नक्सल गढ़ में सड़क निर्माण के लिए अलग – अलग टेंडर की दरकार

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  • नारायणपु -:अंतगढ़ सड़क निर्माण में नक्सली रोड़े से बचने यह उपाय जरूरी =
    -अर्जुन झा-
    जगदलपुर। बस्तर संभाग की रावघाट लौह अयस्क खदानों से आयरन ओर खनन को लेकर सरकार अब काफी गंभीर नजर आ रही है। इसके लिए सड़क व अन बुनियादी ढांचा खड़ा करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर नक्सलियों की विध्वंसक गतिविधियां सरकार की मंशा पर पानी फेर सकती हैं। नक्सलियों की करतूतों पर पानी फेरने के लिए सरकार को एहतियाती कदम उठाने होंगे, ताकि कम रिस्क में ज्यादा से ज्यादा काम हो सके और समय भी कम लगे। सड़क निर्माण के लिए भी ऐसी ही पहल करनी होगी। अंतागढ़ से नारायणपुर तक प्रस्तावित सड़क के निर्माण के लिए दो अलग अलग टेंडर बुलाकर और दो ठेकेदारों को काम देकर नक्सली उत्पात से काफी हद तक बचा जा सकता है।
    मिली जानकारी के अनुसार अंतागढ़ से नारायणपुर तक 48 किमी लंबी सड़क के निर्माण की योजना तैयार हो चुकी है। इस सड़क का निर्माण रावघाट स्थित लौह अयस्क खदानों से आयरन ओर के दोहन एवं परिवहन के लिहाज से यह प्रस्तावित सड़क बहुआयामी साबित होगी। रावघाट की खदानें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए जीवनदायिनी साबित होगी। कच्चे माल के लिए भिलाई इस्पात संयंत्र की निर्भरता फिलहाल राजहरा माइंस पर है, मगर राजहरा की खदानों में लौह अयस्क की उपलब्धता न के बराबर रह गई है। ऐसे में रावघाट माइंस ही भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए एकमात्र सहारा नजर आ रहा है। मगर इसमें नक्सली रोड़ा अटका सकते हैं। नारायणपुर – और अंतागढ़ नक्सली गतिविधियों के मामले में बड़े ही संवेदनशील माने जाते हैं। इन इलाकों से नक्सली उत्पात की खबरें आएदिन आती रहती हैं। सड़क, पुल पुलिया, स्कूल बिल्डिंग व दूसरे भवनों के निर्माण में नक्सली रोड़े अटकाते रहते हैं। इन निर्माणों को ध्वस्त कर दिया जाता है, निर्माण में लगे रोड रोलर, ट्रक, डंपर, मिक्सर मशीनें व अन्य उपकरण आग के हवाले कर दिए जाते हैं। इसके चलते जहां ठेकेदारों को बड़ी आर्थिक क्षति पहुंचती है, वहीं निर्माण में भारी विलंब भी हो जाता है। इससे बचने के लिए ज्यादा लंबी सड़क और बड़े निर्माण कार्यों के एक से अधिक अलग -अलग टेंडर बुलाए जाने चाहिए। इससे होगा यह कि निर्माण की गति बढ़ेगी और नक्सली वारदात में न्यूनतम क्षति होगी। ऐसा ही कदम अंतागढ़ – नारायणपुर सड़क के निर्माण के लिए भी उठाना होगा। अगर किसी एक ही ठेकेदार से इस रोड का कार्य को कराया जाता है, तो कई परेशानियां पैदा होंगी, समय पर निर्माण कार्य पूर्ण होने में संदेह रहेगा।

    हर दृष्टि से होगा लाभकारी
    वहीं अगर इस सड़क के कार्य को दो भागों में बांटकर अगर निविदा बुलाई जाती है, तो दोनों ओर से यह कार्य शुरू हो सकता है और अच्छे और शांतिपूर्ण ढंग से निर्माण कम समय में पूरा हो जाएगा। अंतागढ़ और नारायणपुर इलाके के ग्रामीण तथा नक्सली वरदातों का गहन अध्ययन कर चुके लोगों की भी यही राय है कि इस सड़क का निर्माण दो अलग -अलग निविदाएं बुलाकर अलग अलग ठेकेदारों के माध्यम से कराया जाए। ग्रामीणों ने मंत्री और नारायणपुर के विधायक केदार कश्यप से मांग की है कि वे नारायणपुर – अंतागढ़ सड़क निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग को दो अलग अलग निविदाएं बुलाने के लिए कहें। ताकि दोनों ओर से काम शुरू कराया जा सके। इससे सड़क का निर्माण जल्द पूरा होगा और अप्रिय वारदात की स्थिति में क्षति कम होगी।