धर्मांतरण रोकने समाज को भी करनी होगी पहल : केदार कश्यप

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  • जनजातीय समाज की सद्भावना यात्रा पहुंची राजुर
  • लोहंडीगुड़ा, तोकापाल के गांवों में ग्रामीणों ने किया स्वागत, हुई जनसभाएं

लोहंडीगुड़ा धर्मांतरण के खिलाफ जन जागरण और आदिम संस्कृति व पूजा पद्धति के संरक्षण के प्रति जनजातीय वर्ग के लोगों को एकजुट करने गुरुवार को नारायणपुर के मावली मंदिर से निकली सामाजिक सद्भावना यात्रा तीसरे दिन लोहंडीगुड़ा विकासखंड के पारापुर से होकर रवाना हुई। पारापुर से यात्रा कुतर, कस्तूरपाल, यात्रा मिचनार, अलनार, पराकोट, तोकापाल, राजुर होती हुई दंतेवाड़ा के लिए आगे बढ़ी। तोकापाल के ग्राम राजुर पहुंची यात्रा का भव्य स्वागत हुआ। वहां जनसभा का भी आयोजन किया गया।

सभा को संबोधित करते हुए जनजाति सुरक्षा मंच के प्रांत संयोजक भोजराज नाग ने कहा कि जनजातीय समाज को विघटनकारी तत्वों की नजर लग गई है। आएदिन गांव -गांव में जनजातियों के बीच आपसी मतभेद बढ़ाया जा रहा है। इसके लिए जिम्मेदार अंधाधुंध धर्मांतरण है। जिसको रोकने के लिए सरकार से कानून बनाने की मांग करेंगे। यात्रा में उपस्थित रूपसाय सलाम ने कहा कि समाज और संस्कृति को बचाए रखना सभी जनजातीय समाजों के प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है। हमारी देवगुड़ी और संस्कृति की रक्षा करने सभी को आगे आना होगा। पदयात्रा का उद्देश्य समाज के विघटनकारी तत्वों का पर्दाफाश करना और समाज को जगाना है। हम अभी नहीं जागे, तो फिर हमारी समृद्ध संस्कृति और परंपराएं लुप्त हो जाएंगी और हमारा अस्तित्व ही मिट जाएगा। सभा को मंत्री केदार कश्यप ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा सरकार अपने स्तर पर धर्मांतरण रोकने के लिए ठोस कार्य करेगी, लेकिन इसके लिए समाज के जागरूक और प्रबुद्ध नागरिकों के भी आगे आने की जरूरत है। हमारी संस्कृति के संरक्षक मांझी, मुखिया, गायता, सिरहा, गुनिया हैं। जिन्होंने आज तक पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे आस्था केंद्रों को संरक्षित रखा है। आज उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है। इस अवसर पर चित्रकोट के विधायक विनायक गोयल, महेश कश्यप, तुलुराम राम कशयप, मंगतू राम, रैतूराम समेत सामाजिक पदाधिकारी और बड़ी संख्या में जनजातीय समाज के लोग मोजूद थे।