दस साल पहले ‘दशरथ मांझी’ बनकर पहाड़ चीर डाला था दीपक बैज ने

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  •  ग्रामीणों के साथ पहाड़ को खोदकर बनाई थी सड़क
  •  ग्रामीणों का कष्ट दूर करने हेतु की थी बेमिसाल पहल
    -अर्जुन झा-
    लोहंडीगुड़ा बस्तर के मौजूदा सांसद दीपक बैज के कदम पहली बार जब सक्रिय राजनीति में पड़े थे, तब उन्होंने एक अनुकरणीय काम कर दिखाया था। उनकी इस बेमिसाल पहल की चर्चा आज भी होती है। दशरथ मांझी की तरह उन्होंने ग्रामीणों के साथ पहाड़ को चीर डाला और सड़क बना दी थी। दीपक बैज जब पहली बार चित्रकोट से विधायक चुने गए थे, तब उन्होंने एक ऐसा काम कर दिखाया था, जो आज के नेताओं के लिए नजीर बन गया है। बात सन 2013- 14 की है। दीपक बैज कांग्रेस के टिकट पर पहली बार चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और जीत भी गए। उस समय चुनाव प्रचार के दौरान लोहंडीगुड़ा ब्लॉक के छिंदबहार इलाके में दीपक बैज का आना जाना लगा रहता था। तब उन्होंने देखा कि छिंदबहार और बारूपाटा व अन्य गांवों के ग्रामीणों को पहाड़ के इस पार और उस पार स्थित गांवों तक जाने में बड़ी परेशानी होती है।

छिंदबहार व बारूपाटा के बीच स्थित पहाड़ की वजह से महज तीन किमी के फासले को तय करनe के लिए दस – बारह किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। ग्रामीणों ने भी अपनी यह व्यथा नव निर्वाचित विधायक दीपक बैज को सुनाई। उसी समय दीपक बैज ने गांवों के बीच के फासले को कम करने का फैसला कर लिया। इसके बाद  बैज ने छिंदबहार और बारूपाटा के ग्रामीणों को संगठित कर पहाड़ को चीरने के लिए कदम बढ़ाया। बैज स्वयं तथा ग्रामीण महिलाएं, पुरुष और युवक युवतियां फावड़ा, कुदाल, छेनी, हथोड़ी, गैंती, टोकरी, सब्बल आदि लेकर पहाड़ पर टूट पड़े। दोनों ओर से पहाड़ को खोदने का काम शुरू कर दिया गया। विशाल शिलाखंडों को छेनी, हथोड़े और सब्बलों की मदद से तोड़कर पहाड़ के सीने को छलनी करने का काम कुछ माह तक चला और आखिर में सबने मिलकर तीन किमी लंबा कच्चा रास्ता तैयार कर ही लिया।

पत्नी नहीं, प्रजा के लिए बने ‘मांझी’
यह काम बिहार के उस दशरथ मांझी द्वारा किए गए काम जैसा था, जिसने अपनी पत्नी को पानी लाने की समस्या से मुक्ति दिलाने के पहाड़ को खोदकर सड़क बनाई थी। अंतर सिर्फ इतना है कि दशरथ मांझी ने अपनी पत्नी का कष्ट दूर करने के लिए पहाड़ को छलनी अकेले दम पर किया था और दीपक बैज ने समवेत प्रयासों से प्रजा का कष्ट दूर करने के लिए पसीना बहाया था। दीपक बैज और ग्रामीणों द्वारा पहाड़ काटकर बनाई गई सड़क का बाद में तत्कालीन रमन सरकार में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत डामरीकरण करा दिया। आज यह सड़क क्षेत्र के ग्रामीणों को बड़ी राहत पहुंचा रही है।