर बघेल


बस्तर अखिल भारतीय हल्बा समाज की क्षेत्रीय महासभा के कार्यक्रम में क्षेत्रीय विधायक लखेश्वर बघेल ने कहा कि जो समाज अपनी संस्कृति और परंपराओं को आत्मसात करके चलता है, वही समाज हमेशा संगठित रहता है और तरक्की करता है।
कार्यक्रम में पहुंचने के पश्चात हल्बा समाज के सामाजिक ध्वज का आरोहण बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं बस्तर विधायक लखेश्वर बघेल ने किया। हल्बा समुदाय की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी की पूजा अर्चना एवं शहीद स्व. गेंदसिंह के छायाचित्र पर माल्यार्पण करने के बाद बघेल ने समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि बस्तर में सातवीं शताब्दी से नलवंश और 9वीं शताब्दी से 13 वीं शताब्दी तक नागवंश का शासन था
नलवंशी और नागवंशी शासनकाल के दौरान हल्बा राजाओं का उल्लेख मिलता है। प्राचीन बस्तर चित्रकोट रियासत की राजधानी बारसूर नागवंशी राजाओं की समृद्ध विरासत का साक्षी है। नागवंशी शासनकाल में ही हल्बी बोली का जन्म हुआ।काकतेय शासनकाल में हल्बी को बस्तर रियासत की राजभाषा का दर्जा प्राप्त था। विधायक बघेल ने कहा कि बस्तर की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक व्यवस्था में हल्बा जनजाति का योगदान अतुलनीय है। बस्तर राजा के विश्वस्त मंत्रियों और सलाहकारों में 5 मंत्रियों की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती थी। इनमें ज्यादातर मंत्री हल्बा जनजाति के थे।

मंदिर और भवन के लिए 15 लाख रु. की घोषणा
विधायक बघेल ने कहा कि बस्तर में आदिकाल से निवासरत हल्बा जनजाति की संस्कृति ही मूल संस्कृति है। उन्होंने कहा कि समाज की पांचों महासभाओं में जब तक अहं और वर्चस्व का दंभ बना रहेगा, सामाजिक एकीकरण दिवा स्वप्न ही बना रहेगा। संस्कृति ने सदियों से समाज को जोड़कर संगठित करने का कार्य किया है। इसलिए अपनी समृद्ध संस्कृति, परंपराओं, और विरासत को संजोए रखते हुए समाज की मजबूती में योगदान दें। बघेल ने समाज की मांग पर राम मंदिर हेतु 5 लाख रूपए एवं हल्बा समाज भवन हेतु 10 लाख रूपए देने की घोषणा की। कार्यक्रम में हल्बा समाज के जिला अध्यक्ष सियाराम, चतुर्भुज पिस्दा, दिनेश यदु, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष बसंत गांवर, कैलाश रावटे, हीरालाल घालनिया, सरपंच हरिराम बघेल, उप सरपंच रियाज खान, राम्याराम, प्रताप गांवर, छेदीलाल, गुनागिहा, चैतराम, केआर रावटे, एमआर राणा, जितेंद्र तिवारी, राजेश कुमार, तुलसीराम ठाकुर, अनस खान, तयेंद्र, मदन एवं समाज प्रमुख व ग्रामवासी उपस्थित थे।