बिखरते परिवारों वाले परिवेश में वृद्धाश्रम हैं वरदान

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  •  अहिसास इंदौर शाखा की काव्यगोष्ठी में छलका दर्द

*दल्लीराजहरा वर्तमान की ज्वलंत समस्या वृद्धाश्रम पर सभी 45 कलमकारों ने अपने अनुभवों से ओतप्रोत स्वरचित रचनाओं से नई पीढ़ी की सोच को उजागर कर रख दिया। अहिसास संस्था की 74वीं काव्यगोष्ठी में बुजुर्ग माता – पिताओं के दर्द को कवियों और कलमवीरों ने बखूबी बयां किया।

दो भागों में विभाजित होकर रह गया,भारतीय पुरानी संस्कृति के अनुरूप वृद्धाश्रम अभिशाप भी, मां बाप की छाया वट वृक्ष की तरह होती है, कोई भी संकट या समस्या परिवार को छू भी नहीं सकती, मां बाप के आशीर्वाद को ईश्वर भी टाल नहीं सकता, इतनी ताकत होती है, पर वर्तमान पीढ़ी इसका अहसास करे तब न। मानवीय संवेदना से जुड़ी इस समस्या का दूसरा पक्ष आज की पढ़ी लिखी संताने पति पत्नी दोनों नौकरी करते हो मां,बाप से दूर रहते हो, विदेशों में उनके मन में मां बाप से बढ़कर पैसा है, उनकी तनख्वाह बेशुमार होती है, उनके पास माता पिता के लिए समय नहीं रहता। पैसा भेज और माता पिता को वृद्धाश्रम में रखकर वे निश्चिंत हो जाते हैं। संस्था के अध्यक्ष डॉ. बनवारी जाजोदिया ने इस सच्चाई को यथार्थ के धरातल पर रखा। इस समस्या को और व्यवहारिक तरीके से रखने के लिए मुख्य अतिथि कुरुक्षेत्र से आमंत्रित डॉ. जय भगवान सिंगला ने नजदीक से बुजुर्गो की इस गंभीर समस्या का अध्ययन कर सर्व सुविधा युक्त “प्रेरणा वृद्धाश्रम, सलारपुर रोड, कुरुक्षेत्र में स्थापित कर समाज को आईना दिखाने का अद्भुत कार्य किया है। डॉ. सिंगला के अनुसार सभी रहवासी वृद्ध खुशी से और चिंतामुक्त जीवन आनंद से जीते हैं।खुद भी मस्त रहते हैं और बच्चों को भी व्यस्त रहने देते हैं। बच्चे अपना जीवन सुखमय बिताएं, हम अपना जीवन अपनी मर्जी से जीएं।कुल मिलाकर वर्तमान परिवेश में जहां एक बेटा एक बेटी होती है। बेटी सुसराल के बंधन और बेटा बहु के बंधन में।इसलिए शेष और सुखी अंत के लिए वृद्धाश्रम वरदान ही साबित होंगे। यह भविष्य की ज्वलंत आवश्यकता भी है।इस ज्वलंत समस्या पर 45 साहित्यकारों ने बेबाक राय रखी। इनमें नीति, रानी नारंग, शोभा रानी, मीना अग्रवाल, संतोष तोषनीवाल, शेष नारायण चौहान बैंगलोर, राजकुमार हांडा, स्नेह नीमा, शिशिर देसाई सनावद, प्रो. शुभ कुमार वर्णवाल मधुबनी, डेजी कौशिक गुरुग्राम, अंजुल कंसल, डॉ. अजीत कुमार आगरा, जयप्रकाश अग्रवाल काठमांडू, निर्मल सिंगला, आशा जाखड़, डॉ. राज गोस्वामी, मनीराम शर्मा, पूर्णचंद्र शर्मा, डॉ. अरविंद श्रीवास्तव सभी दतिया, दिनेंद्र दास बालोद, भानुप्रताप, अशोक द्विवेदी, रशीद अहमद शेख, डॉ. बनवारी जाजोदिया, सोनल शर्मा सीकर, डॉ. शिरोमणि माथुर दल्ली राजहरा, मोहन त्रिपाठी गुजरात, डॉ. विजय लक्ष्मी आगरा, डॉ. रामस्वरूप साहू मुंबई, महेंद्र शर्मा, डॉ. बिनोद हंसोड़ा दरभंगा, अनिल वर्मा अलीगढ़, डॉ. नूतन जैन आगरा और ललित सिंह ठाकुर,भाटापारा शामिल हैं। मंच संचालन शोभारानी तिवारी और राजकुमार हांडा ने किया। सरस्वती वंदना आशा ने प्रस्तुत किया। सम्मान पत्र का वाचन अशोक द्विवेदी ने किया। अतिथि परिचय और आभार प्रदर्शन राजकुमार हांडा ने किया। राष्ट्रगान से इस सफलतम कार्यक्रम का समापन हुआ।