बस्तर की पहचान बन गया दीपक का चित्रकोट

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  • काम की गारंटी है बैज का नाम

(अर्जुन झा)

जगदलपुर बस्तर संभाग की बारह सीटों में से चित्रकोट विधानसभा का चुनाव पूरे छत्तीसगढ़ में चर्चा का विषय बन गया है। राज्य की जिन विशिष्ट सीटों पर मतदान के पहले ही विजेता का नाम जनता की जुबान पर है, उनमें से एक सीट चित्रकोट भी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और बस्तर सांसद दीपक बैज को इस सीट से इसलिए उतारा गया है कि पूरे बस्तर की सीटों पर सकारात्मक प्रभाव पड़े। सुरम्य वादियों से आच्छादित चित्रकोट जगप्रसिद्ध जलप्रपात बस्तर की पहचान है तो चित्रकोट के लाल दीपक बैज ने दिल्ली तक इस धरती के ओज की धाक बनाई है। सवाल यह है कि चित्रकोट की जनता बार बार दीपक बैज को ही वोट क्यों दे तो इलाके की जनता ही इसका जवाब दे रही है कि हम दीपक के काम को वोट देते हैं।उनका नाम ही काम की गारंटी है। दो बार विधायक बनाया तो विकास की बयार बहा दी। सांसद बनाया तो चित्रकोट सहित बस्तर संसदीय क्षेत्र का कायाकल्प करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बस्तर अपने सांसद की सक्रियता पर गर्व महसूस करता है तो चित्रकोट अपने घर के दीपक का दूर दूर तक उजाला फैलने पर खुश है। चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र के हर गांव में हर कोई दीपक बैज की सरलता और सहजता का कायल है। राजनीतिक विरोधी भी दीपक के व्यवहार के मुरीद हैं। संवेदनशीलता इतनी है कि अपनी जान जोखिम में डालकर भी पूर्व सांसद के दुर्घटनाग्रस्त फॉलो गार्ड्स की मदद करने संवेदनशील इलाके में सड़क पर उतर गए। दीपक बैज राजनीति से ऊपर उठकर जनता और बस्तर के विकास के लिए काम करते हैं। दिल्ली तक संघर्ष करते हैं तो अपनी राज्य सरकार के माध्यम से समस्याओं का समाधान निकालते हैं। राजनीति में यदि किसी का कोई व्यक्तिगत विरोधी न हो तो निश्चित रूप से वह राजनेता सिर्फ किसी पार्टी का नेता नहीं रह जाता। वह जननेता बन जाता है और बस्तर में ऐसे जननेता के रूप में दीपक बैज की अपनी एक अलग पहचान है। राजनीतिक विरोधियों से भी विकास के मुद्दे पर जो सदाशयता हासिल कर ले। दीपक बैज उसी शख्सियत का नाम है। बस्तर के लिए रेल सुविधाओं के विस्तार की बात हो, हवाई सेवाओं के विकास और विस्तार की बात हो, नेशनल हाईवे की बात हो या पुल पुलियों, सड़कों के जाल बिछाने की बात हो, दीपक बैज ने दिल्ली- रायपुर एक किया है। केंद्र में विपरीत विचारधारा की सरकार होने के बावजूद दीपक ने एक सांसद के रूप में बस्तर को जितना विकसित कराया है, उतना कुल मिलाकर भी केंद्र के सत्ताधारी पूर्ववर्ती सांसद नहीं दिला सके। छत्तीसगढ़ के 11 सांसदों में संसद में बस्तर और छत्तीसगढ़ के हक में सबसे ज्यादा आवाज कौन उठाता है तो एक ही जवाब है कि दीपक बैज। दीपक बैज धरने पर बैठकर कोरोना काल से बंद बस्तर की रेल सेवा बहाल करा देते हैं। रेलमंत्री से मिलकर रायपुर से जगदलपुर तक सीधी रेल की परियोजना को गति दिलाते हैं। पूर्व में चित्रकोट के लिए भाजपा की राज्य सरकार से संघर्ष करने वाले दीपक बैज ने बस्तर के लिए केंद्र की भाजपा सरकार से संघर्ष किया है। जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी तो दीपक मंत्री बन सकते थे लेकिन उनके हिस्से में बस्तर के लिए दिल्ली में संघर्ष करने का संकल्प लिखा था। बस्तर की दहाड़ दिल्ली में गूंजे, वंचित आदिवासियों को आदिवासी का अधिकार मिले, यह जिम्मेदारी दीपक के कर्मलेख में शामिल थी। विधायक से सांसद बन गए और बस्तर को नई पहचान दी। दीपक ने सांसद बनकर बस्तर को वह सब कुछ दिलाया है, जो बस्तर की जरूरत है। अब वे फिर अपने घर लौट रहे हैं। चित्रकोट की गहराई में छलांग लगाकर समग्र विकास के मोती निकालने चित्रकोट के रण में उतरे हैं तो यह सीट कांग्रेस के लिए बस्तर फतह करने विजय द्वार बन गई है।