भाजपा के गले की फांस बना नगरनार स्टील प्लांट

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  •  निजीकरण के प्रयासों का हो रहा है चौतरफा विरोध मुख्यमंत्री ने भी कांकेर की धरती से कर दिया ऐलान

अर्जुन झा

जगदलपुर राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) द्वारा नगरनार में स्थापित इस्पात संयंत्र भाजपा के गले की फांस बन गया है।. इस संयंत्र के निजीकरण के प्रयासों का चौतरफा विरोध लगातार हो रहा है। चुनाव आते तक यह मामला और भी गरमा सकता है और यह बड़ा चुनावी मुद्दा बनने वाला है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी साफ संकेत दे दिया है कि उनकी सरकार नगरनार स्टील प्लांट का किसी भी सूरत में निजीकरण नहीं होने देगी। अब देखना यह है कि चारों ओर से घिर चुकी भाजपा इस मुश्किल से उबरने के लिए क्या कदम उठाती है।

बस्तर के पहाड़ों के गर्भ में मौजूद लाखों टन लौह अयस्क भंडार के दोहनकर्ता एनएमडीसी ने करीब बीस हजार करोड़ रुपए खर्च कर जगदलपुर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम नगरनार में विशाल इस्पात संयंत्र की स्थापना की है। इस संयंत्र में उत्पादन गतिविधियां भी शुरू हो चुकी हैं। बीते 3 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नगरनार इस्पात संयंत्र का लोकार्पण किया था। संयंत्र स्थापना के दौर से ही इसके निजीकरण की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी। चर्चा है कि केंद्र सरकार बस्तर के एकमात्र इस बड़े इस्पात कारखाने को निजी क्षेत्र के उस बड़े उद्योगपति के हाथों बेचने जा रही है, जिसे कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल प्रधानमंत्री का परम मित्र बताते आ रहे हैं। कहा जा रहा है की प्लांट के विक्रय की सारी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, सिर्फ औपचारिक घोषणा बाकी है। नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण का फैसला भाजपा के गले की फांस बन गया है। न निगलते बन रहा है, न उगलते। भाजपा के एक भी बड़े नेता ने अब तक यह नहीं कहा है कि नगरनार संयंत्र का निजीकरण नहीं होगा, विपक्षी दल केवल दुष्प्रचार कर रहे हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि संयंत्र का बस्तरवासियों के हाथ से निकलना तय है।

जनभावना जुड़ी है इस प्लांट से

नगरनार इस्पात संयंत्र से बस्तर की जनभावना जुड़ी हुई है और अब तो यह बस्तर की अस्मिता का सवाल भी बन गया है। स्टील प्लांट की स्थापना के लिए नगरनार समेत लगभग बारह ग्राम पंचायतों के आदिवासियों ने अपनी उपजाऊ जमीन एनएमडीसी को खुशी -खुशी सौंप दी थी। उन्हें भरोसा था कि प्लांट में उनके बेटे बेटियों को नौकरी मिलेगी, उद्योग व्यवसाय फूलेंगे फलेंगे और बस्तर का विकास होगा। अब यह भरोसा टूटता प्रतीत हो रहा है और जनभावना आहत हो रही है। इस प्लांट के प्रति आम बस्तरिहा का विशेष लगाव हो गया है। अगर इस लगाव को तोड़ने का प्रयास हुआ, तो बस्तर में जन विद्रोह की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता।

बस्तर के सम्मान का सवाल:भूपेश

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नगरनार स्टील प्लांट के मामले में लगातार संवेदनशील नजर आ रहे हैं। कुछ ही दिन पहले कांकेर में आयोजित पंचायती राज प्रतिनिधियों के सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने नगरनार इस्पात संयंत्र को बस्तर के मान सम्मान, अस्मिता और स्वाभिमान का प्रतीक बताया था। मुख्यमंत्री बघेल ने साफ तौर पर कहा था कि अगर बात हमारे मान सम्मान और स्वाभिमान पर आएगी, तो हम चुप बैठे रहने वाले नहीं हैं। संयंत्र का निजीकरण रोकने हर जरूरी कदम उठाएंगे। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने निजीकरण का विरोध करते हुए प्रस्ताव केबिनेट में लाया था। श्री लखमा ने कहा था कि नगरनार संयंत्र का संचालन राज्य सरकार करे। केबिनेट में यह प्रस्ताव पारित हो गया और केंद्र सरकार के पास भेज भी दिया गया है।

सांसद बैज संसद में कर चुके हैं विरोध

बस्तर लोकसभा क्षेत्र के मुखर सांसद दीपक बैज नगरनार इस्पात संयंत्र के निजीकरण के खिलाफ शुरू से आवाज बुलंद करते आए हैं। लोकसभा में भी श्री बैज संयंत्र के निजीकरण का कई बार विरोध कर चुके हैं। वे साफ तौर पर कह चुके हैं कि नगरनार इस्पात संयंत्र को केंद्र सरकार स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) के अधीन कर दे और भिलाई इस्पात संयंत्र की तरह नगरनार इस्पात संयंत्र का भी संचालन सेल ही करे। सांसद दीपक बैज यह भी कह चुके हैं कि अगर केंद्र सरकार ऐसा नहीं कर सकती, तो नगरनार प्लांट को छत्तीसगढ़ सरकार के हवाले कर दे। छत्तीसगढ़ सरकार उसे चला लेगी। दीपक बैज लोकसभा में यह दलील भी दे चुके हैं कि नगरनार इस्पात संयंत्र के निजी हाथों में चले जाने से वहां नौकरियों में अनुसूचित जाति -जनजाति, ओबीसी, गरीब वर्गों के युवाओं को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। क्योंकि निजी क्षेत्र में आरक्षण की व्यवस्था लागू नहीं है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनने के बाद दीपक बैज की यह मुहिम और धारदार हुई है। उन्होंने आम बस्तरवासियों को इस मामले में जगाने का काम किया है।

शुरू से मुखर रहे हैं रेखचंद जैन

स्टील प्लांट प्रभावित नगरनार व अन्य सभी गांव जगदलपुर विधानसभा क्षेत्र में आते हैं। इस क्षेत्र का विधायक होने के नाते रेखचंद जैन नगरनार इस्पात संयंत्र के निजीकरण के विरोध में शुरू से मुखर रहे हैं। संसदीय सचिव एवं विधायक रेखचंद जैन हर मंच पर निजीकरण के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। ग्रामीणों के आंदोलन, धरना प्रदर्शन में भी जैन उपस्थिति दर्ज कराते आए हैं। बीते दिनों प्लांट से उत्पादित माल के परिवहन का काम देने की मांग को लेकर स्थानीय ट्रांसपोर्टरों और बस्तर परिवहन संघ द्वारा आयोजित धरना प्रदर्शन को भी समर्थन देने  जैन और शहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुशील मौर्य नगरनार पहुंचे थे। इसके अलावा निजीकरण के विरोध में प्रदेश कांग्रेस कमेटी और सर्व आदिवासी समाज एवं पिछड़ा वर्ग समाज द्वारा 3 अक्टूबर को आयोजित बस्तर संभाग महाबंद को सफल बनाने में भी  जैन और  मौर्य ने अहम भूमिका निभाई थी।  जैन का कहना है कि बस्तर के आदिवासियों की भावना का सम्मान करते हुए केंद्र सरकार को अपना फैसला वापस लेना चाहिए।