डीएमएफटी राशि की बंदरबांट, ईडी ने शुरू कर दी जांच

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  • बस्तर संभाग के भी कई अधिकारी आएंगे लपेटे में
  • पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम विधानसभा में उठा चुके हैं मामला

अर्जुन झा

जगदलपुर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शराब घोटाला और कोयला घोटाला के बाद अब जिला खनिज निधि न्यास ट्रस्ट (डीएमएफटी) की राशि की कथित बंदरबांट की ओर भी अपनी वक्र दृष्टि डाल दी है। ईडी की इस कार्रवाई की जद में छत्तीसगढ़ के अनेक अफसरों और जनप्रतिनिधियों के आने की प्रबल संभावना है। राज्य की राजनीति में तूफान ला चुके कथित कोयला घोटाले और आबकारी घोटाले में ईडी की पड़ताल चल ही रही है। इस बीच ईडी ने अब डीएमएफटी राशि के आवंटन पर भी आंखें तरेरना शुरू कर दी है। ईडी के क्षेत्रीय कार्यालय ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में डीएमएफटी मद की राशि के आवंटन का जिलेवार ब्यौरा मांगकर सरकार के सामने नई मुसीबत खड़ी कर दी है। आरोप है कि डीएमएफटी राशि की राज्य में जमकर बंदरबांट हुई है। इस मद की रकम का अधिकारियों और चंद जनप्रतिनिधियों ने बेतहाशा दुरूपयोग किया है। बस्तर संभाग के भी कई जिलों से ऐसी खबरें पहले सामने आ चुकी हैं। कोंडागांव के पूर्व विधायक एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मोहन मरकाम ने तो यह मामला विधानसभा में उठाकर अपनी ही सरकार के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी थी। श्री मरकाम ने आरोप लगाया था कि कोंडागांव जिले के अधिकारियों ने डीएमएफटी राशि की खूब बंदरबांट की है, अधिकारियों ने जनप्रतिनिधियों की अनुशंसा को दरकिनार करते हुए जिला खनिज निधि न्यास मद की राशि का जमकर दुरूपयोग किया है। मोहन मरकाम ने विधानसभा की समिति से मामले की जांच कराने की मांग उठा दी थी। तब विधानसभा में अल्प संख्या बल वाली भाजपा को कांग्रेस सरकार पर हमला बोलने का मौका मिल गया था। इस मामले में कितनी सच्चाई है, यह बात तो मरकाम और कोंडागांव जिले के वे अधिकारी ही जानते होंगे, जिनके कार्यकाल में राशि की कथित गड़बड़ी हुई है। लेकिन यह सत्य है कि अब ईडी को भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ एक और जांच शुरू करने का मौका जरूर मिल गया है। सूत्र बताते हैं कि बस्तर संभाग के प्रायः सभी जिलों तथा छत्तीसगढ़ के अधिकतर जिलों में जिला खनिज निधि न्यास ट्रस्ट की राशि में बड़ा खेल हुआ है।

कोल घोटाले में नप चुके हैं कई अफसर

बहुचर्चित कोयला घोटाले में राज्य के कई अफसर नप चुके हैं। इनमें आईएएस रानू साहू का नाम प्रमुख है। रानू साहू को गिरफ्तार किया जा चुका है और फिलहाल वे जेल में हैं। कुछ अन्य अधिकारियों पर भी ईडी की गाज गिर चुकी है तथा कुछ अन्य अधिकारी निशाने पर हैं। राज्य के अनेक जनप्रतिनिधियों के नाम भी कोयला घोटाले में सामने आए हैं, जिनसे ईडी के अधिकारी कई राउंड की पूछताछ कर चुके हैं।

आबकारी घोटाले में एफआईआर दर्ज

छत्तीसगढ़ के आबकारी घोटाले मामले में कई वरिष्ठ अधिकारी, शराब निर्माता और जनप्रतिनिधि लपेटे में आ चुके हैं। ईडी इस मामले में लगातार कार्रवाई कर रहा है। आईटीएस अधिकारी एवं एवं छ्ग के विशेष आबकारी सचिव रहे अरुणपति त्रिपाठी, आईएएस एवं आबकारी आयुक्त निरंजन दास, आईएएस अनिल टुटेजा, विधु गुप्ता और अनवर ढेबर के खिलाफ ईडी ने उत्तरप्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित कासना थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। इन सभी के खिलाफ धारा 420, 468, 471, 473, 484 व 120 बी के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है। आरोप है कि इन लोगों ने निविदा की शर्तों को संशोधित कर मेसर्स प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्रा. लि. नोएडा को छत्तीसगढ़ की सरकारी शराब दुकानों में शराब आपूर्ति का ठेका दिया था। इसके बदले फर्म को मोटा कमीशन दिया गया और अफसरों ने भी जमकर अवैध कमाई की।*किसे सियासी नफा, किसे नुकसान?*ईडी की इस कार्रवाई से किसे सियासी नफा होगा और किसे नुकसान पहुंचेगा, इसका आंकलन छत्तीसगढ़ की जनता बेहतर ढंग से कर रही है। छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनाव सिर पर हैं। ऐसी चुनावी बेला में ईडी और अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा यहां की जा रही ताबड़तोड़ कार्रवाई का अर्थ निकालने में यहां की जनता समर्थ है। लोगों का कहना है भाजपा जब छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार को अस्थिर नहीं कर पाई, यहां के विधायक टूट नहीं पाए, तब केंद्र की भाजपा सरकार ने केंद्रीय जांच एजेंसियों का सहारा लिया है। आम मतदाता इसका मूल्यांकन करते हुए आगामी विधानसभा चुनाव में मतदान करेंगे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऐसी कार्रवाई से किस दल को चुनावी लाभ मिलेगा और किस दल को हानि उठानी पड़ेगी?