बकावंड क्षेत्र के ग्रामीण बिजली की आंख मिचौली से परेशान

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  • मोटर पंप न चल पाने से पिछड़ रहा खेती किसानी का काम, रोपाई ठप

बकावंड विकासखंड के दर्जनों गांव में बिजली की आंखमिचौली ने ग्रामीणों का सुख चैन छीन लिया है।ग्रामीणों की दिनचर्या बुरी तरह प्रभावित हो गई है। कृषि कार्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। दिन हो या रात बिजली कभी भी चली जाती है और फिर घंटों नहीं आती। बिजली की लुकाछुपी का यह खेल लगातार चलते रहता है। अक्सर बिजली गुल रहने के कारण किसान सबसे परेशान हैं। आज ही देवड़ा, सरगीपाल, बोरीगांव, बजावंड, समेत कई गांवों के किसान अपनी व्यथा सुनाने बकावंड स्थित विद्युत कंपनी के कार्यालय में पहुंचे, किंतु कार्यालय में ऐसा कोई जिम्मेदार कर्मी नहीं मिला, जो उनकी समस्या का समाधान कर पाता। इन किसानों ने इस संवाददाता को अपनी कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि देवड़ा, बजावंड, सरगीपाल, बोरीगांव समेत आसपास के तमाम गांवों में ज्यादातर समय बिजली गुल रहती है या फिर लो वोल्टेज की समस्या बनी रहती है।

इस कारण विद्युत चलित मोटर पंप नहीं चल पाता और धान की रोपाई के लिए वे अपने खेतों में पानी नहीं भर पा रहे हैं। रोपाई कार्य प्रभावित हो रहा है। डीजल इतना महंगा है कि डीजल पंप के उपयोग की कल्पना भी किसान नहीं कर पाते। वहीं क्षेत्र में डीजल पंप न के बराबर हैं और उनका किराया भी ज्यादा लगता है। सरकार किसानों को खेती करने के अनेक सुविधाएं उपलब्ध करा रही है, उनका जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए कई योजनाएं चला रही है, लेकिन बिजली विभाग इन सभी सुविधाओं और योजनाओं पर पानी फेरने पर आमादा है। इसके अलावा क्षेत्र के ग्रामीण धान कुटाई और चावल गेहूं की पिसाई भी नहीं करा पा रहे हैं। रात में लोग चैन से सो नहीं पाते। लो वोल्टेज और बिजली गुल रहने के कारण पंखे कूलर नहीं चल पाते। ऐसे में मच्छर पूरी रात तांडव मचाते रहते हैं। नया शिक्षा सत्र आरंभ हो चुका है, विद्यार्थी घरों में पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं।*वर्सन**बरसात में आती है ऐसी दिक्कत*बरसात के कारण कभी – कभी सुधार कार्य चलने के कारण इस प्रकार की दिक्कत आती रहती है। हम मुस्तैदी के साथ बिजली व्यवस्था को सुचारू करने में लगे हुए हैं। किसानों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होने दी जाएगी।